समान नागरिक संहिता (UCC): उत्तराखण्ड का ऐतिहासिक और संवैधानिक पहल

परिचय
7 फरवरी 2024 को उत्तराखण्ड ने एक ऐसा अध्याय लिखा, जो भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज हो गया। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य बना, जिसने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code – UCC) को विधानसभा में पारित कर विधिक रूप से लागू कर दिया। यह केवल एक कानून नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, लैंगिक समानता और संविधान के अनुच्छेद 44 के क्रियान्वयन की दिशा में एक सशक्त पहल है।
UCC क्या है और इसकी आवश्यकता क्यों?
समान नागरिक संहिता का तात्पर्य है – भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए धर्म, जाति, पंथ या समुदाय से परे एक समान नागरिक कानून। इसका उद्देश्य है कि विवाह, तलाक, गोद लेना, उत्तराधिकार जैसे व्यक्तिगत कानूनों में कोई भेदभाव न हो और सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलें।
वर्तमान में विभिन्न धार्मिक समुदायों के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ हैं, जिससे कई बार विशेषकर महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन होता है। ऐसे में UCC सामाजिक समरसता और न्याय की गारंटी बनकर उभरा है।
उत्तराखण्ड में UCC लागू होने की प्रक्रिया:
उत्तराखण्ड सरकार ने इस विषय पर गंभीर और निष्पक्ष मंथन के लिए मई 2022 में एक उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया, जिसकी अध्यक्षता पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई ने की। समिति में पूर्व मुख्य सचिव, महिला अधिकार कार्यकर्ता, कानूनी विशेषज्ञ आदि शामिल थे।
समिति ने प्रदेश के सभी जिलों में जन संवाद, विचार विमर्श, ऑनलाइन सुझाव और फील्ड स्टडी के माध्यम से समाज के हर वर्ग की राय को संकलित किया। लगभग 2.33 लाख सुझावों और 43 बैठकों के बाद एक 210 पृष्ठों की रिपोर्ट तैयार की गई, जिस पर आधारित होकर विधेयक को विधानसभा में प्रस्तुत किया गया।
UCC उत्तराखण्ड विधेयक 2024: मुख्य प्रावधान
1. विवाह, तलाक, गोद लेने और उत्तराधिकार पर एक समान कानून – सभी धर्मों और जातियों के लिए
2. बहुविवाह और एकतरफा तलाक पर रोक – महिला सम्मान की दिशा में बड़ा कदम
3. बेटी और बेटे को समान संपत्ति अधिकार – लैंगिक समानता को विधिक स्वरूप
4. एक ही विवाह का पंजीकरण अनिवार्य – विवाह का वैधानिक दस्तावेज सुनिश्चित
5. लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण – पारदर्शिता और महिला सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रावधान
6. गोद लेने की प्रक्रिया धर्मनिरपेक्ष – किसी भी नागरिक को बच्चे को गोद लेने का समान अधिकार
UCC के सामाजिक प्रभाव:
महिलाओं को कानूनी सुरक्षा और बराबरी का अधिकार मिलेगा।
धर्म या परंपराओं के नाम पर होने वाले भेदभाव पर लगाम लगेगी।
विवाह और पारिवारिक मामलों में एकरूपता से पारिवारिक विवाद कम होंगे।
संविधान के आदर्शों – न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व – का यथार्थ रूप सामने आएगा।
उत्तराखण्ड की ऐतिहासिक भूमिका:
उत्तराखण्ड ने जो पहल की है, वह न केवल राज्य के लिए गौरव की बात है, बल्कि यह पूरे देश के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करती है कि संविधान में जो लिखा गया है, उसे धरातल पर उतारने का साहस कैसे दिखाया जाए। यह फैसला दर्शाता है कि अगर राजनीतिक इच्छाशक्ति मजबूत हो और जनसमर्थन साथ हो, तो दशकों से लंबित संवैधानिक संकल्पों को भी साकार किया जा सकता है।
