स्वच्छथॉन, जहां लोग अपनी समस्याओं का समाधान पाते हैं
स्वच्छथॉन 1.0 – स्वच्छता हैथॉन , स्वच्छता और स्वच्छता के क्षेत्र में देश के सामने आने वाली कुछ समस्याओं के स्रोतों को समेकित करने का एक प्रयास है। MoDWS (एमओडीडब्ल्यूएस ) ने स्कूलों व कॉलेजों के छात्रों , पेशेवरों, संगठनों, स्टार्टअप्स और अन्य लोगों से सुझाव और विचार आमंत्रित किया है। नीचे उल्लिखित श्रेणियों में रोमांचक, अभिनव, नवाचार और व्यावहारिक समाधानों के साथ आने के लिए आमंत्रित किया गया –
ए) शौचालयों के उपयोगों की निगरानी
ख) घूमने वाले व्यवहार में बदलाव
ग) कठिन इलाकों में शौचालय प्रौद्योगिकी
घ) स्कूल शौचालयों के रखरखाव और संचालन के लिए कार्य समाधान।
ई) मासिक धर्म कचरे के सुरक्षित निपटान के लिए तकनीकी समाधान
च) शौच पदार्थों के प्रारंभिक अपघटन के लिए समाधान
प्रथम दौर में, प्रतिभागियों को मायगॉव पोर्टल पर संबंधित श्रेणियों में अपनी प्रविष्टियों को जमा करने की आवश्यकता थी। प्रविष्टियों को 2 अगस्त से 31 अगस्त, 2017 तक प्रस्तुत करना था। 6 उल्लेखनीय समस्या श्रेणियों में कुल 3053 आवेदन पूरे भारत में प्राप्त हुए और कुछ आवेदन अमेरिका, कनाडा और दक्षिण अमेरिका से भी प्राप्त हुए।
दूसरे दौर में शॉर्टलिस्ट किए गए 57 प्रतिभागियों को शामिल किया गया था, जिन्हें ज्यूरी के सामने अपने विचार / समाधान प्रस्तुत करनी थी। यह दौर 7 व 8 सितंबर, 2017 को एआईसीटीई, दिल्ली में आयोजित किया गया था।
अंतिम तौर पर 30 चयनित प्रतिभागियों ने एक ग्रैंड जूरी से पहले एक छोटी प्रस्तुति दी। उपर्युक्त दौर के संचयी आकलन के आधार पर, प्रत्येक वर्ग के लिए 8 सितंबर, 2017 को विजेता घोषित किए गए।
दो श्रेणियों में, प्रतिभागियों को उनके प्रस्तुति कौशल पर ध्यान दिया गया था, प्रत्येक श्रेणी में विशेषज्ञों ने पहले निर्देशित किया था। उन्हें अटल इनोवेशन मिशन द्वारा उद्यमशीलता कौशल पर विशेष सलाह दी गई थी, ताकि उन्हें अपने विचारों के ऊष्मायन या कहें और बेहतरी बनाने के लिए प्रेरित करती थी।
स्वच्छथॉन 1.0 की पहल ने नवाचार करने वालों को स्वच्छता के क्षेत्र में नए विचारों के लिए प्रोत्साहित किया और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर उनके लिए नवाचार दिखाने का एक प्लेटफॉर्म प्रदान किया। कहने का मतलब ये कि अब ये यात्रा शुरू हो गई है जहां स्वच्छ भारत मिशन को सफल बनाने में इन सभी नवप्रवर्तनकर्ता एक साथ हाथ मिलाएंगे।
कुछ नवाचार के झलक
श्री राम प्रकाश तिवारी , जो पीएचडी विभाग, अरुणाचल प्रदेश से आते हैं वे यहां एक नवीनता के साथ आये थे।वे ईंटों के बजाय बांस के छोटे –छोटे हिस्सों को प्लास्टिक कोटेड लगाकर ट्विन पिट ट्वाइलैट टेक्नोलॉजी(जुड़वां गड्ढे शौचालय तकनीक) को सामने लाए हैं। अरुणाचल प्रदेश बहुत कम मोटर-सक्षम सड़कों के साथ एक कठिन भौगोलिक क्षेत्र है.. शौचालय के निर्माण के लिए राजमिस्त्री और कच्चा माल असम से आते है ऐसे में जो निर्माण की लागत है वह काफी बढ़ जाती है..इस इनोवेन में स्थानीय सामग्रियों का व्यवहार होता है , इसमें अरूणाचल के स्थानीय लोग माहिर हैं, सक्षम हैं। इस इनोवेशन में जो वेस्ट प्लास्टिक होते हैं उसका भी उपयोग हो जाता है।
पुडुचेरी से श्री एस शशिकुमार ने कम लागत वाली मोटर की सफाई यंत्र बनाया थो जिसे संचालित करना आसान था। तमिलनाडु के विद्यालय के छात्रों ने कम लागत वाले मूत्रालय को बनाने के लिए प्लास्टिक के डिब्बे के साथ पेश किया। यह कर्नाटक के कोप्पल जिले में सफलतापूर्वक लागू किया गया था।
मासिक धर्म कचरे के सुरक्षित निपटान के लिए तकनीकी समाधान को लेकर बहुत दिलचस्प नवाचार प्राप्त हुए। केरल के ऐश्वर्या ने सैनिटरी पैड को एक रासायनिक समाधान के साथ प्रयोग करने के बाद उसके अवशेषों को उर्वरकों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है और साथ ही ये बैग बनाने में मददगार हो सकता है। तमिलनाडु के एलाकीया ने पेवर ब्रिक्स बनाने के लिए व्यवहार किए गए सेनेटरी पैड का पुन: उपयोग करने का एक समाधान दिया.. पश्चिम बंगाल के श्री सुभंकर भट्टाचार्य ने एक शून्य उत्सर्जन क्रीमेटोरेटर (zero emission incinerator) बनाया।
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