Madhya Pradesh Responsible Tourism
मध्यप्रदेश पर्यटन : विरासत और परंपराओं का मेल देखो देश के दिल मध्यप्रदेश का अद्भुत संसार देखो
जब भी देश के नक्शे में दिल का आकार बनाते मध्यप्रदेश की बात आती है तो खुद-ब-खुद विंध्याचल के हरे-भरे ऊंचे पर्वत, राजा बाज बहादुर और रानी रूपमती की कहानी से सजे द सिटी ऑफ रोमांस मांडू , बेतवा नदी के किनारे बसा राजसी ओरछा, यूनेस्को की हेरिटेज सिटी में शामिल खजुराहो सहित पवित्र नदी नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक के मनोरम दृश्य नजर आने लगते हैं। धर्म, अध्यात्म, संस्कृति, संस्कार, कल-कल निनाद करतीं नदियां हो या पौराणिक कथाओं को समेटे गगनचुंबी पर्वत, मध्यप्रदेश के पर्यटन में सभी का समावेश है। ऋषि-मुनि और संतों के स्मृति स्थल भी प्रदेश की पहचान हैं।
प्रकृति
झीलों के शहर भोपाल, संगमरमरी सौंदर्य वाले भेड़ाघाट, जनजातीय संस्कृति से परिपूर्ण अलीराजपुर, शांत पातालकोट, हिल स्टेशन पचमढ़ी और रोमांचक हनुवंतिया में आप प्रकृति के सुंदर नजारे देख सकते हैं।
विरासत
आदि मानव की कहानी कहते अद्भुत भीमबेटका के शैलचित्र, उदयगिरि की गुफाएं, बांधवगढ़ की प्राचीन गुफाएं एवं शयन मुद्रा में भगवान विष्णु की मूर्ति, बुरहानपुर किला, बड़वानी में स्थित प्रसिद्ध जैन तीर्थ स्थल बावनगजा, चंदेल राजाओं द्वारा निर्मित खजुराहो के मंदिर, यूनेस्को की विश्व धरोहर शहरों की सूची में शामिल ग्वालियर और राजा राम की नगरी ओरछा, पवित्र ऐतिहासिक स्थल सांची, अपनी प्राचीन विरासत और धरोहर को अभी भी अपने में समेटे हुए हैं।
वन्यजीव
पन्ना, रीवा, कान्हा और बांधवगढ़ अभयारण्य, रातापानी, नौरादेही, चंबल के प्रसिद्ध सोन घड़ियाल, कामधेनु गौ-अभयारण्य (आगर-मालवा) पालपुर-कूनो वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में प्राकृतिक सुंदरता के बीच आराम से घूमते वन्य प्राणियों को निहारने का आनंद महसूस किया जा सकता है। पेंच टाइगर रिजर्व के जंगलों को देखकर तो ब्रिटिश लेखक रुडयार्ड किपलिंग ने मोगली नामक किरदार की रचना ही कर डाली थी । बाद में इस किरदार पर भारत एवं जापान में फिल्मों का भी निर्माण हुआ। इस स्थान को मोगली लैंड के नाम से भी जाना जाता है।
आध्यात्मिक शहर
प्राचीन शहर उज्जैन और यहां स्थित विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर दुनियाभर में प्रसिद्ध है। महाकाल की भस्म आरती में शामिल होने दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल यह स्थान एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। चित्रकूट में भगवान राम-सीता के पदचिन्ह, देवी का वास शक्तिपीठ मैहर, बिड़ला मंदिर, शानदार महेश्वर, मंधाता द्वीप पर बसा आध्यात्मिक ओंकारेश्वर और खजराना इंदौर, मध्यप्रदेश में पर्यटन के दौरान भक्ति का हर रंग आपको देखने को मिलेगा।
विविधताओं से भरे प्रदेश में हर-हर महादेव के जयकारे से गुंजायमान नर्मदा की आरती भी लोगों को आकर्षित करती है। पौराणिक ग्रंथों में नर्मदा को लेकर कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं, जो कि पर्यटकों के लिए इन स्थलों के दर्शन, रोचक बनाती हैं। इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, भोपाल, बुरहानपुर, धार छोटे या बड़े जिस भी शहर या गांव की ओर रुख करो, आपको अनेकता में एकता के ऐसे रंग देखने मिलेंगे जो शायद ही कहीं और हों।
स्वादिष्ट व्यंजन
अगर बात व्यंजनों की हो तो मध्यप्रदेश से अच्छा स्थल दूसरा नहीं हो सकता। इंदौरी नमकीन व पोहा दुनिया भर में प्रसिद्ध है। जलेबी, एक ऐसा व्यंजन है, जिसे आप प्रदेश के हर नुक्कड़ में देख पाएंगे। दाल बाफला, दाल बाटी मालपुआ, मावा बाटी आदि मध्य प्रदेश के कुछ अनूठे व्यंजन हैं । एक बार इन व्यंजनों का स्वाद चखने के बाद कोई इन्हें नहीं भूल सकता।
कला
मध्यप्रदेश अपनी अनूठी कलाओं के लिए भी जाना जाता है। काष्ठ कला, कंघी शिल्प, खराद शिल्प, टेराकोटा शिल्प, छीपा शिल्प, पीतल शिल्प, धातु शिल्प, सुपारी कला, खिलौना शिल्प, लाख शिल्प, भीली शिल्प, प्रस्तर शिल्प, मिट्टी शिल्प, गुड़िया शिल्प, कठपुतली शिल्प, तीर धनुष कला, बांस शिल्प, पत्ता शिल्प जैसे विविध माध्यमों में ये कलायें अभिव्यक्त होती हैं। भोपाल की जरी-जरदोजी कला से तैयार बटुए और महेश्वर व चंदेरी के बुनकरों द्वारा हथकरघा पर बुनी गई कलात्मक व खूबसूरत साड़ियां दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। मानो हर एक धागे में ये अपनी भावनाएं पिरो रहे हों।
जनजातीय संस्कृति
मध्यप्रदेश में भील, भगोरिया, बैगा, भारिया, भूरिया, सहरिया, कोरकू आदि जनजातियां निवास करती हैं, इनकी प्रथाएं, पहनावा, रहन-सहन और खान-पान किसी को भी बरबस ही आकर्षित कर सकता है। जंगल में निवास करने वाली ये जनजातियां नदी, पहाड़, अनाज, बीज और धरती की पूजा करती हैं इनके त्योहार भी प्रकृति से जुड़े होते हैं। मंडला व आसपास के क्षेत्र में निवास करने वाली बैगा जनजाति में प्रसिद्ध गोदना प्रथा, आधुनिक शहरी युवाओं ने भी अपना ली है। कंगन, पाजेब, करधनी, टोड़ल सहित इनके द्वारा प्रयोग किए जाने वाले गहने, विदेशी पर्यटकों द्वारा खासे पसंद किए जाते हैं।
तीन वर्ष में लगने वाला उज्जैन का कुंभ मेला, जटाशंकर मेला, महामृत्यंजय का मेला, बसंत पंचमी के मेले, अमरकंटक का शिवरात्रि मेला, पीर बुधन का मेला मध्यप्रदेश की अद्भुत संस्कृति को समेटे ये मेले बरसों से लग रहे हैं और हर मेला कोई ना कोई ऐतिहासिक और आध्यात्मिक कहानी कहता नजर आता है।
पहली बार लंदन के बाहर आईसीआरटी अवार्ड की मेजबानी का गौरव मध्यप्रदेश को
मध्यप्रदेश को पर्यटन के क्षेत्र में कई पुरस्कार और सम्मान मिल चुके हैं। इसी क्रम में एक नया आयाम और जुड़ गया है। भारत एवं सब कॉन्टिनेंट के लिए इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिस्पांसिबल टूरिज्म (आईसीआरटी) द्वारा रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म इंडिया अवॉर्ड्स 2022 की मेजबानी का मौका मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल को दिया जाना गौरव की बात है। लंदन के बाद यह उपलब्धि पाने वाला भोपाल, दुनिया का पहला शहर है।
इस आयोजन की मेजबानी के साथ ही इस बार मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड ने 4 गोल्ड और एक सिल्वर जीता है। टूरिज्म बोर्ड के अंतर्गत संचालित रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म परियोजनाओं में ग्रामीण पर्यटन परियोजना, महिलाओं के लिए सुरक्षित पर्यटन स्थल परियोजना, रिस्पॉन्सिबल सोवेनियर डेवलपमेंट परियोजना, प्रोजेक्ट हमसफर इत्यादि परियोजनाओं के लिए यह अवॉर्ड मिले हैं।