डिजिटल इंडिया

अगस्त 8, 2014

ार जोर दिया है। मेरी सरकार (माय गोव) पर डिजिटल इंडिया समूह इस लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

यह मेरी सरकार (माय गोव) साइट पर सबसे तेजी से बढ़ते समूहों में से एक है जिसमें 37,590 सदस्य शामिल हैं और यह उन सदस्यों के लिए खुला है जो डिजिटल प्रौद्योगिकी, जैसे – क्लाउड कम्प्यूटिंग और मोबाइल अनुप्रयोगों (एप्लीकेशन) को वरीयता देते हैं। इस समूह का उद्देश्य “माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल भारत के सपने को पूर्ण करने के लिए नवीन विचार एवं व्यावहारिक समाधान देना है।”

इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए आपको साइट पर पंजीकरण कराना होगा एवं अपनी पसंद से एक समूह का चयन करते हुए उसमें दिए गए किसी एक कार्य को चुनना होगा

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समूह पृष्ठ की टिप्पणियां में निम्नलिखित शामिल हैं –

  1. भारतीय किसानों को आईटी क्षेत्र से लाभ मिलना चाहिए। कृषि उत्पादन, मृदा संबंधी विवरण और बिक्री मूल्य का विश्व की कीमतों के साथ तुलनात्मक अध्ययन, इन तीनों को एक साथ जोड़ देना चाहिए। अगर हमारे पास बोये गए बीज संबंधी विवरण होगा तो हम उत्पादन का स्वरुप पता लगा सकते हैं।
  2. अब भारत में सरकारी कर्मचारियों के तकनीकी रूप से उन्नयन की आवश्यकता है। हर रिकॉर्ड बढ़ाने के लिए डेटाबेस में हरेक विवरण रखना आवश्यक हो गया है ताकि प्रदर्शन, सुरक्षा, रखरखाव को बेहतर किया जा सके।
  3. सभी विद्यालयों में सेंट्रल सर्वर होना चाहिए जो सभी प्रकार के ई-प्रशिक्षण सामग्री (खंड के आधार पर शिक्षकों एवं छात्रों, दोनों के लिए) से परिपूर्ण सेंट्रल क्लाउड से जुड़ा होगा। वर्ग 6 से ऊपर के सभी छात्रों को टेबलेट, जैसे – आकाश दिया जाना चाहिए लेकिन 3000 रूपये के आस-पास मूल्य के ये टेबलेट अच्छी गुणवत्ता वाले होने चाहिए जो उन्हें आसानी से उनके स्कूल सर्वर से जोड़ सके। सभी ई-सामग्री क्षेत्रीय भाषा एवं अंग्रेजी भाषा में होनी चाहिए। 100% की अनुवृत्ति (सब्सिडी) केवल उनलोगों को दी जाए जो इस संबंध में बिल्कुल असमर्थ हैं।
  4. प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए सेवाओं का डिजिटलीकरण पारदर्शिता, जिम्मेदारी और त्वरित बदलाव लाने में अहम है। लोगों को इसकी महत्ता के बारे में बताना एवं इसका व्यापक उपयोग निजी क्षेत्र की भागीदारी को सुनिश्चित करेगा, जैसे – टीसीएस द्वारा पासपोर्ट प्रक्रिया की शुरूआत। सरकार को लोगों को शिक्षित करना चाहिए और मोबाइल उपकरणों पर आसानी से इंटरनेट की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए। सभी क्षेत्रीय और सहकारी बैंकों को एटीएम सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
  5. आरएफआईडी अर्थात रेडियो आवृत्ति पहचान बार कोड पहचान के समान ही एक तकनीक है। यह छोटे इलेक्ट्रॉनिक चिप के साथ एकीकृत किया जा सकता है और एकल उपयोगकर्ता की पहचान के लिए व्यक्तिगत फोनों में इस्तेमाल किया जाता है, उसके द्वारा किये गए लेन-देन में, खरीददारी, यात्रा, होटल एवं रेस्तरां के बिल, बिजली, पानी, गैस, बस, ट्रेन, हवाई जहाज, नौकायान इत्यादि से संबंधित बिल…सभी प्रकार के बिल का एक जगह समाधान।
  6. बेहतर संचार, जानकारी साझा करने और हमारे देश के डिजिटलीकरण के लिए संपूर्ण भारत में मुफ़्त वाईफ़ाई सक्रिय किया जाना चाहिए।
  7. हरेक गांव में ई-सेवा केंद्र स्थापित किये जाने चाहिए ताकि लोगों को सभी सरकारी सेवाएँ एक ही जगह उपलब्ध कराई जा सके।
  8. जब हम इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से लाभ उठाई जाने वाली सेवाओं को अधिक से अधिक जोड़ेंगे, स्वाभाविक रूप से लोग इसकी तरफ आकर्षित होंगे। एक निश्चित स्तर पर पहुँचने के बाद कुछ सेवाएँ केवल इलेक्ट्रॉनिक माध्यम में ही उपलब्ध रहेंगी। केरल का “अक्षय केन्द्र” मॉडल सभी स्थानों पर बड़ी संख्या में सेवाएँ उपलब्ध कराने में बेहद सफल रहा है। लोग वहाँ जाकर सेवाओं के लिए आवेदन कर सकते हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रसंस्कृत की जाएगी और एक निश्चित समय के भीतर सेवाएँ उपलब्ध करा दी जाएँगी। कोई रिश्वत नहीं, कोई चिंता नहीं।
  9. न्यायिक प्रणाली को डिजिटल प्लेटफार्म पर लाकर उसे पुलिस विभाग, सीबीआई, फोरेंसिक आदि के साथ जोड़ा जाए ताकि अवांछित एवं जटिल प्रक्रिया से बचा जा सके।
  10. ई-वोटिंग के माध्यम से छात्रों को मतदान का अधिकार दिया जाए। दूर जाकर पढ़ाई कर रहे छात्र चुनाव के समय दूरी की वजह से मतदान नहीं कर पाते हैं। यहां तक ​​कि बहुत से छात्र इस चुनाव में भी मतदान नहीं कर सके। ई-वोटिंग के लिए एक अलग वेबसाइट शुरू की जानी चाहिए। अगर एक छात्र अपने सही प्रलेखों के साथ ऑनलाइन वोटिंग के लिए अनुरोध करता है तो उसे एक पासवर्ड भेजा जाना चाहिए ताकि वह ई-वोटिंग कर सके।
  11. सरकार ने पहले ही ‘भारतीय नागरिक पहचान कार्ड’ (आईसीआईसी) परियोजना के रूप में एक सही कदम उठाया है। इस केंद्रीय डेटाबेस में सभी नागरिकों से संबंधित सभी जानकारियां, जैसे – जन्म तिथि प्रमाण-पत्र, शैक्षिक प्रमाण-पत्र, वोटर पहचान-पत्र, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन, पासपोर्ट, गैस, बिजली, टेलीफोन उपभोक्ता आईडी, बैंक खाता संख्या, बॉयोमीट्रिक्स, बीमा, वाहन पंजीकरण इत्यादि होनी चाहिए। सभी नागरिकों को एकल डिजिटल आईसीआईसी या एक नंबर दिया जाना चाहिए। लोगों को यह नंबर याद रखना चाहिए। उस कार्ड या नंबर को सभी तरह की आवश्यकताओं, चाहे बच्चों का स्कूल में दाखिला हो, अस्पताल में भर्ती करने के समय, यातायात चौकियों, बीमा लेने के समय, रेल / हवाई टिकट, रंगीन टीवी खरीदने के समय, के लिए अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए। सभी सरकारी या निजी निकायों को मोबाइल के एक आसान अनुप्रयोग (एप्लीकेशन) के माध्यम से आईसीआईसी नंबर सत्यापित करने होंगे जिसमें अनुप्रयोग (एप्लीकेशन) में आईसीआईसी नंबर डालते ही नागरिकों के सारे विवरण देखे जा सकते हैं। यह अनुप्रयोग (एप्लीकेशन) अंगूठे के निशान से भी सत्यापण कार्य कर सके (तकनीक के माध्यम से यह संभव है)। इससे न सिर्फ़ नागरिकों को आसानी होगी बल्कि भ्रष्टाचार कम करने में भी मदद मिलेगी। मैं प्रधानमंत्री कार्यालय से अनुरोध करता हूँ कि वे इस पर पूरा पीपीटी प्रस्तुत करने के लिए लोगों को आमंत्रित करें ताकि हम इस विचार को सबके साथ विस्तार से साझा कर सकें।

आप भी वर्तमान में चल रहे छह कार्यों में से किसी एक में भाग लेकर डिजिटल पहल का एक हिस्सा बन सकते हैं।

चर्चा करें, अपने विचार साझा करें और इस प्रक्रिया की शुरुआत करें!

आप साइन इन कर समूह में शामिल हो सकते हैं।