झारखंड राज्य जलग्रहण  मिशन – तालाब निर्माण से समेकित कृषि एवं मछली पालन

27 Sep 2019

जलग्रहण  मिशन जलग्रहण कार्य  को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए योजनाओं, कार्यक्रमों और परियोजनाओं को बनाने और लागू करने की प्रक्रिया है, जो एक जल सीमा में पौधे, जानवर और मानव समुदायों को प्रभावित करते हैं।

जलग्रहण की विशेषताएं जो एजेंसियां ​​प्रबंधित करना चाहती हैं, उनमें पानी की आपूर्ति, पानी की गुणवत्ता, जल निकासी, तूफान के पानी की अपवाह, जल के अधिकार, और जलग्रहण की समग्र योजना और उपयोग शामिल हैं। भूमि के मालिक, भूमि उपयोग एजेंसियां, तूफान जल प्रबंधन विशेषज्ञ, पर्यावरण विशेषज्ञ, पानी का उपयोग प्रबंधक और समुदाय सभी एक जलग्रहण के प्रबंधन में एक अभिन्न हिस्सा हैं।

झारखंड वृक्षों, जड़ी-बूटियों, झाड़ियों और अवाँछित स्थलाकृति और विभिन्न भूमि उपयोग स्वरुप के साथ जैव-विविधता की भूमि है। झारखंड जलग्रहण विकास कार्यक्रम के तहत लिया जाने वाला आदर्श राज्य है।

इसलिए, ग्रामीण विकास विभाग के तहत झारखंड सरकार ने एकीकृत जलग्रहण प्रबंधन कार्यक्रम (IWMP) के कार्यान्वयन के लिए सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम 21, 1860 के तहत 17/07/2009 को जलग्रहण विकास परियोजनाओं के लिए झारखंड राज्य जलग्रहण मिशन (JSWM) के रूप में एक राज्य स्तरीय नोडल एजेंसी पंजीकृत की है। जो जलग्रहण विकास परियोजनाओं के लिए भारत सरकार 2008 के  सामान्य दिशानिर्देश के अंतर्गत है। झारखंड सरकार ने राज्य में जलग्रहण परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए नए दिशानिर्देशों के तहत पहल की है।

तालाब की चौहद्दी-उत्तर में परमेश्वर राम कुल जमीन २ एकड़ , दक्षिण में -निज एक एकड़ , पूरब में -निज एक एकड़ ,पश्चिम में – निज एक एकड़ तालाब का कुल क्षेत्रफल -१००*१००*१० तालाब का कुल लागत २९४००० (दो लाख चौरानवे हजार)

लाभुक चन्दन ने जोगी धोकर नाला समिति जल छाजन से एक नया तालाब का मांग किया और अपनी जमीन पर तालाब का निर्माण करवाया जिसमे की जोगी धोकर नाला जल छाजन के सचिव विजय राम और अध्यक्ष मिथलेश यादव ने इन्हे तालाब निर्माण में भरपूर सहयोग कर के तालाब का निर्माण करवाया चूँकि वह स्थल जहाँ तालाब बनाया गया वहां  उबर खाबड़ जमीन था वहाँ पैर बरसात के दिनों में बरसात का पानी का ठहराओ नहीं हो पता था पानी रफ़्तार से बहते हुए अपने ढाल के दिशा की ओर बहते हुए वहाँ से काफी दूर निकल जाया करता था। जिसका कोई उपयोग नहीं हो पता था पर जबसे तालाब का निर्माण हुआ वहाँ पानी का ठहराओ होने लगा और वहाँ का जल स्तर ऊपर आया और वहाँ के जमीन को अमृत मिला पानी के रूप में जिस से आस पास धान गेहू जैसे फसल उगाया जाने लगा जोकि वहाँ का भूमि बंज़र रहा करता था और उदासीनता रहा करता था पर जल छाजन के द्वारा किया गया इस कार्य से उदासीनता खुशहाली में बदल गया और आस पास में हरयाली नज़र आने लगा चूँकि मैं संजय राम फील्ड कोऑर्डिनेटर ,गढ़वा इस समय जब यह रिपोर्ट बना रहा हूँ मई महीना का अंतिम सप्ताह है इस समय तालाब में पानी अभी भी ३ फ़ीट मौजूद है ।तालाब मालिक चन्दन कुमार का कहना है यहाँ पर आस पास के दूर दराज़ तक कही भी पानी इस तरह नहीं है जो कि पालतू जानवर और जंगली जानवर पानी पी सके इस तालाब में प्रायः यह देख सकते हैं कि दिन में पालतू जानवरों के लिए मई महीने के लहलहाती धुप में तालाब जीवनदान सा साबित हो रहा है।इस तालाब से कुछ ही दूरी पर एक छोटा सा पहाड़ है जिसमे छोटे मोठे जंगली जानवर रहा करते हैं उन्हें भी कई बार इस तालाब में पानी पीते देखा गया है। गर्मी के दिनों में जब जंगली जानवरों को प्यास लगती है तो वो रात में आस पास के गांव में पानी कि तलाश में चल पड़ते हैं और वहां कुत्ते या फिर बुरे लोगों द्वारा शिकार हो जाते हैं ।पर यह तालाब उन जंगली जानवरों के लिए वरदान साबित हुआ ।

इस तालाब में मछली पालन भी किया जाता है ।अगर सरकार पंप कि व्यवस्था कराती तो किसानो को और भी फायदा होता यहाँ पर धान ,गेंहू,मक्का,अरहर,तिल ,बूंदी,तुरई इत्यादि फसल उगाई जाती है।अगर खेतों को घेराव कि व्यवस्था होता गर्मा प्रकार के सभी फसल उगाया जा सकता था यहाँ पर दिन में पालतू जानवर और रात में जंगली जानवर के द्वारा फसक्ल के नष्ट हो जाने के चलते गर्मा फसल यहाँ के किसान नहीं ले पाते है और ये समस्या सिर्फ गर्मी के दिनों में ही होते हैं बरसात और जाड़े के दिनों में फसल ठीक रहते हैं जानवरों का प्रकोप कम रहता है।

इस प्रकार हम देख सकते हैं कि जल छाजन द्वारा तालाब का निर्माण हो जाने से खेती के साथ साथ पालतू एवं जंगली जानवरों को भी फायदा पहुंच रहा है ।

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