उत्तराखंड में सौर ऊर्जा क्रांति – आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक सशक्त कदम

भारत सरकार और उत्तराखंड राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से पर्वतीय राज्य उत्तराखंड आज नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में एक नई पहचान बना रहा है। “मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना” (MSSY) इसका एक प्रभावी उदाहरण है, जिसके तहत राज्य के युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने के साथ-साथ स्वच्छ और सतत ऊर्जा के उपयोग को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।
MSSY: सौर ऊर्जा और स्वरोजगार का समन्वय
“मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना” की शुरुआत इस सोच के साथ हुई थी कि पर्वतीय क्षेत्रों में खाली पड़ी भूमि का उपयोग करते हुए सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा दिया जाए और स्थानीय युवाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाए। मार्च 2023 में इस योजना में बदलाव किए गए जिससे योजना और भी अधिक व्यवहारिक तथा लाभकारी हो गई।
आँकड़ों की जुबानी सफलता
19 जून 2025 तक के अद्यतन आंकड़ों के अनुसार:
- कुल 1304 लाभार्थियों को सोलर सिस्टम के लिए Letter of Allotments जारी किए गए हैं, जो कुल 2,42,120 किलोवाट (KW) की क्षमता को दर्शाता है।
- इनमें से 264 सौर संयंत्रों की स्थापना हो चुकी है, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता 47,680 KW है।
- शेष 1040 लाभार्थियों की प्रक्रियाएं प्रगति पर हैं, जो आगामी महीनों में ऊर्जा उत्पादन में और इज़ाफा करेंगे।
Tehri, Uttarkashi, और Chamoli जैसे पर्वतीय जिलों में इस योजना को विशेष सफलता मिली है। केवल टिहरी जिले में 417 आवंटन दिए गए हैं, जिनमें से 129 सिस्टम स्थापित हो चुके हैं।
केंद्र और राज्य सरकार की भागीदारी
इस योजना की सफलता केंद्र सरकार की MNRE (Ministry of New and Renewable Energy) और उत्तराखंड की ऊर्जा विकास एजेंसी (UREDA) के समन्वय का परिणाम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “One Sun, One World, One Grid” विज़न के अंतर्गत यह पहल न केवल ऊर्जा सुरक्षा को मज़बूत करती है, बल्कि रोजगार के नए रास्ते भी खोलती है।
राज्य सरकार की ओर से ब्याज मुक्त ऋण, अनुदान और तकनीकी सहायता जैसी सुविधाएं देकर इस योजना को ज़मीनी स्तर पर पहुँचाया गया है। जिला प्रशासन और स्थानीय पंचायतों को योजना के कार्यान्वयन में सशक्त भूमिका सौंपी गई है।
प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना: शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा की नई क्रांति
उत्तराखंड में “प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना” भी तेजी से गति पकड़ रही है, जिसका उद्देश्य हर घर की छत को ऊर्जा का स्रोत बनाना है। इस योजना के अंतर्गत प्रदेश के शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में लाखों परिवारों को रूफ़टॉप सोलर सिस्टम लगाने के लिए अनुदान और तकनीकी सहायता प्रदान की जा रही है। जून 2025 तक प्रदेश में 67,093 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 34,461 रूफटॉप इंस्टॉलेशन पूरे हो चुके हैं, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता 1,27,300.975 किलोवाट है। योजना के अंतर्गत ₹2,60,16,12,697 की सब्सिडी वितरित की जा चुकी है। यह योजना न केवल घरेलू बिजली व्यय को कम कर रही है, बल्कि ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में उत्तराखंड को अग्रणी बना रही है।
पर्यावरणीय लाभ और स्थानीय प्रभाव
उत्तराखंड जैसे पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील राज्य में स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल पर्यावरण संरक्षण के लिए अत्यंत आवश्यक है। MSSY के माध्यम से जहां एक ओर कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की स्थिरता और पहुंच में सुधार हुआ है।
स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार के माध्यम से पहाड़ों में ही रोजगार मिलना पलायन की बड़ी समस्या को भी कम कर रहा है। MSME सेक्टर से जुड़कर कई लाभार्थियों ने सौर ऊर्जा के संयंत्रों से आय के स्रोत विकसित किए हैं।
चुनौतियाँ और समाधान
हालांकि योजना की प्रगति उत्साहजनक रही है, फिर भी कुछ जिलों में कार्यान्वयन की गति अपेक्षाकृत धीमी रही है। इसके पीछे भूमि चयन, तकनीकी प्रशिक्षण और बैंकिंग प्रक्रियाएं जैसी चुनौतियां प्रमुख रही हैं।
राज्य सरकार ने इसके समाधान के लिए निम्न कदम उठाए हैं:
- Fast-track approvals की व्यवस्था,
- पंचायत स्तर पर solar awareness campaigns
- तकनीकी व वित्तीय सलाह हेतु district-level solar helpdesks.
भविष्य की दिशा
राज्य सरकार का लक्ष्य अगले दो वर्षों में कम से कम 5000 नए सौर संयंत्रों की स्थापना करना है। इससे न केवल ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि होगी, बल्कि हजारों युवाओं को स्थायी रोजगार भी मिलेगा। साथ ही, उत्तराखंड को ‘हरित राज्य’ बनाने की दिशा में यह एक बड़ी छलांग होगी।
