गंगा की सफाई
ी नई पहल “मेरी सरकार” गंगा की सफाई के लिए सुझाव आमंत्रित करती है।
गंगा नदी की स्थिति में सुधार लाने हेतु मोदी सरकार हाल में शुरू की गई “मेरी सरकार” की गंगा की सफाई की पहल के माध्यम से देश के सबसे बड़े हितधारकों-देश की जनता से उनके सुझाव चाहती है।
18,000 से अधिक सदस्य अब तक इस समूह से जुड़ चुके हैं और इसके लिए दिए गए कार्यों में से 9 कार्यों, जिसमें सरकार के लिए योजना तैयार करने से लेकर बाहरी कार्य आते हैं, पर लोगों ने काम करना शुरू कर दिया है।
पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ—साथ गंगा को साफ़ रखने के लिए सदस्यों द्वारा बेहतरीन सुझाव दिए गए। नदी के किनारे के सौंदर्यीकरण और उत्सव के दिनों में सफाई रखने के लिए नदी के किनारे से थोड़ी दूरी पर वाणिज्यिक क्षेत्र बनाने के सुझाव को सदस्यों द्वारा अधिक पसंद किया गया। इसके अलावा मनरेगा को गंगा सफाई अभियान से जोड़ने का भी सुझाव दिया गया जिसमें यह भी कहा गया कि दिहाड़ी मजदूरों द्वारा घाट की सफाई कराई जाए। सफाई कर्मचारियों के कार्य को आसान बनाने के लिए अलग कूड़ेदान लगाने के भी सुझाव मिले। वहीँ लगभग सभी सदस्यों की मांग थी कि जो लोग कानून का उल्लंघन कर नदी को प्रदूषित करते हैं उन्हें कड़ी-से-कड़ी सजा दी जाए।
यह भी सुझाव दिया गया कि धार्मिक अनुष्ठानों के लिए एक अलग जगह बनाई जाए जिसमें मछली पकड़ने वाला जाल लगा हो जिससे गंगा में लोगों द्वारा चढ़ाये गए चढ़ावे को आसानी से बाहर निकाला जा सके। इसके किनारे पर अधिक-से-अधिक पेड़ लगाना, खासकर औषधीय जड़ी बूटियां लगाना एक अन्य सुझाव था। स्वाभाविकतः सभी सदस्य उद्योगों द्वारा दूषित पानी गंगा में डाले जाने पर तुरंत रोक लगाना चाहते थे।
पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ गंगा की सफाई हेतु प्रस्तावित जलमार्ग और अन्य पहल से संबंधित सुझाव लोगों की गंगा के लिए उनकी चिंता दर्शाता है। कुछ सदस्यों ने हर 100 किलोमीटर के लिए अलग कार्य-दल लगाने के भी सुझाव दिए। इसके अलावा कुछ लोग चाहते थे कि गंगा को अत्यधिक प्रदूषित, मध्यम प्रदूषित आदि विभिन्न क्षेत्रों में वर्गीकृत किया जाना चाहिए। कई सदस्यों ने इको-एथनो उद्यान स्थापित करने का सुझाव दिया, जैसे – सिंगापुर का सेंटोसा द्वीप, जहां घाट के किनारे स्थित मंदिर प्रकृति का पोषण करते हैं और जहाँ वीडियो और फोटो प्रदर्शनियां पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए आयोजित की जाती हैं।
कई सदस्यों ने गंगा नदी पर सीसीटीवी लगाने का सुझाव दिया और जो लोग नदी को प्रदूषित करते हुए पकडे जाएँ उनको गंगा नदी से संबंधित एक किताब दी जाए और उन्हें बताया जाए कि प्रदूषण सभी के लिए कैसे हानिकारक है। इसके अलावा जल परिवहन के बुनियादी ढांचे के विकास के बाद नदी को साफ करने के लिए नावों का प्रयोग करने के लिए भी सुझाव मिले। एक सुझाव यह भी था कि नदी को पुराने शहर की सड़कों की तरह विस्तृत किया जाए। सदस्यों के अनुसार, जैसे पुरानी सड़कों पर पुल या बाईपास बनाकर इसे विस्तृत एवं खुला किया जाता है। उसी प्रकार हमें गंगा के लिए बाईपास बनाकर दैनिक कार्य के लिए उस छोटे हिस्से का प्रयोग कर मुख्य नदी को प्रदूषण मुक्त रखना चाहिए। दैनिक कार्य के लिए उपयोग किये गए उस हिस्से का पानी साफ़ करने और निस्पंदन के बाद ही मुख्य नदी में छोड़ा जाए (जिस प्रकार राजमार्गों पर साइकिल चलने की अनुमति नहीं होती)।
सभी सदस्यों ने माना कि गंगा की सफाई हेतु सबका एकीकृत होकर कार्य करना आवश्यक है। एकीकरण के लिए सदस्यों द्वारा दिए गए कुछ सुझाव:
- गंगा की सफाई जैसे बड़े और जटिल कार्य के लिए निश्चित रूप से योजना का निर्धारण करना और उसके अनुसार कार्य करना आवश्यक है। लेकिन योजना प्रमुख हितधारकों के निम्न बातों को ध्यान में रखते हुए बनाई जानी चाहिए- शहर के बुनियादी ढांचे, धार्मिक भावनाओं और गंगा की सफाई का पर्यावरण पर प्रभाव।
- सबसे पहले औद्योगिक कचरे को नदी में नहीं डाला जाना चाहिए। उद्योग स्थापित करने के लिए पर्यावरण संबंधी जांच सूची होनी चाहिए जिसमें उद्योग द्वारा नदी प्रदूषित करने पर भारी जुर्माना लगाये जाने के बारे में जानकारी दी गई हो।
- केन्द्रीय योजना व्यापक दिशा प्रदान करने और उपलब्धियां हासिल करने के लिए आवश्यक है लेकिन स्थानीय हितधारकों को भी शामिल करना उतना ही महत्वपूर्ण है। मछुआरे और नाविक सदियों से अपनी आजीविका के लिए नदी पर निर्भर हैं। उनको केंद्रीय संस्था को बुनियादी स्तर पर अपनी राय देने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है जिससे इसकी उचित निगरानी और संसाधनों के प्रयोग को सुनिश्चित किया जा सके।
अगर आप भी गंगा नदी की सफाई में अपना योगदान देना चाहते है तो “मेरी सरकार” पर लॉग इन कर चर्चाओं में भाग लें और दिए गए कार्य करें।
आप साइन इन कर इस समूह से जुड़ सकते हैं।
Mackinac island in USA don’t allow motor vehicles to protect their environment.They use bicycle and horses for transportation. similarly banning motor vehicles in Kashi,i believe will, protect the environment. Transportation can be provided by rickshaw, horses, bullocks etc.
all the technologies related to transport redistilled electricals and all the technologies must be implemented in vague.
nano,pico femto,atto technologies must be developed in all the fields for job creation in nation by seeking permission from u.s.a and other european nations.
100% f.d.i must be given to ayurveda naturopathy.
re distiled technologies must be taken from japan which in case used for electricity.
I am working from the last 27 years on various enviornmental issues. water quality assrssment during mass bathing of River ganga was one of the challenging issue. I had very good eposure of the social aspect of the river contamination. I wish to contribute my knowledge and eperience for this mission. Kindly advise how can I contribute in the Ganga Cleaning mission.
All above suggestion are goog like CCTV camera,TRees to installed,Connect with MANREGA. But I think most important is the people associated with this task (from bottom to top people) had a good mindset because those people are there who actually doing job so they should understand importance of job and they also need to encourge all people who visit or stay near Ganaga.Need to motivate people working for this project to understand importance of Ganga cleaning.
Thanks
Bioremediation be explored in conjunction with other solutions? These technologies have developed substantially, are economical , indigenous, flexible and can be implemented easily.
For all towns and cities along the bank of the Ganga,a survey be made of number of points at which sewage is being directly discharged into the river.A few such points wherever feasible be joined together and sewage treatment plant be set up.This should be the first priority of ganga cleaning action plan to be followed by other measures like educating the general public not to pollute the river by immersing idols and flowers after every major puja and do so in designated water bodies.