कृषि कल्याण अभियान (द्वितीय चरण)

Team MyGov
January 7, 2019

“कृषि कल्याण अभियान” के द्वितीय चरण में खेती के आधुनिक तरीकों से रूबरू हो रहे हैं किसान

“कृषि कल्याण अभियान” के प्रथम चरण (1 जून से 15 अगस्त, 2018) की सफलता को देखते हुए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा 2 अक्टूबर 2018 से 25 दिसम्बर 2018 तक देश भर के ग्रामीण इलाकों में इस अभियान का द्वितीय चरण चलाया जाना तय किया गया था, लेकिन 6 राज्यों छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, मिजोरम, राजस्थान, तेलंगाना में विधानसभा चुनाव व पंजाब में पंचायत चुनाव के मद्देनजर इस अभियान को 26 जनवरी, 2019 तक बढ़ा दिया गया हैI वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के संकल्प को पूरा करने के लिए इस अभियान के तहत किसानों को खेती करने के आधुनिक तरीकों से रूबरू करवाया जा रहा है, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो और उनके जीवन स्तर में सुधार आये।

यह अभियान देश के 27 राज्यों के 117 आकांक्षी जिलों में से प्रत्येक के 25 गांवों में चलाया जा रहा है । इन गांवो का चयन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा ग्रामीण विकास मंत्रालय के दिशा – निर्देशों के अनुसार किया गया है। इस योजना के तहत प्रत्येक आकांक्षी जिले के 25 ऐसे गावों को चयनित किया गया है जिनकी जनसंख्या 1000 से अधिक है। इस अभियान के अंतर्गत चयनित जिलों में कृषि और संबद्ध गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ ही किसानों को उत्तम तकनीक एवं आय बढ़ाने के बारे में सहायता और सलाह भी दी जा रही है। इस कार्य में प्रत्येक जिले के कृषि विज्ञान केन्द्र अहम भूमिका निभा रहे हैं।

द्वितीय चरण के सफल संचालन हेतु कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के विभिन्न विभागों द्वारा रोड मैप तैयार किया गया है, जिसके तहत चयनित विशिष्ट गतिविधियों का सुचारू रूप से संचालन किया जा रहा है।

जहाँ इस अभियान के प्रथम चरण के तहत कृषि आय बढ़ाने और खेती –बाड़ी में बेहतर पद्धतियों के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने के मकसद से 9 गतिविधियों को शामिल किया गया था I वहीं द्वितीय चरण के अंतर्गत 12 गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है, जिनमें मृदा स्वास्थ्य कार्डों का वितरण, खुर और मुंह रोग (Food and Mouth Disease- FMD) से बचाव के लिए सौ प्रतिशत बोवाइन टीकाकरण, भेड़ और बकरियों में पीपीआर बीमारी (Peste des Petits ruminants – PPR) से बचाव के लिए सौ फीसदी कवरेज, दालों और तिलहनों की मिनी किट का वितरण, प्रति परिवार पांच बागवानी/ कृषि वानिकी/ बांस के पौधों का वितरण, प्रत्येक गांव में 20 NADEP PITS (खाद बनाने की एक विधि) बनाना, कृत्रिम गर्भाधान करवाना, कृषि उपकरणों का वितरण, बहु-फसली कृषि के तौर- तरीकों का प्रदर्शन, ग्रामीण हाट का विकास व उन्नयन, सूक्ष्म सिंचाई/ एकीकृत क्रोपिंग सिस्टम का प्रदर्शन और प्रधानमन्त्री फसल बीमा योजना के बारे में जागरूकता फैलाना शामिल है I

“कृषि कल्याण अभियान” का मुख्य उद्देश्य किसानों तक आधुनिक कृषि पद्धति व कृषि से जुड़े अन्य व्यवसायों की जानकारी पहुंचाना है, इसी के मद्देनजर अभियान के द्वितीय चरण में कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों द्वारा किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए उन्हें खेती सहित बागवानी, पशुपालन, मछली पालन, मुर्गीपालन के गुर सिखाये जा रहे हैंI इसके लिए चयनित जगहों पर प्रशिक्षण शिविरों की व्यवस्था की गयी है, जिनमें किसानों को सूक्ष्म सिंचाई और एकीकृत फसल के तौर – तरीकों के बारे में जानकारी देने के साथ ही किसानों को खेती की नवीनतम तकनीकों से भी आत्मसात करवाया जा रहा है। अभियान के दौरान अब तक सभी 117 आकांक्षी जिलों में विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों में अब तक 4,51,375 किसानों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।

आईसीएआर/ केवीके द्वारा प्रत्येक गांव में मधुमक्खी पालन, मशरूम की खेती और किचन गार्डन के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। जिनमें काफी संख्या में किसान बढ़- चढ़ का भाग ले रहे हैं। इन कार्यक्रमों में महिला किसानों को प्राथमिकता दी जा रही है। एक तरफ जहाँ वैज्ञानिकों द्वारा भूमिहीन एवं घरेलू महिलाओं को ऑयस्टर मशरूम से जीविकोपार्जन के तरीकों के साथ अपनी जरूरत की पौष्टिक सब्जियों को किचन गार्डेन में लगाने की विधियाँ बताई जा रही हैं। वहीँ दूसरी तरफ पशुपालन वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को वैज्ञानिक विधि से पशुपालन और दुग्ध उत्पादन करने के तरीकोंव गोबर से वर्मी कम्पोस्ट और जैविक खाद बनाने की प्रक्रियामें दक्ष किया जा रहा है।

कृषि एवं सहकारिता विभाग के तत्वाधान में आयोजित प्रशिक्षण शिविरों में किसान भाइयों को बेहतर पैदावार उपाय भी सुझाये जा रहे हैं। उन्हें बताया जा रहा है कि खेती करने से पहले मिट्टी की उर्वरा शक्ति की जांच करना बेहद जरुरी है,जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति के अनुरुप उर्वरकों खाद का प्रयोग हो सके। साथ ही किसानों को सॉयल हेल्थ कार्ड के फायदे बताने के साथ वितरण भी किया जा रहा है। प्राप्त आकड़ों के अनुसार अब तक अभियान के दौरान अब तक कुल 6,35,841 सॉयल हेल्थ कार्ड का वितरण किया जा चुका है।

वैज्ञानिकों के अनुसार खेत की मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनाये रखने के लिए किसानों को केंचुआ खाद का प्रयोग करना चाहिए। जिला कृषि पदाधिकारियों द्वारा भी किसानों को मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनाए रखने के लिए कंपोस्ट खाद के प्रयोग पर विशेष जोर दिया जा रहा है।

राधा मोहन सिंह,
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री,
भारत सरकार