उद्यमियों के लिए जीएसटी

Ankit Kukreja
17 Jul 2017

प्रिय दोस्तों, जीएसटी पर ब्लॉग श्रृंखला में आपका स्वागत है। हमने पिछले ब्लॉग में जीएसटी के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की है, और आज हम देखेंगे कि उद्यमिता क्षेत्र में जीएसटी के प्रभाव का क्या असर पड़ेगा । जैसा आपने पढ़ा होगा, भारत सरकार ने भारत में उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं।  इस ब्लॉग में, हम देखेंगे कि उद्यमियों के लिए जीएसटी  किस  तरह से एक वरदान साबित होगी।

जीएसटी कर प्रशासन की एक पारदर्शी प्रणाली है। करदाता पंजीकरण, रिटर्न सबमिशन, कर भुगतान और रिफंड दावों सहित अधिकांश गतिविधियां  केवल जीएसटीएन पोर्टल के जरिए करेंगे और ये सब ऑनलाइन होंगे। लिहाजा  उद्यमियों को कर के बारे में चिंतित होने की बजाए अपने व्यापार पर ध्यान केंद्रित करे ताकि उनको व्यवसाय  में मदद मिलेगी।

छोटे पैमाने पर उद्यमी

कम  कारोबार के साथ काम करने वाले ऐसे उद्दमी जिनका लघु व्यवसाय 20 लाख (एन-ई राज्यों, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में 10 लाख रुपये) हे वे  जीएसटी  से बाहर हैं लिहाजा उन्हें रजिस्टर करवाने या  फिर टैक्स का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है, जब तक कि वे इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं लेना चाहते हैं । जीएसटी  अप्रत्यक्ष करों की मौजूदा व्यवस्था से एक बड़ा बदलाव है,  इसके तहत  व्यापारियों को वैट और सर्विस टैक्स के तहत पंजीकरण करना  है। मौजूदा व्यवस्था से देखे तो ये वास्तव में  उनके लिए राहत भरी खबर है। पहले , उनके कारोबार में रु10 लाख (विशेष श्रेणी राज्यों में 5 लाख रु) में पंजीकरण कराना होता था लेकिन अब पंजीकरण की प्रक्रिया दोगुनी हो गई है।

मझौले  स्तर के उद्दमी

मध्यम स्तरीय यानी मझौले व्यवसायियों के लिए जिनका कारोबार  20 लाख रूपया से अधिक है उन्हें  अनिवार्य रूप से  पंजीकरण कराना  होगा। हालांकि, व्यापार में केवल छोटे व्यापारियों, निर्माताओं और रेस्तरां  में जैसे  जहां माल की आपूर्ति की जाती है,  और जहां  75 लाख रुपये तक का कारोबार होता है (9 विशेष श्रेणी राज्यों के लिए 50 लाख), के पास कॉम्पोजीशन लेवी स्कीम के तहत कर का भुगतान करने का विकल्प होता है।  इस संरचना के तहत करदाता को राज्य के कारोबार पर केवल एक फीसद  से कम कर का भुगतान करना पड़ता है (यही रकम निर्माताओं के लिए 2% , और रेस्तरां के लिए 5%), ये भी सरल अनुपालन की  आवश्यकताओं के साथ होगा।

अन्य उद्दमी

मतलब  ये कि जिन कारोबारों का कारोबार 20 लाख रुपये से अधिक है, उन्हें जीएसटी के तहत पंजीकरण करना  अनिवार्य होगा। हालांकि जीएसटी के तहत पंजीकरण इलोगों के लिए एक वरदान साबित होगा। पंजीकरण करने के बाद कर संग्रह में सरकार के साथ सहयोग करने में सक्षम होगें । इस प्रक्रिया में करों  का कोई कैस्केडिंग नहीं होगी क्यूंकि ये  पूर्ण मूल्य श्रृंखला के साथ व्यवस्थित इनपुट होगा। इस प्रकार प्रभावी रूप से केवल मूल्य अतिरिक्त आपूर्ति श्रृंखला के हर स्तर पर कर लगाया जाएगा। जीएसटी के तहत अनुपालन सरल और आसानी से पालन करना ही मकसद है। कई छोटे व्यवसायों के लिए विशेषज्ञों की कमी होती है लिहाजा उन्हें  किराए पर संसाधनों की आवश्यकता होती है । यही वजह है कि उन्हें इसके  अनुपालन के लिए या कहें  आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक समर्पित संसासधन को तैनात किया गया है। जीएसटी के तहत अनुपालन सरल और आसानी से पालन करना है। कई छोटे व्यवसायों के लिए विशेषज्ञों को किराए पर संसाधनों की आवश्यकता होती है या उनकी अनुपालन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक समर्पित संसाधन को तैनात किया जाता है। हालांकि, जीएसटी कानून के तहत, सभी अनुपालन सुव्यवस्थित और करदाताओं के लाभ के लिए सरल बनाया गया है। एक उद्यमी “Self-Assessment’ ” मॉडल के तहत स्वयं द्वारा अनुपालन का पालन कर सकता है करों को Self-Assessment’  के आधार पर भुगतान करना है। रिटर्न GSTN पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन दायर करने की आवश्यकता है।

जीएसटीएन ऑफ लाइन उपयोगिताओं को  भी नि: शुल्क प्रदान करता है, जिससे छोटे और मध्यम करदाता इनवॉइस डेटा को इकट्ठा करने और ऑनलाइन  के बिना फाइलों को बनाने के लिए सक्षम बना सके, जिसे बाद में सुविधा के हिसाब से  पोर्टल पर अपलोड किया जा सकता है। हकीकत में सिस्टम में अपलोड किए गए इनवॉइस विवरणों के आधार पर रिटर्न की ऑटो-अप टेडजाइशन को सक्षम बनाया जाएगा । जीएसटी पोर्टल पर प्रत्येक प्रक्रिया के लिए एम्बेडेड वीडियो के साथ कम्प्यूटर आधारित प्रशिक्षण सामग्री(Computer Based Training materials (CBTs) उपलब् कराया गया हैं ।  कुल मिलाकर इस  प्रणाली को इस तरह से डिजाइन किया गया है इस पूरे प्रक्रिया से परिचित होने के बाद   टैक्पेयर सबकुछ खुद कर सकता है,  एक शब्दों में कहें तो जीएसटी ““Do it Yourself model”.” सिद्धांत पर ही  काम करता है

ये समान कर कानून और नियम पूरे देश में लागू होंगे। जीएसटी लागू होने के बाद भारत एकीकृत बाजार में परिवर्तित होने की राह में आगे बढ़ेहा और अगर कहें तो इसकी वजह से   व्यापार का दायरा भी  कई-गुना बढ़ा देगा। हालांकि प्रवेश करों के रूप में  फिलवक्त बनावटी अवरोध भी होगा।

जीएसटी के तहत प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण

जीएसटी अपने उत्पादों और सेवाओं के लिए सर्वोत्तम मूल्य सुनिश्चित करने के लिए व्यवसायों की सहायता करने में एक  कारक होगा। कीमतों में अब लागतों में लगाए गए करों की लागत नहीं होगी और परिणामस्वरूप उद्यमियों को प्रतिस्पर्धी कीमतों की पेशकश और ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए बेहतर स्थिति होगा।

तार्किक गतिविधियों में सुधार

जीएसटी की बदौलत भारत  में व्यवसायिक दक्षता में भी  सुधार होगी और ई-कॉमर्स और परिवहन के माध्यम से सामानों की आपूर्ति में शामिल अन्य व्यवसायों की लाभप्रदता में सीधे-सीधे  योगदान करेगा। जीएसटी ने व्यापक और अनावश्यक कागजी कार्यवाही के बिना राज्य की सीमाओं में माल की निर्बाध आवाजाही का वादा किया। आज तक, 22 राज्यों ने अपनी सीमा जांच  के काम को समाप्त कर दिया है और 8 राज्यों में ये फिलवक्त इस  प्रोसेस में लगे  है। इन उपायों के साथ, सड़क परिवहन का समय काफी कम हो जाएगा। माल की त्वरित और समय पर वितरण  या कहें डिलवरी होगी। इस तरह हम कह सकते हैं कि ‘ Just-in-Time ‘ यानी  जीएसटी की वजह से निर्माण और आपूर्ति  प्रक्रिया प्रोत्साहित होगी और  जो व्यापार व  उद्यमी के वित्तीय हालत में काफी सुधार करेगी और वर्किंग कैपिटल  पर दबाव  भी कम कर देगी।

व्यापार की नकदी और कार्यशील पूंजी प्रवाह में सुधार

उद्यमी आज बड़ी नकदी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं । कई बार कामकाजी पूंजी करों और रिफंड दावों में अवरुद्ध हो जाता है। जीएसटी के तहत आईटीसी तंत्र का लक्ष्य केवल यही रोकना है। इसके अलावा, रिफंड प्रक्रियाएं पूरी तरह से ऑनलाइन  होगी और जीएसटी के तहत सुव्यवस्थित हैं,  तय समय सीमा  के बीच दावेदारों के बैंक अकाउंट में  ऑनलाइन रिफंड क्रेडिट हो जाएगा। इसके अलावा, टैक्स का भुगतान अगले महीने के 20 वें तारीख तक किया जाना चाहिए, अर्थात जुलाई 2017 के महीने में किए गए आपूर्ति के लिए सरकारी खाते में कर भुगतान को 20 अगस्त 2017 तक करना होगा। ये उपाय महत्वपूर्ण व्यवसायों के नकदी प्रवाह में सुधार और यह सुनिश्चित करने के लिए  होगा कि कहीं  पूंजी टैक्स प्राधिकरणों की तरफ से  इसे अवरुद्ध तो नहीं हो रही है।

निर्यातकों में बूस्ट

निर्यातकों  के लिए जीएसटी बेहद लाभान्वित होने वाला  हैं। निर्यात किए गए सामानों पर IGST का भुगतान स्वचालित रूप से वापस किया जाएगा, जब सामान वापसी के दावों के संबंध में सामान के समान निर्यात किया जाता है। सर्विस एक्सपोर्टर्स  हासिल करने के लिए आपूर्ति (दोनों आवक और जावक) को  शून्य रेटेड होनी चाहिए। इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा वापसी के लिए लचीलापन बना  दिया गया है  .. निर्यातकों को टैक्स के भुगतान और इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के दावों के रिफंड के बिना निर्यात करने के लिए लचीलापन किया गया है। या फिर एकीकृत टैक्स के भुगतान पर निर्यात और आईजीएसटी के दावे वापसी का भुगतान ….निर्यातकों के किसी भी रिफंड दावे को दर्ज करने के बिना माल के निर्यात के समय स्वचालित रूप से किया जाएगा। शिपिंग बिल को ही रिफंड के दावे को माना जाएगा।  ये राशि ऑटोमेटिक रूप से निर्यायक के  खाते में  जमा हो जाएगा या कहें क्रेडिट हो जाएगा। अन्य निर्यातों के संबंध में  शुल्क के भुगतान या सेवाओं के निर्यात के बिना निर्यात योग्य राशि के 90% की अस्थायी वापसी  होगी वह भी दावे की पावती की तारीख से 7 दिनों के भीतर दी जाएगी।

कम्प्लाइअन्स रेटिंग प्रणाली

इन सब के अलावा एक कम्प्लाइअन्स रेटिंग प्रणाली होगी, जो सभी व्यवसायों को हर स्तर पर  रेटिंग करेगा। व्यवसाय का कर अनुपालन रिकॉर्ड जो बेहतर होगा उसकी उच्चतर रेटिंग होगी। ये रेटिंग  ….एक विशेष विक्रेता के साथ भागीदारी के जोखिम का आकलन करने के लिए संभावित ग्राहकों के लिए एक मार्गदर्शक होगा। जीएसटी अनुपालन वास्तव में बेहतर मात्रा में और व्यापार में मार्जिन का परिणाम कर सकता है। इससे उद्यमियों को बेहतर रेटेड आपूर्तिकर्ताओं से सामान / सेवाओं के स्रोत में मदद मिलेगी, इस प्रकार अच्छे व्यापार को बढ़ावा दिया

निष्कर्ष

आखिर में निष्कर्ष  के तौर पर कहें तो  जीएसटी सभी प्रकार के उद्मियों के लिए लाभान्वित  करने वाला होगा।ये  भारत में अप्रत्यक्ष कर प्रशासन में परिवर्तनकारी बदलाव के साथ याद किया जाएगा । व्यवसाय करने वाले उद्मियों  के लिए  जीएसटी उदार और सहायक साबित होगा या कहें काफी मददगार और बेहतर होगा

 

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