जनमंच : घरद्वार के समीप समस्याओं का समाधान

Blog By - Team MyGov,
July 16, 2019

हिमाचल प्रदेश में अब जनता की समस्याओं का समाधान घरद्वार के समीप ही हो रहा है। यह सब हिमाचल सरकार द्वारा शुरू किए जनमंच कार्यक्रम से संभव हुआ है। जनमंच एक ऐसा माध्यम है जिसके तहत आम जन अपनी समस्या सीधे तौर पर सरकार तक पहुंचा सकता है। हर माह के पहले रविवार को प्रत्येक जिला में जनमंच कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इसमें विधानसभा अध्यक्ष, कैबिनेट मंत्री भाग लेकर जनसमस्याएं सुनकर उनका समाधान निकालते हैं। इसके अलावा कार्यक्रमों में जिला प्रशासन एवं सभी विभागों के अधिकारी भी उपस्थित रहते हैं। जाहिर है कि जब कैबिनेट मंत्री और अधिकारी मौके पर मौजूद हों तो समस्या का समाधान मौके पर ही हो सकेगा।

3 जून, 2018 को हुआ था जनमंच का आगाज
राज्य सरकार द्वारा 3 जून, 2018 को हिमाचल प्रदेश में जनमंच कार्यक्रम की शुरूआत की गई थी। अब यह हिमाचल का एक ऐसा महत्वाकांक्षी कार्यक्रम बन गया है जो लोगों को उनके घरद्वार के समीप अपनी मांगों, शिकायतों अथवा समस्याओं को सरकार और प्रशासन के समक्ष रखने का एक उपयुक्त एवं बेहतर मंच उपलब्ध करवा रहा है।

तीन भागों में बांटा है जनमंच
जनमंच कार्यक्रम को तीन भागों में बांटा गया है जिसमें प्री-जनमंच, जनमंच दिवस और पोस्ट जनमंच। प्री-जनमंच के दौरान चयनित पंचायतों के लोग अपने आवेदन संबंधित पंचायत सचिव अथवा खंड विकास अधिकारी को दे सकते हैं। इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा शुरू की गई ऑनलाइन सेवा ई-समाधान पोर्टल पर भी अपलोड कर सकते हैं। प्रदेश सरकार के निर्देशानुसार प्री-जनमंच के दौरान सभी अधिकारी निर्देशित पंचायतों में अपने-अपने विभाग से जुड़ी योजनाओं का निरीक्षण करते हैं तथा कार्यों का जायजा भी लेंगे। प्री-जनमंच के दौरान चयनित पंचायतों मेें विशेष अभियान आरंभ करके लोगों को प्रदेश सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी जाती है तथा सरकारी लाभों से वंचित पात्र एवं निर्धन लोगों की पहचान कर उन्हें इस दायरे में लाया जाता है।

34 हजार समस्याएं दर्ज
हिमाचल प्रदेश में अब तक आयोजित जनमंचों के माध्यम से 34 हजार के करीब समस्याएं व शिकायतें प्रदेश सरकार के समक्ष आई हैं, जिनमें से अधिकतर का निपटारा किया जा चुका है। प्रदेश सरकार द्वारा शेष शिकायतें संबंधित विभागों के अधिकारियों को आवश्यक कार्रवाई के लिए भेजी गई और उनका त्वरित निपटारे के आदेश दिए गए। इस दौरान 336 स्वास्थ्य शिविर लगाए गए, विभिन्न प्रकार के 34875 प्रमाण-पत्र बनाए गए और 418 शौचालय मंजूर किए गए हैं।