‘बाल सुरक्षा के लिए सेहत की दस्तक, घर-घर तक’

18 Dec 2017

मध्यप्रदेश राज्य में दस्तक अभियान ने दस्तक दे दी है| मध्यप्रदेश में कई बच्चे अलग-अलग बीमारियों का शिकार हो रहे हैं, ऐसे में इन बीमारियों से निपटने के लिए आप इस अभियान का हिस्सा बनें और अपने बच्चों को बीमारियों से छुटकारा दिलाने में सहयोग करें। प्रदेश में शिशु मृत्यु दर कम करने के लिये स्वास्थ्य व महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संयुक्त रूप से 18 दिसंबर, 2017 से 18 जनवरी 2018 तक प्रदेश में दस्तक अभियान चलाया जाएगा।

दस्तक अभियान में 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों की जांच कर उपचार किया जायेगा। अभियान में जन्म से पांच वर्ष के सभी बच्चों में खून की कमी की जांच, छ: माह से पांच वर्ष तक के गंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान, 9 से पांच वर्ष के बच्चों को विटामिन ‘ए’ का घोल, निमोनिया और जन्म जात बीमारियों से ग्रसित बच्चों की पहचान कर नि:शुल्क जांच-उपचार किया जाएगा।

दस्तक अभियान के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, ए.एन.एम. और आशा कार्यकर्ताओं का दल प्रत्येक ग्राम में घर-घर भ्रमण कर बच्चों में गंभीर बीमारियों की जानकारी प्राप्त करेगा। आशा और ए.एन.एम. एनिमिया और निमोनिया की पहचान के साथ घरों मे खाये जाने वाले नमक मे आयोंडीन की जांच कर, ग्रामीण वासियों को भोजन में आयोडीन नमक की आवश्यकता के बारे में बताया जायेगा।

हमारे राज्य के लिए गौरव की बात है कि दस्तक अभियान की टीम ने समाज के सामने एक मिसाल पेश की है जिसकी सफलता की सच्चाई आपके सामने है :-

सफलता की कहानी

मध्यप्रदेश के उमरिया जिला अस्पताल के एसएनसीयू (सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट) से खबर मिली कि दस्तक टीम के सदस्यों द्वारा एक बच्चे को भर्ती करवाया गया है। बताया गया कि जन्म के समय बच्चे का वजन 2 किलो था और आशा कार्यकर्ताओं द्वारा भ्रमण के समय बच्चे का वजन 1.8 किलो था। अस्पताल पहुंचने के बाद एडमिट बच्चे की मां श्रीमती जुगन्ता बाई पति श्री दयाराम अगरिया से मुलाकात हुई।

बातचीत के दौरान एडमिट बच्चे की मां श्रीमती जुगन्ता बाई ने बताया कि दस्तक अभियान के तहत माह अगस्त में दस्तक की सदस्य आशा सहयोगी, श्रीमती नीता गुप्ता एवं आशा कार्यकर्ता यशेादा तिवारी मेरे घर आए और बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ करने लगे।

सहयोगिनी एवं आशा कार्यकर्ता द्वारा मुझसे बच्चे के खानपान के संबंध में पूछा गया, तब वहां मौजूद श्रीमती नीता गुप्ता द्वारा बताया गया कि जुगन्ता बाई बहुत गरीब हैं तथा उसके घर में खाने के लिए राशन तक नहीं है। तब आशा सहयोगिनी ने आशा के साथ मिलकर, समिति के सदस्यों से बात की और मेरे घर पर राशन एवं दूध की व्यवस्था की। साथ ही समिति के सदस्यों द्वारा एकत्रित की गई राशि से मेरी मदद की गई।

आशा सहयोगी द्वारा मेरे बच्चे को 20.07.2017 को मध्यप्रदेश के उमरिया जिला अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती कराया गया था। जिसके बाद मेरे बच्चे की हालत में धीरे-धीरे सुधार होने लगा औऱ दिनांक 29.07.17 को उमरिया जिले की एस.एन.सी.यू. से डिस्चार्ज करने की स्वीकृति दे दी गई।

ये एक वानगी है दस्तक अभियान की सफलता की, अगर आपके पास इस अभियान से जुड़ी कोई सफलता की कहानियां हों तो हमसे अवश्य बांटें.

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