मुख्य बातें: मुख्य स्वयंसेवक

24 Nov 2015

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मेरी सरकार स्वयंसेवकों केसतत प्रयासोंकी खोज में, हम आप के साथसहयोगऔर समर्पितस्वयंसेवाके चारनए अनुभवोंको साझा कर रहे हैं।

जोयित्रि सरकारजोयित्रि सरकार:
“मैं मेरी सरकार योजना का हिस्सा बनने पर खुश हूँ जो देश के आम आदमी को सरकार की मौजूदा नीतियों में बदलाव करने, रूपांतरित करने के साथ ही नई नीतियों से संबंधित उनके विचारों को साझा करने के लिए एक मंच देने के उद्देश्य के साथ शुरू किया गया है। मैं लोगों की भागीदारी और साझा की गई जानकारी पूर्ण विचारों से चकित हूँ। यह एक अच्छा अवसर है और मुझे समय सीमा के भीतर अपने कार्य को प्रस्तुत करने के लिए प्रयास करना होगा। मैं एक बेहतर भारत बनाने में मदद करने के लिए दूसरों को भी मेरी सरकार से जुडने के लिए प्रोत्साहित और प्रेरित करुँगी।“

अरबिन्द दत्ताअरबिन्द दत्ता:

“संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम् |
देवा भागं यथा पूर्वे सञ्जानानामुपासते ||

“सौहार्दपूर्वक एक जुट रहना, एक साथ बोलना, एक-दूसरे को समझना, प्राचीन काल केदेवताओं जैसे एक दूसरे के मन को समझना,धार्मिक रहना और इस तरह के कार्य करना। यही कारण है, की मैं खुद को मेरी सरकार का स्वयंसेवक महसूस करता हूँ। हमारे प्रधानमंत्री का सपना लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करना है और इसलिए एक स्वयंसेवक के रूप में मेरी भूमिका चुनौतीपूर्ण है। इसलिए, मैं भारत अतुल्य/क्षेष्ठभारत, “डिजिटल भारत” और ‘स्वराज्य’ मिशन में सरकार के साथ सहयोग करने परवास्तव में गर्व महसूस हो रहा हूँ।“

जी.अलामेलुमंगाईजी.अलामेलुमंगाई:
“मेरा मूल उद्देश्य हमे शासक्रिय रहना था, यद्यपि मैंने पूर्ण कालिक नौकरी नहीं की। इसलिए मैंने एक शैक्षिक और सामग्री लेखक के रूप में स्वतंत्र कार्य शुरू किया। मैं हमेशा विभिन्न अवसरों की खोज करती थी जिससे मुझे ऑनलाइन काम करने में मदद मिल सके। मैंने फेसबुक के माध्यम से मेरी सरकार के बारे में जाना जो मुझे बहुत दिलचस्प लगा।

मैं मेरी सरकार के उद्देश्य से प्रेरित हुई और बहुत सारी संभावनाओं के साथ सरकार को अपना समर्थन साझा करने के लिए एक स्वतंत्र लेखक के रूप में आवेदन किया।

जब मुझे पहली बार काम सौंपा गया था, तो मैंने अपनी वास्तविकधारणा को काबू करने के लिए कुछ समय ले लिया। लेकिन बाद में, अलग अलग लोगों के विचारों को पढ़ने के बाद मुझे मेरी जिम्मेदारी का एहसास हुआ। मैने गंभीरता से चारों ओर देखना शुरू कर दिया और मैं यह देखना चाहती थी की मेरी भूमिका भारतीय नागरिकों द्वारा समस्याओं के समाधान पर पेश किए गए विचारों पर प्रकाश डाले और उनके लिए उपयोगी और सहायक रहें। लाखों भारतीयों की आवाज का प्रतिनिधित्व करने में मुझे जिम्मेदारी का एहसास हो रहा था। कुल मिलाकर, मेरे स्वयंसेवक का अनुभव अच्छा था और अच्छा है जो आकर्षक और उपयोगी रहा है।“

नितिन गांधीनितिन गांधी:
“मैं आईटी कंपनी में एक विश्लेषक के रूप में काम करता हुँ। मुझे लगता है की मेरे जैसे लोग यूरोपीय और अमेरिकी देशों के लिए काम कर रहे है और करों के भुगतान को छोड़कर अपने देश के लिए कुछ भी नहीं कर रहे हैं पर मेरी सरकार ने मुझे हमारे देश के प्रतिदिन के मुद्दों को हल करने में सरकार की मदद करने का अवसर दे दिया है। मुझे अच्छा लग रहा है की मैं राष्ट्र की आवाज को सरकार तक पहुँचाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा हूँ।“

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कुल टिप्पणियां - 13

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  • Brig Chaitanya Prakash - 9 years ago

    NEVER before, in the history of mankind, has any one single person been so vindictively, relentlessly pursued for such a sustained period , hounded, victimized, investigated, prosecuted, insulted, humiliated, accused and pilloried by every organ and arm – official and semi-official – of the State and its agencies, NGOs, political parties of every hue and colour, on the single scale of “SICK-ULARISM”, along with the paid and prostituted “SICK-ULAR” media a smear campaign (contd 1 of 5)

  • Brig Chaitanya Prakash - 9 years ago

    Apparently, every non-BJP politician and some BJP’s ambitious ones too, had recognized in very early stages the giant potential in Modi, whose coming to power was to be thwarted at all costs, else they all would all be history. The fear of being reduced to a ZERO, is driving the vociferous and poisonous anti-Modi campaign ever since.
    (Concluded 4 of 4)

  • Brig Chaitanya Prakash - 9 years ago

    Mercy fully, the law of the land has remained relatively non-politicised and objective (despite the shameless and dictatorial attempts of Indra Gandhi during dark emergency days) and ensured justice, clearing the way for Modi to continue to remain in the political ring and BOX ON. BUT for this, the foxes and the hounds would have made a neat mince meat out of him and ensured his political crucification (if not physical one too). (contd 3 of 5)