जलागम प्रबंधन

नवम्बर 24, 2015

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भूमि संसाधन विकास, ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा “जलागम प्रबंधन में सामुदायिक भागीदारी” पर चर्चा के लिए एक पहल की शुरुआत की गई थी जिस पर नागरिकों ने अपनी भारी प्रतिक्रिया दी। इस विषय पर हमें कई उपयोगी सुझाव और विचार प्राप्त हुए।

चर्चा में प्रतिभागियों का उत्साह देखकर यह ज्ञात हुआ कि सभी लोग देश में पानी की उपलब्धता के विषय को लेकर चिंतित हैं। उनमें से कुछ प्रतिभागियों द्वारा अत्यंत रोचक विचार और सुझाव पेश किए गए जिनमें से कुछ सुझावों का उल्लेख यहाँ किया जा रहा है।

जलागम प्रबंधन का पर्याय आज गरीबी उन्मूलन से लिया जाता है। अनेक लोगों द्वारा जलागम प्रबंधन के लिए सामुदायिक भागीदारी का सुझाव दिया गया है। उनके द्वारा समाज के सभी वर्गों को इस कार्य से जुड़ने का सुझाव भी दिया। साथ ही जलागम प्रबंधन के सिद्धान्तों पर चलते हुए जल संचयन के काम से जुड़े लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए भी सुझाव दिए गए। कृषि और बागवानी की सिंचाई में पानी का सदुपयोग करने के लिए सभी लोग ड्रिप सिंचाई के प्रयोग पर एकमत थे। उनमें से कुछ लोगों के द्वारा जल प्रयोग करने की पुराने तरीकों, बढ़ती मांग, भूमि उपयोग में परिवर्तन, और बदलते मौसम पर भी ध्यान परिलक्षित किया गया जिनके कारण जल प्रबंधन का खर्च लगातार बढ़ रहा हैं। इंजीनियर द्वारा सुझाए गए समाधान ‘प्राकृतिक बुनियादी सुविधाओं’ के साथ एकीकृत जल प्रबंधन कार्यनीतियों में निवेश करके जल प्रबंधन की लागत को कम किया जा सकता है, अधिक सेवाएँ प्रदान की जा सकती हैं और समुदायों एवं पर्यावरण दोनों को लाभान्वित किया जा सकता है।

सबसे अधिक ध्यान स्वस्थानी मिटटी की नमी को बचाने पर दिया गया। बांध निर्माण करने की तुलना में भूमि के स्वामित्व, समोच्च मेड़, नाली अवरोधक, ढालू भूमि का स्थिरीकरण इत्यादि विषयों को अधिक महत्व दिया गया। जलभृतों, कृषि भूमि में वर्षा जल का संरक्षण, जल संचयन के लिए कम लागत के ढांचों का निर्माण करना और तालाबों, कुण्डों और अन्य पारंपरिक जल संचयन के अतिक्रमण को रोकने के लिए भी कई सुझाव दिए गए। जलागम प्रबंधन के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों को साझा करने के सुझाव भी दिए गए।

जल प्रबंधन से जुड़े कई अन्य विषयों जैसे कि शहरों में वर्षा जल का संचयन, शहरों से स्रावित पानी का संग्रह कर उसका प्रयोग करना और देश को जोड़ने वाली नदियाँ इत्यादि विषयों पर भी सुझाव साझा किए गए जो कि जलागम प्रबंधन का हिस्सा नहीं थे।

हम नागरिकों द्वारा दिए गए सुझावों/विचारों को एक दस्तावेज़ के रूप में लाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। निश्चित ही यह सुझाव विभाग द्वारा चलाए जा रहे इस कार्यक्रम को सकारात्मक रूप से प्रभावित करेंगे।

इस विषय पर चर्चा सितम्बर 2014 से की जा रही है और हमें दो हज़ार से अधिक सुझाव प्राप्त हुए है और नागरिकों द्वारा इस महत्वपूर्ण प्रयोजन हेतु काम भी किया गया है।

हमें आशा है कि आप अपनी भागीदारी इसी प्रकार बनाए रखेंगे और अपने विचारों और सुझावों द्वारा हमें अपना सहयोग देते रहेंगे। हम अपेक्षा करते है कि आगे भी प्रतिभागियों द्वारा चर्चा के विषयों पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा जिसके द्वारा आपके ज्ञान, अनुभव और सुझावों को उपयोगी तरीके से साझा किया जा सके।

इस चर्चा में भाग लेने के लिए सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद!

जलागम प्रबंधन दल, भूमि संसाधन विभाग