देश की पहली केन-बेतवा नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना मध्यप्रदेश के नाम

Blog By - Team MyGov,
January 3, 2025

निकामे निकामे नः पर्जन्यो वर्षतु फलवत्यो ओषधयः पच्यन्तां योगक्षेमो नः कल्पताम् ।। (यजुर्वेद 22.22)

अर्थात- हम जब-जब इच्छा करें, मेघ जल की वर्षा करें। अब जो इस विद्या में (सिंचाई कराने में) कुशल हो, उनका देश एवं राष्ट्र को सम्मान करना चाहिए।

इसलिए कहा गया है-

नमो मीढुष्टमायअत्यन्त वर्षा करने वालों (अर्थात सिंचाई के लिए जल देने वालों) का आदर हो। – (यजुर्वेद 16.29)

भारतीय धर्म, संस्कृति और साहित्य में जल को अमृत समान और जीवनदाता माना गया है। सभी धर्मों ने जल की महत्ता को स्वीकारते हुए इसे संरक्षित और सम्मानित करने का संदेश दिया है। इसी आदर्श को साकार करते हुए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी का लक्ष्य है कि हर नागरिक को स्वच्छ और सुरक्षित जल की उपलब्धता सुनिश्चित हो। यह संकल्प न केवल जन-जन को जल उपलब्ध कराने का है, बल्कि जल संरक्षण और प्रबंधन के प्रति समाज को जागरूक बनाने का भी है।

देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती पर 44,600 करोड़ की लागत वाली देश की पहली केन-बेतवा राष्ट्रीय परियोजना का खजुराहो में शिलान्यास किया। इसी के साथ ही देश की पहली नदी जोड़ो परियोजना मध्यप्रदेश के नाम हो गई।

परियोजना से बुंदेलखंड में समृद्धि और खुशहाली के नये द्वार खुलेंगे : प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने परियोजना का शिलान्यास करने के बाद कहा कि केन-बेतवा नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना से पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र में समृद्धि और खुशहाली के नये द्वार खुलेंगे। प्रधानमंत्री जी ने कहा कि देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के सपने को साकार करती हुई देश की पहली नदी जोड़ो परियोजना केन-बेतवा का शिलान्यास हुआ है। इसके लिए मध्यप्रदेश के कर्मठ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार और यहां की जनता को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं।

केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना भारत सरकार के महत्वाकांक्षी नदी जोड़ो अभियान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य देशभर में जल संसाधनों का बेहतर प्रबंधन और सूखा प्रभावित क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता को बढ़ाना है। मध्यप्रदेश में इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य बुंदेलखंड क्षेत्र में पेय जल संकट को खत्म करना, किसानों के लिए सिंचाई सुविधा विकसित करना, बिजली उत्पादन और उद्योगों के लिए जल उपलब्ध कराना है।

केनबेतवा लिंक नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना क्या है?

केन-बेतवा नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना, दो नदियां जोड़ने की परियोजना है। इसमें मध्यप्रदेश से निकलने वाली केन और बेतवा नदी को नहर के माध्यम से जोड़ा जाएगा। इसके तहत केन नदी का पानी बेतवा नदी में बहाया जाएगा, जिससे न सिर्फ जल स्तर में वृद्धि होगी, बल्कि सिंचाई और पेयजल के लिए भरपूर पानी की उपलब्धता भी सुनिश्चित हो सकेगी।

केनबेतवा नदी जोड़ोर राष्ट्रीय परियोजना का उद्देश्य और लाभ

जल संकट का समाधान: इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य बुंदेलखंड क्षेत्र में जल संकट को दूर करना है। इसके अंतर्गत केन नदी का पानी बेतवा नदी में बहाया जाएगा। इस योजना से मध्यप्रदेश की 44 लाख आबादी की प्यास बुझेगी। इसके साथ ही चंदेल कालीन करीब 42 पुराने तालाबों के पुनर्निर्माण का कार्य पूर्ण हो सकेगा। साथ ही स्थानीय उद्योगों को जल आपूर्ति हो सकेगी।

कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहन: इस परियोजना के शुरू होने से मध्यप्रदेश के 10 जिलों छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, निवाड़ी, दमोह, शिवपुरी, दतिया, रायसेन, विदिशा और सागर के 1900 से अधिक गांवों की 8.11 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी। इससे कृषि उत्पादन बढ़ेगा और किसानों के जीवन में खुशहाली आएगी।

विकास के नए अवसर: परियोजना के तहत जल संचयन, जल पुनर्चक्रण और सिंचाई तकनीकों में सुधार के अलावा, इस क्षेत्र में नई औद्योगिक और कृषि आधारित गतिविधियां भी स्थापित हो सकेंगी, जो आर्थिक विकास को बढ़ावा देंगी।

बिजली उत्पादन: इस परियोजना से बिजली उत्पादन में मदद मिलेगी। परियोजना शुरू होने पर 103 मेगावॉट जल विद्युत उत्पादन और 27 मेगावॉट सौर विद्युत उत्पादन होगा। कुलमिलाकर 130 मेगावॉट विद्युत उत्पादन होगा।

अर्थव्यवस्था पर असर: इस परियोजना से 8.11 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित होने से कृषि उत्पादन बढ़ेगा। स्थानीय उद्योगों को जल आपूर्ति से रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इससे स्थानीय रोजगार के साथ ही किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। इस योजना से लोगों के घर खुशहाली आएगी और आर्थिक रूप से समृद्ध होंगे।

केनबेतवा नदी को नहर के जरिए जोड़ा जाएगा

केन-बेतवा लिंक नदी जोड़ो परियोजना में एक बड़ी नहर के द्वारा केन और बेतवा नदी को जोड़ा जाएगा। केन नदी पर मध्यप्रदेश के पन्ना जिले के दौधन गांव में दौधन डैम बनाकर नहर से जोड़ा जाएगा। वहीं बेतवा नदी को झांसी जिले में बरुआ सागर झील के द्वारा नहर से जोड़ा जाएगा। दोनों नदियों को जोड़ने के लिए 221 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण किया जाएगा। इस नहर के द्वारा केन नदी से पानी खींचकर बेतवा नदी में डाल जाएगा।

छतरपुर जिले मेंदौधन डैमबनेगा 

केन-बेतवा परियोजना के लिए छतरपुर जिले के दौधन गांव में पन्ना टाइगर रिजर्व में केन नदी पर 77 मीटर ऊंचाई एवं 2.13 किलोमीटर लंबाई का दौधन बांध एवं 2 टनल (अपर लेवल 1.9 कि.मी. एवं लोअर लेवल 1.1 कि.मी.) का निर्माण किया जाएगा। इस बांध में 2,853 मिलियन घन मीटर जल का भंडारण किया जाएगा। केन नदी पर दौधन बांध से 221 कि.मी. लंबी लिंक नहर के द्वारा दोनों राज्यों (मध्यप्रदेश- उत्तर प्रदेश) में सिंचाई एवं पेयजल की सुविधा प्रदाय करते हुए केन नदी के अधिशेष जल को बेतवा नदी में अंतरित किया जाएगा।

मध्यप्रदेश में सिंचाई रकबे बढ़ेगा: डॉ. मोहन यादव

प्रदेश के मख्यमंत्री डॉ.यादव ने कहा कि प्रदेश की दो महत्वपूर्ण राष्ट्रीय परियोजनाओं केन-बेतवा और पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजनाओं से प्रदेश के सिंचाई रकबे में अभूतपूर्व वृद्धि होगी। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में सिंचाई का रकबा निरंतर बढ़ रहा है। वर्ष 2003 में जहां प्रदेश का सिंचाई रकबा लगभग 3 लाख हेक्टेयर था,  आज बढ़कर लगभग 50 लाख हेक्टेयर हो गया है। प्रदेश की निर्मित और निर्माणाधीन सिंचाई परियोजनाओं से प्रदेश में वर्ष 2025-26 तक सिंचाई का रकबा लगभग 65 लाख हेक्टेयर होने की संभावना है। सरकार ने वर्ष 2028-29 तक प्रदेश की सिंचाई क्षमता 1 करोड़ हेक्टेयर तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी ने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में मध्यप्रदेश के किसानों को खुशहाल बनाने के लिह हम हर संभव प्रयास कर रहे हैं। प्रदेश में वर्ष 2024-25 के बजट में सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण एवं संधारण के लिए 13,596 करोड रुपए का प्रावधान किया गया है।

Video: – https://www.youtube.com/watch?v=lw754IBQRs

मध्यप्रदेश को मिली देश की पहली राष्ट्रीय नदी जोड़ो परियोजना (केन-बेतवा) राज्य के विकास और समृद्धि का आधार बनेगी। यह प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में न केवल जल संकट को दूर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि कृषि, उद्योग, बिजली उत्पादन और अर्थव्यवस्था में भी अहम योगदान देगी। यह परियोजना बुंदेलखंड के विकास में मील का पत्थर साबित होगी और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी के दृढ़ संकल्प से मध्यप्रदेश की समृद्धि का नया अध्याय साबित होगी।