मेरीसरकार योगदानकर्ताओं को मेरीसरकार के अनुभव पर 1 जुलाई 2015 को प्रधानमंत्री से मिलने का अवसर
दीक्षा कट्याल, नई दिल्ली
हमारा देश विविधतापूर्ण और बहुमुखी होते हुए भी व्यावहारिक रूप से सौंदर्यपूर्ण है। हालांकि, दुनिया भर का भ्रमण करने के बाद मुझे एहसास हुआ की हमारा देश एक और मामले में अन्य देशों से अलग हैं। हम सभी को देश के राजनीतिक मुद्दों के बारे में पता है और राजनीतिक रूप से स्वच्छंद हैं। हमारे “चौपाल” या “बोर्डरूम विचार विमर्श”, में हमेशा लोगों को सरकारी सेटअप कि खामियों पर चर्चा और सरकार की ओर से इन मुद्दों का समाधान करने के लिए क्या किया जा सकता है, इस पर चर्चा करते हुए देखा जा सकता है।
शायद, www.MyGov.in की स्थापना इन्हीं सुझावों और विचारों को ध्यान में रखते हुए किया गया है। हमारी पृष्ठभूमि, उम्र, सांस्कृतिक मतभेदों और पदानुक्रम के भिन्न होने के बाद भी हम देश के शासन में भाग ले सकते है। इसके माध्यम से देश का हर नागरिक अपनी रुचि के क्षेत्र के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों में योगदान कर सकता है। “योगदान के बजाय निंदा” के विचार को छोड़कर मैंने अपने अनुभव और विशेषज्ञता के क्षेत्र में योगदान करने के लिए इस अवसर का लाभ उठाया। मैंने “गंगा एक्शन प्लान” के लिए वास्तविक समय नेटवर्क का इस्तेमाल करने और इसे गंगा के कमजोर क्षेत्रों का सीमांकन कर भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) के साथ जोड़ने का सुझाव दिया।
मैंने कई लोगों को www.MyGov.in पर अपने सुझाव साझा करते हुए देखा जिनमें से अधिकांश सुझाव सराहनीय थे। थोड़ी देर के लिए मैंने सोचा की कहीं न कहीं कोई इन सभी विचारों की स्क्रीनिंग और उन्हें पढ़ने के चुनौतीपूर्ण कार्य में लगा होगा। जब मुझे मेरीसरकार द्वारा फोन आया और मुझे बताया गया की मेरा योगदान विचार के योग्य पाया गया और मैं व्यक्तिगत रुप से माननीय प्रधानमंत्री से मिल सकती हूँ तो, मेरी पहली प्रतिक्रिया अविश्वासपूर्ण थी। 1 जुलाई 2015 को मेरा सपना पुरा हुआ। मैंने देश के सच्चे ऑइकन, श्री नरेन्द्र मोदी को सुना और उनसे हाथ मिलाया। उनके प्रेरणादायक शब्द मुझे आने वाले वर्षों में भी प्रेरित करेंगे। मेरा सपना मेरीसरकार टीम के सराहनीय प्रयासों के द्वारा ही पुरा हो सका। उनके विनम्र व्यवहार ने मेरे जीवन में हजारों सुनहरी यादें जोड़ी है।
एक इरास्मस होने के नाते, मैंने www.MyGov.in मेरे अंतरराष्ट्रीय साथियों के समूह के साथ तस्वीरें खिंची और बैठक भी की। मैंने “भागीदारी विकास” की विधा द्वारा सरकार के काम की सराहना के लिए कई बधाई संदेश प्राप्त किए जिसने ‘भारत’ के प्रति उनकी धारणा को बदल दिया है। उनमें से कई संदेशों को नागरिकों ने अपने-अपने देशों में दोहराने की कामना की है। मैंने सोचा की “125 करोड़ नागरिक देश को एक बेहतर देश बनाने के लिए एकजुट होकर कार्य करेंगे तो देश कैसा लगेगा?” हम एक शासी हो जाएँगे और सरकार के लिए हमारी कभी न खत्म होने वाली दुर्भावना खत्म हो जाएगी। इस प्रकार मैं द्श के सभी नागरिकों से न केवल वोट बल्कि अपनी राय द्वारा भी इस क्रांति में भाग लेने के लिए आग्रह करती हूँ। भारत को एक महान भारत बनाने का सपना देख सकते हैं और इसमें रहने की इच्छा करते हैं….
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गाँव के बारे में भी सोचो सर
nice sir