मेक इन इंडिया के तीन साल

Blog By - Team MyGov,
सितम्बर 29, 2017

भारत में डिजाइन, मेक इन इंडिया  महत्वपूर्ण है- प्रधान मंत्री मोदी

सितंबर 2014 का  वर्ष था जब भारत में प्रधान मंत्री ने “मेक इन इंडिया” नामक एक महत्वपूर्ण पहल की शुरूआत की थी। देश को बदलने के लिए ये शुरूआत की थी…इस अभियान का उद्देश्य …भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाना है। चूंकि इस पहल के तीन सफल साल पूरे हो चुके हैं, इसके साथ ही असंख्य हितधारकों और भागीदारों को साथ लाया गया है।

मेक इन इंडिया … शेर के कदम की तरह है। प्रधान मंत्री के मिनिमम गवर्मेंट, मैक्सीमम गवर्नेंस’ के वादे को ध्यान में रखते हुए,… यह सरकार की मानसिकता की प्रगति को दर्शाती है – व्यापारिक भागीदार को प्राधिकरण जारी करने से स्थानांतरण होता है।

भारत को वैश्विक मानचित्र पर रखने के प्रयास में, अतीत की अप्रचलित और बाधक प्रणाली को निर्णायक बना दिया गया है और इसे एक पारदर्शी और उपयोगकर्ता-अनुकूल प्रणाली के साथ बदल दिया गया है। इसने निवेश,  नवाचार, कौशल विकास और सुरक्षित बौद्धिक संपदा को बढ़ाया है  और विनिर्माण बुनियादी ढांचे  के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ निर्माण किया है।

जैसा कि मेक इन इंडिया को तीन साल पूरे हुए हैं और  ये  पहेल तीन स्तंभों पर आधारित है।

नई बुनियादी सुविधा

किसी भी उद्योग के आंतरिक विकास में बुनियादी ढांचा अनिवार्य भूमिका निभाता है। सरकार औद्योगिक कॉरीडोर को विकसित करने और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और उच्च गति संचार के साथ स्मार्ट शहरों का निर्माण करने की इच्छुक है। बुनियादी ढांचे में उन्नति के साथ-साथ हर क्षेत्रों के लिए कुशल श्रमिकों के लिए  प्रशिक्षण भी दिया जा रहा  है या कहें तो इन श्रमिकों को प्रशिक्षित भे किया जा रहा है।

मेक इन इंडिया के तहत भारत में 25 क्षेत्रों की पहचान की गई है । जो एक इंटरैक्टिव वेब पोर्टल के जरिए विस्तृत रूप से  साझा किया जा रहा है। पर्याप्त तरीके से रक्षा उत्पादन, निर्माण और रेलवे आधारभूत संरचना में  एफडीआई के लिए ओपन कर  दिया गया है।

मेक इन इंडिया ने भारत में निवेश के लिए नए दरवाजे खोल दिए हैं , आज भारत की विश्वसनीयता पहले से कहीं ज्यादा प्रभावी और शक्तिशाली है। यही वजह है कि आज शक्ति और आशावाद में वृद्धि स्पष्ट  तौर पर दिखाई देता है और इतना ही नहीं  हितधारकों और साझेदारों ने भी मेक इन इंडिया के  मंत्र को गले लगाया है।

ज़ीरो डिफेक्ट, जीरो इफेक्ट(शून्य दोष शून्य प्रभाव) , मेक इन इंडिया अभियान के साथ आने वाले एक वाक्यांश ने उद्योग को विशेष रूप से भारत के एमएसएमई से “शून्य दोष” के साथ , देश में माल बनाने और पर्यावरण पर “शून्य प्रभाव” का आश्वासन दिया है। इसलिए पर्यावरण और पारिस्थितिकीय प्रभाव को कम करते हुए देश में स्थायी विकास उच्च गुणवत्ता वाले विनिर्माण मानकों को लगाकर इसे आगे बढ़या जा रहा है।

वर्तमान सरकार ने मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत एक प्रमुख बढ़ावा दिया है। इस पहल ने विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए एक नया प्रोत्साहन दिया है

कुल मिलाकर कहा जाए तो ये तमाम लक्ष्य उच्च स्तर पर सेट किए गए हैं, और  अभी जो काम हो रहे हैं उसके अलावा भी बहुत चीजें हैं जिसे पूरा करना है। मौजूदा भारतीय अर्थव्यवस्था का मूल्यांकन करने के लिए पहले से बहुत कुछ हासिल किया गया है।

मेक इन इंडिया ने  निस्संदेह देश में व्यवसाय प्रतिष्ठानों को स्थापित करने में एक उत्कृष्ट काम किया है। स्थानीय और बहुराष्ट्रीय व्यापारिक  इकोसिस्टम प्रणालियों को बढ़ावा दिया है। मेकइऩ इंडिया का मकसद ही भारत को विश्वव्यापी विनिर्माण हब के रूप में स्थापित करने का है साथ ही इसे आर्थिक रूप से संपन्न देश बनाने का भी है।