उत्तराखंड योग नीति: आध्यात्मिक धरोहर से वैश्विक नेतृत्व की ओर

Blog By - Team MyGov,
June 10, 2025

‘देवभूमि’ उत्तराखंड आध्यात्मिक चेतना, तप और योग की पवित्र भूमि रही है। ऋषि-मुनियों की साधना स्थली रहे इस प्रदेश में योग केवल एक शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि जीवन दर्शन रहा है। इसी भाव को वैश्विक मंच पर सशक्त रूप से प्रस्तुत करने के लिए उत्तराखंड सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया—उत्तराखंड योग नीति।

योग नीति का उद्देश्य
उत्तराखंड योग नीति का मुख्य उद्देश्य राज्य को योग और आयुर्वेद का वैश्विक हब बनाना है। यह नीति योग को शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन और रोजगार से जोड़कर एक समग्र विकास मॉडल प्रस्तुत करती है, जिससे न केवल राज्य के नागरिकों को लाभ मिलेगा, बल्कि देश-विदेश के योग साधकों को भी एक सशक्त मंच प्राप्त होगा।

नीति की प्रमुख विशेषताएं

योग ग्राम की स्थापना:
उत्तराखंड सरकार ने विभिन्न जिलों में ‘योग ग्राम’ विकसित करने की योजना बनाई है, जहाँ योग साधना, प्राकृतिक चिकित्सा और पारंपरिक जीवन शैली को प्रोत्साहित किया जाएगा। इन ग्रामों को स्वावलंबी और हरित ऊर्जा से युक्त बनाया जाएगा।

शिक्षा में योग:
स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक योग को अनिवार्य रूप से पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा। इसके अंतर्गत प्रशिक्षित योग गुरुओं की नियुक्ति, विशेष पाठ्यक्रम और नियमित योग अभ्यास सत्र आयोजित किए जाएंगे।

योग पर्यटन का विकास:
नीति में ‘योग पर्यटन’ को प्रोत्साहित करने का विशेष प्रावधान है। ऋषिकेश, हरिद्वार, बद्रीनाथ, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ जैसे स्थानों को अंतरराष्ट्रीय योग केंद्रों के रूप में विकसित किया जा रहा है, जहाँ योग रिट्रीट, आयुर्वेदिक चिकित्सा, और आध्यात्मिक पर्यटन का संगम होगा।

रोजगार और कौशल विकास:
योग प्रशिक्षकों, प्राकृतिक चिकित्सकों और आयुर्वेदिक विशेषज्ञों को प्रशिक्षित करने हेतु विशेष संस्थानों की स्थापना की जाएगी। इसके साथ ही, निजी क्षेत्र को भी निवेश हेतु आमंत्रित किया जाएगा, जिससे स्थानीय युवाओं को व्यापक रोजगार के अवसर मिल सकें।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग:
योग नीति के तहत विदेशों में योग केंद्रों के साथ साझेदारी, रिसर्च और एक्सचेंज प्रोग्राम शुरू किए जा रहे हैं। इससे उत्तराखंड के योग विशेषज्ञों को वैश्विक पहचान और अवसर प्राप्त होंगे।

पर्यावरण और पारंपरिक जीवन शैली का समन्वय
योग केवल मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है, यह एक ऐसी जीवनशैली है जो पर्यावरण संतुलन, संयमित आहार, और आत्म-संयम को भी बढ़ावा देती है। उत्तराखंड योग नीति इस बात को ध्यान में रखते हुए सतत विकास के सिद्धांतों को भी अपनाती है। ‘योग ग्राम’ और ‘हरित योग पथ’ जैसे प्रावधानों के माध्यम से सरकार स्थानीय पारिस्थितिकी और संस्कृति को सहेजते हुए विकास का मार्ग प्रशस्त कर रही है।

एक नई पहचान की ओर
आज जब पूरा विश्व योग के लाभों को स्वीकार कर चुका है, उत्तराखंड को यह सौभाग्य प्राप्त है कि वह इस विरासत का जन्मस्थान रहा है। ऐसे में राज्य की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह इस ज्ञान को संरक्षित कर, वैज्ञानिक और समकालीन स्वरूप में प्रस्तुत करे। उत्तराखंड योग नीति इसी दिशा में एक दूरदर्शी और रणनीतिक पहल है।

उत्तराखंड योग नीति केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि राज्य के सांस्कृतिक और आर्थिक पुनर्जागरण का माध्यम बताया है। योग न केवल तन-मन की शांति का उपाय है, बल्कि यह उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था, पर्यटन और वैश्विक छवि को भी नई ऊंचाई तक ले जाने वाला साधन है।

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