मध्यप्रदेश में निवास करती हैं देश की सर्वाधिक जनजातियां
‘जनजाति’ से आशय एक सामाजिक समूह से है जो दुनिया के किसी निश्चित भू-भाग पर निवास करता है जिसकी अपनी भाषा, संस्कृति और सामाजिक संगठन होता है। 2011 की जनगणना के अनुसार जनजातियों (tribes of Madhya Pradesh) का प्रतिशत मध्यप्रदेश में 21.1% है। लगभग 24 जनजातियां यहां निवास करती हैं। इनकी उपजातियों को मिलाकर इनकी कुल संख्या 90 है। मध्यप्रदेश में लगभग 1.53 करोड़ जनसंख्या इन जनजातियों की है, जो अब भी भारत में सर्वाधिक है । विभिन्न जनजातियों के कलाकार अपनी जनजाति से जुड़ी कला और संस्कृति को देश—विदेश में फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। मध्यप्रदेश सरकार भी इनकी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए प्रयासरत है।
मध्य प्रदेश की प्रमुख जनजातियाँ निम्नलिखित है:
- भील— मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी जनजाति भील है। भील का अर्थ है कमान। ये धनुष रखते हैं इसलिए भील कहलाते हैं। पिथौरा, भीलों का एक विश्व प्रसिद्ध चित्रकला शैली है।
2. गोण्ड— मध्य प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी जनजाति गोण्ड है। गोण्ड की उत्पत्ति तेलुगु के ‘कोंड’ शब्द से हुई है जिसका अर्थ पर्वत है अर्थात यह जनजाति पर्वतों पर निवास करती है। इनके बिदरी, बकपंथी, हरडिली, नवाखानी, जवारा मडई और छेरता प्रमुख पर्व, त्यौहार हैं। हिन्दू देवताओं के साथ ये ठाकुर देव, माता बाई, दूल्हादेव, बाधेश्वर, सूरजदेव, खैरमाता की पूजा करते हैं। करमा, सैला, भडौनी, सुआ, दीवानी, बिरहा, कहरवा आदि इनके प्रमुख नृत्य हैं।
3. बैगा— मध्य प्रदेश के दक्षिण क्षेत्र में निवास करने वाली बैगा सर्वाधिक महत्वपूर्ण जनजाति है। यह गोंडों की ही उपजाति मानी जाती है। इनमें बासी भोजन की परम्परा है। ‘साल’ इनका प्रिय वृक्ष है जिसमे इनके देवता भूढ़ा देव निवास करते हैं।
4. सहरिया— इनकी बसाहट को सहराना कहा जाता है, जिसका मुखिया ‘पटेल’ होता है। सहरिया जड़ी-बूटियों की पहचान में माहिर होते हैं। यह केंद्र सरकार द्वारा घोषित विशेष पिछड़ी जनजाति है।
5. कोरकु— यह जनजाति मध्य प्रदेश के दक्षिण जिलों में निवास करती है। ‘खम्बस्वाँग’ इनका प्रसिद्द नृत्य प्रधान नाटक है।
6. उरांव— इनका मुखिया ‘महतो’ कहलाता है, तथा पुरोहित ‘बैगा ’। सरना पूजा, करना पूजा, कुल देव पूजा इनके प्रमुख पर्व हैं।
7. बंजारा— भारत की घुमंतू जनजाति ‘बंजारा’ पर कबीलाई पद्यति का प्रभाव आज भी है । कबीले का एक मुखिया होता है जिसे नायक कहते हैं। बंजारा स्त्रियों को श्रृंगार करना बहुत पसंद हैं।
इसके अलावा खैरवार, कोरवा, धानका, सौर, बिंझवार जनजातियां भी मध्यप्रदेश में निवासरत हैं। इन जनजातियों की अपनी एक विशिष्ट कला—संस्कृति और परंपराएं हैं जिसने मध्यप्रदेश को देश—विदेश में अपनी एक अनूठी पहचान दिलाई है। इनमें चित्रकला, मिट्टी शिल्प, धातु शिल्प, काष्ठ शिल्प, कंघी कला, बांस शिल्प, छीपा शिल्प आदि प्रमुख हैं।