स्वच्छ भारत अभियान – स्थानीय निर्वाचन क्षेत्रों में व्यवहार में बदलाव लाने की जरूरत

26 Jul 2017

जब  हमारे प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत अभियान  शसुरू किया , जिसके तहत भारत भर में  सट्रीट, सड़क को साफ करने और बुनियादी सुविधाओं  को मजबूत करना था तोकई संशयवादियों ने दावा किया ता कि  ये भी  “एक नया बोतल में पुरानी शराब” का सिर्फ एक मामला अभियान  होगा । उनका संशय जायज भी था क्योंकि  इससे पहले की सरकारों ने … संपूर्ण स्वच्छता अभियान और निर्मल भारत अभियान जैसी कई  असफल  योजनाओं की शुरुआत कर चुकी थी

लेकिन, पिछले सरकार की योजनाओं के विपरीत इस अभियान को विवादित नहीं किया जा सकता है  क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद स्वच्छता के मुद्दे पर ना केवल प्रकाश  डाला बल्कि इसे राष्ट्रीय एजेंडा पर  लाने या कहें डालनें में भी कामयाब रहे। यही वजह है कि ये अभियान सही तरीके से चल रहा है।

हम ये सुनिश्चित करना होगा कि  स्वच्छ भारत अभियान  अपनी गति  ना  खोए  , हमने देखा है कि केवल शौचालय का निर्माण ही  समाधान  नहीं है। हमें एंड-टू-एंड समाधान की जरूरत है।अगर हम एक स्वच्छ भारत को लेकर गंभीर हैं तो उसके लिए हमें लोगों के व्यवहार में परिवर्तन तो लाना ही होगा ..साथ ही स्थानीय सरकारों  को भी इसके प्रति जागरूक करना होगा। एक समय सीमा इस योजना को पूरा करने में प्रभावी हो सकता है, लेकिन इसके लिए जरूरत है एक दृढ़ इच्छा शक्ति की…साथ ही  एक मजबूत नेतृत्व और ज़मीनी स्तर और राज्य में सक्रिय नागरिकों की भागीदारी के साथ। यदि सब लोग मिलकर एक साथ सहयोग करेंगे तो ये काम असंभव नहीं है।

बैंगलुरू का एक विधानसभा क्षेत्र है  मलेश्वरम, इस विधानसभा क्षेत्र ने  इस दिशा में एक बढ़िया उदाहरण पेश का है| एक साल के अंदर लॉन्च हुए इनका अपना कार्यक्रम’ स्मार्ट स्वच्छ मालेश्वरम ‘काफी सफल रहा। यहां के स्थानीय एमएलए डॉ अश्वथनारायणम  के नेतृत्व में ये क्षेत्र  ब्लैक स्पॉट मुक्त क्षेत्र घोषित हो चुका है । आज यानी अब अभियान प्रौद्योगिकी समर्पित स्वयं सेवा के एप्लिकेशन रजिस्टर शिकायतों  की मदद से  तत्काल कार्रवाई के लिए प्रयास किए जाते हैं और लोगों को इसके लिए  संयोजित किया जाता है । इतना ही नहीं इस इलाके में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का भी बेहतरीन तरीके से उपयोग किया जा रहा है। सभी वार्ड में सूखी अपशिष्ट संग्रह केन्द्रों (Dry waste Collection Centres) की स्थापना  की गई है| एक कार्बनिक अपशिष्ट खाद, गीला बेकार और एक जैव गैस प्लांट से पचास स्ट्रीट लाइटों के लिए बिजली प्रदान की जाती है। डोर-टू-डोर कचरे  को  जमीन पर फेंक नहीं दिया जाता  है ,  यहां ये सुनिश्चित  किया जाता है कि  हर ब्लाक से कचरे का संग्रह ठीक तरीके से होता है या नहीं  साथ ही उसका परिवहन ठीक से किया जाता है या नहीं। मतलब  ये कि हर ब्लॉक के लिहाज से स्मार्ट संग्रह और परिवहन के साथ एकीकृत  काम है। कोई भी कचरा ग्राउंड में नहीं फेंका जाता है। सॉलिड वेस्ट प्रोग्राम के जरिए अब तक कुल 36 निजी शौचालयों का नवीनीकरण किया गया है जबकि 25 और जन शौचालयों का नवीनीकरण आने वाले साल में होगा।

पहले

अब

स्वच्छ भारत अभियान  जो इसी तरह की  एक महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय एजेंडा  है | वह भी  लंबे समय तक सफल होगा  जब केंद्र और स्थानीय सरकार स्तर पर एक मजबूत नेतृत्व  हो  जो समुदाय को इकठ्ठा कर सके या कहें तो  साथ लेकर काम कर सके।

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