श्री काशी विश्वनाथ धाम: दिव्य काशी – भव्य काशी

13 Dec 2021

भारतीय संस्कृति, साहित्य और कला की राजधानी, अलौकिक ज्ञान से संपूर्ण ब्रह्मांड को आलोकित करने वाली और संसार की प्राचीनतम नगरी काशी जिसको पूर्णतीर्थ, तप:स्थली, काशिका, अविमुक्त, आनंदवन, अपुनर्भवभूमि, द्रवास तथा महाश्मशान आदि नामों से भी जाना जाता है। पतित पावनी मां गंगा के तट पर वरुणा और असि नदियों के मध्य स्थित होने के कारण इसे सारा विश्व “वाराणसी” के नाम से भी जानता है।

साक्षात भगवान शिव के विग्रह स्वरूप में विराजमान, विश्वकर्मा की सर्वश्रेष्ठ रचना काशी जिसे भगवान शिव ने स्वयं इसे आनंदकानन तदनंतर अविमुक्त और अविनाशी कहा है। मत्स्यपुराण में वर्णन आता है कि काशी ब्रह्मा जी का प्रथम स्थान, ब्रह्मा द्वारा अध्यासित, सदसेवित और रक्षित है। विश्व के सर्वाधिक प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में काशी का उल्लेख मिलता है। पुराणों के अनुसार यह आद्य वैष्णव स्थल है । पहले यह भगवान विष्णु (माधव) की पुरी थी, जहां श्रीहरि के आनंदाश्रु गिरने से बिंदुसरोवर बन गया और प्रभु यहाँ बिंदुमाधव के नाम से प्रतिष्ठित हुए।

स्कंदपुराण में काशी को भूमि का खंड न कहकर ब्रहम रसायन कहा गया है। साक्षात भगवान विश्वेश्वर ने काशीरूपी ब्रहमरसायन को त्रिलोक में सबसे प्रिय परम सौख्य की भूमि कहा है। स्कंदपुराण में ही वर्णन आता है कि यह काशीपुरी त्रैलोक्य से न्यारी एवं सनातन सत्य स्वरूपा है। काशी भगवान शंकर के त्रिशूल पर विराजित है। ऋग्वेद, अथर्ववेद, शतपथ, ब्राह्मण, गोपथ ब्राह्मण में “काशि” शब्द तथा बृहदारण्यकोपनिषद्, वाल्मीकि रामायण, महाभारत, अष्टाध्यायी सहित सभी ग्रंथों में काशी की महत्ता से संबंधित उद्धरण मिलते हैं। महर्षि व्यास ने काशी को त्रैलोक्य की नाभि बताते हुए कहा है कि संपूर्ण धरित्री की नाभिभूता शुभोदया, इस काशी का प्रलयकाल में भी प्रलय नहीं होता है। लिंगपुराण के अनुसार काशी का वैशिष्ट प्रतिपादित करते हुए साक्षात महादेव का कथन है कि वाराणसी मेरा गूढ़तम क्षेत्र है और सर्वदा प्राणियों के मोक्ष का कारण है।

काशी सदैव अध्यात्म, संस्कृति और शिक्षा का केंद्र रहा है। विश्व सदैव नए विमर्श के लिए काशी की ओर देखता रहा है। जिसे काशी ने स्वीकार किया उसे संसार ने स्वीकार किया। भारत रत्न पंडित महामना मदन मोहन मालवीय ने भी प्रयाग से आकर वाराणसी में ही काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की। विश्व में ब्रह्मोदय (संवाद) का सबसे प्रतिष्ठित केंद्र रहा है काशी। यहां संस्कृत पाठशालाओं में शास्त्रार्थ की वह प्राचीन स्थापित परंपरा आज भी जीवंत है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव जी 12 स्थानों पर ज्योतिर्लिंग के रूप में उपस्थित हैं। काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग काशी में स्थित है। काशी नगरी के उत्तर की तरफ ओंकारखंड, दक्षिण में केदारखंड और बीच में विशवेश्वरखंड है। प्रसिद्ध विश्वनाथ-ज्योतिर्लिंग इसी खंड में स्थित है। काशी की प्राचीनता के साथी भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग स्वरूप श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की भी प्राचीनता मुख्य है।

वाराणसी शहर में स्थित भगवान शिव का यह मंदिर हिंदुओं के प्राचीन मंदिरों में से एक है, जो कि गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। इस मंदिर में प्राचीन काल से भगवान शिव के ज्योतिर्लिङ्ग स्वरूप की पूजा होती है। मंदिर में मुख्य देवता का लिंग विग्रह 60 सेंटीमीटर (24 इंच) लंबा और 90 सेंटीमीटर (35 इंच) परिधि में एक चांदी की वेदी में रखा गया है। मुख्य मंदिर चतुर्भुज है और अन्य देवताओं के मंदिरों से घिरा हुआ है। परिसर में काल भैरव, कार्तिकेय, अविमुक्तेश्वर, विष्णु, गणेश, शनि, शिव और पार्वती के छोटे-छोटे मंदिर हैं। मंदिर में एक छोटा कुआं है जिसे ज्ञानवापी कूप कहा जाता है। ज्ञानवापी कूप मुख्य मंदिर के उत्तर में स्थित है।

इतिहासकारों के अनुसार श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार 11 वीं सदी में राजा हरिश्चंद्र ने करवाया था। सन 1777-80 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई द्वारा इस मंदिर का पुनः निर्माण करवाया गया। कालांतर में पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने स्वर्ण पत्रों से मंदिर के शिखरों को सुसज्जित करवाया। ग्वालियर की महारानी बैजाबाई ने ज्ञानवापी का मंडप बनवाया और महाराजा नेपाल ने वहां विशाल नंदी प्रतिमा स्थापित करवाई।

बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी को देवताओं का वास स्थान माना जाता है। यहां बाबा विश्वनाथ के अतिरिक्त अन्य महत्वपूर्ण मंदिरों की भी स्थापना समय-समय पर की गई जिनका बनारस के जनमानस में अत्यंत पवित्र स्थान है। कई मंदिरों का बाबा विश्वनाथ के दर्शन उपरांत दर्शन करना शुभ एवं अनिवार्य माना जाता है। श्री काशी विश्वनाथ धाम में माता अन्नपूर्णा का मंदिर भी स्थित है जो अत्यंत महत्वपूर्ण मंदिर है। दिनांक 15-11-2021 को कनाडा के संग्रहालय से प्राप्त माता अन्नपूर्णा की मूर्ति जो 108 वर्ष पहले भारत से जुड़ी हुई थी देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के अद्भुत प्रयास से भारत वापस लाई गई, जिसकी स्थापना प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी महाराज ने 15-11-2021 को श्री काशी विश्वनाथ धाम में की जो आज विश्व के हिंदू भक्तों के लिए दर्शनीय एवं पूजनीय है।

श्री विश्वनाथ धाम की महत्ता

श्री काशी विश्वनाथ धाम सनातन संस्कृति धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, जिसका प्रभाव संपूर्ण भारत में है। ऐसी मान्यता है कि विश्वनाथ लिंग को स्पर्श करने से भक्तजनों की 2 पीढ़ियों तक के पाप नष्ट हो जाते हैं। यहां की विशिष्ट पूजन शैली व कर्मकांड की विधियां बरबस ही भक्तों को अपनी और आकर्षित करती हैं। इन्हीं कर्मकांडीय शैलियों में से एक है “सप्तऋषि आरती”। काशी खंड में वर्णन है कि जब बाबा भोलेनाथ विश्वेश्वर लिंग की महत्व का वर्णन कर रहे थे, तो उस समय उनके एक तरफ देव और सप्तर्षियों का मंडल चारों तरफ था।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी 13 दिसंबर को वाराणसी में मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी की उपस्तिथि में काशी विश्वनाथ मंदिर गलियारे का उद्घाटन करेंगे।

विस्तार और सौन्दर्यीकरण के पश्चात 12 ज्योतिर्लिंगों में एक यह बाबा विश्वनाथ का धाम सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में तो सहायक सिद्ध होगा एवं इसकी काशी के विकास में भी अहम भूमिका होगी। इससे काशी में धार्मिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा रोजगार सृजन पर्यटन तथा औद्योगिक गतिविधियों का भी तेजी से प्रसार होगा। वाराणसी की प्रति व्यक्ति आय को बढ़ावा देने में भी सहायता मिलेगी। विभिन्न प्रकार के लघु उद्योग तथा बनारसी साड़ी कास्ट के खिलौने मीनाकारी आदि को भी बढ़ावा मिलेगा। श्री काशी विश्वनाथ धाम की स्थापना के उपरांत सेवा क्षेत्र में भी तेजी से प्रसार होगा। विभिन्न प्रकार के कार्यालयों की स्थापना, होटल, विद्यालय, शोध केंद्र, ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट आदि को भी बढ़ावा मिलेगा। बाबा विश्वनाथ धाम का वाराणसी की अर्थव्यवस्था पर सार्थक प्रभाव होगा तथा इसके माध्यम से पुनः एक बार काशी के प्राचीन वैभव की स्थापना का अवसर मिलेगा।

श्री काशी विश्वनाथ धाम का नव भव्य स्वरूप

श्री काशी विश्वनाथ धाम का मुख्य आकर्षण मंदिर परिसर के अतिरिक्त निर्मित भवनों तथा आध्यात्मिक व धार्मिक महत्व की संरचनाएं हैं। कॉरिडोर निर्माण / विस्तार के दौरान आसपास के घरों के अंदर स्थित 27 मंदिर विग्रह सहित प्राप्त हुए। इन सभी 27 मंदिरों का पुरातन भव्यता के साथ जीर्णोद्धार करके एक मणिमाला की तरह पुनर्स्थापित किया गया है।

निर्मित नवीन परिसर की विशेषताएं निम्न है –

मंदिर परिसर –

श्री काशी विश्वनाथ धाम का मुख्य आकर्षण मंदिर परिषद है जिसके प्रदक्षिणा पथ में चार भव्य द्वारों का निर्माण किया गया है। वास्तुकला के दृष्टिगत काशी की वास्तु कला तथा आध्यात्मिक भाव को समाहित करते हुए परिसर को मेहराब, बेलबूटे, स्तंभों की बनावट, प्रदक्षिणा मार्ग तथा प्रस्तर की जालियों से सुसज्जित किया गया है।

वाराणसी गैलरी –

इस भवन का क्षेत्रफल 375 वर्ग मीटर है। उक्त भवन मल्टीपरपज हॉल और सिटी म्यूजियम के बीच करुणेश्वर महादेव मंदिर के पास स्थित है। उक्त भवन की आंतरिक दीवारों पर चित्रों के माध्यम से आध्यात्मिक व धार्मिक आख्यानों का उल्लेख किया गया है।

सिटी म्यूजियम –

इस भवन का क्षेत्रफल 1143 वर्ग मीटर है, जो वाराणसी गैलरी व मुमुक्षु भवन के बीच में स्थित है। यह भवन यात्रियों को प्राचीन वस्तुओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने की सुविधा के दृष्टिगत बनाया गया है।

मुमुक्षु भवन –

उपरोक्त भवन 1161 वर्गमीटर में निर्मित है जो मंदिर चौक के भव्य द्वार के ठीक बाद स्थित है। इसे आने वाले सभी वृद्ध यात्रियों व अस्वस्थ लोगों की देखभाल के लिए निर्मित किया गया है।

वैदिक केंद्र –

यह भवन 986 वर्गमीटर में निर्मित है। भवन का निर्माण आध्यात्मिक प्रदर्शनी, सभा / समारोह आयोजित करने हेतु किया गया है।

टूरिस्ट फैसिलिटी सेंटर –

यह भवन 1061 वर्गमीटर में निर्मित है। भवन के निर्माण का उद्देश्य मणिकर्णिका घाट पर लकड़ियों का एक हाल बना कर व्यवस्थित करना तथा ऊपरी मंजिल पर यात्रियों हेतु सुविधा केंद्र बनाकर विभिन्न प्रकार की जानकारियों को उपलब्ध कराना है। उक्त भवन संपूर्ण घाट परिक्षेत्र में आने वाले यात्रियों के लिए न केवल सुविधा केंद्र होगा बल्कि घाटों के निकट होने के कारण व्यावसायिक रूप से भी महत्वपूर्ण होगा।

आध्यात्मिक बुकस्टोर –

यह भवन 311 वर्ग मीटर में निर्मित है। उक्त भवन सिटी म्यूजियम व वाराणसी गैलरी के साथ एक प्लाजा में बनाया गया है, जिसमें आध्यात्मिक पुस्तक का भंडार या दुकान होगी।

गंगा व्यू कैफे –

इस भवन का निर्माण यात्रियों श्रद्धालुओं पर्यटकों को काशी एवं मां गंगा का विहंगम दृश्य अवलोकित कराने के साथ-साथ अल्प जलपान के दृष्टिगत कराया गया है।

श्री काशी विश्वनाथ में निर्मित नवीन परिसर में इसके अतिरिक्त गेस्ट हाउस, मल्टीपरपज हॉल, यात्री सुविधा केंद्र, शॉपिंग कंपलेक्स व श्री काशी विश्वनाथ धाम में भोगशाला, बहुद्देशीय हॉल, गोदौलिया गेट, सुरक्षा भवन का भी निर्माण किया गया है, जो श्रद्धालुओं की सुविधा के साथ-साथ सुरक्षा प्रदान करने तथा धार्मिक क्रियाकलापों का अवसर प्रदान करेंगी, और जिससे नए-नए रोजगार का सृजन होगा।

इसके अतिरिक्त श्री काशी विश्वनाथ धाम में अन्य महत्वपूर्ण और अत्यंत पवित्र मंदिर जैसे कुंभा महादेव मंदिर, बालमुकुंद ईश्वर महादेव मंदिर, श्री नीलकंठ महादेव मंदिर, ब्रह्मेश्वर महादेव मंदिर, चंद्रगुप्त मंदिर, गंगेश्वर महादेव, अमृतेश्वर महादेव, जय विनायक आदि मंदिर स्थित है। इसके अतिरिक्त काशी में स्थित अन्य महत्वपूर्ण मंदिर – काल भैरव, भारत माता मंदिर, विशालाक्षी मंदिर, संकट मोचन हनुमान मंदिर, दुर्गा माता मंदिर, श्री तुलसी मानस मंदिर, महामृत्युंजय मंदिर, चिंतामणि गणेश मंदिर, बटुक भैरव मंदिर, मार्कंडेय महादेव मंदिर और बीएचयू का नया विश्वनाथ मंदिर हैं।

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