मोदी सरकार ने किसानों से किया वादा निभाया, खरीफ फसलों के लिए एमएसपी में की अभूतपूर्व वृद्धि
मोदी सरकार ने किसानों के हित में एक ऐतिहासिक फैसला किया। सरकार ने 2018-19 के खरीफ की फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को लागत का डेढ़ गुना या उससे अधिक बढ़ा दिया, अर्थात किसानों को अब अपनी फसल की लागत का डेढ़ गुना या इससे ज्यादा कीमत मिलेगी। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 4 जुलाई को कैबिनट की हुई बैठक में ये फैसला लिया गया। उल्लेखनीय है कि बजट 2018-19 में सरकार ने किसानों से वादा किया था कि सरकार किसानों को फसलों की लागत का डेढ़ गुऩा मूल्य देगी। बजट में बेहतर आय सृजन के जरिए किसानों की आय बढ़ाने पर भी जोर दिया गया था। साथ ही, इस बजट में 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए जरूरी कृषि नीति में बदलाव करने का संकेत भी दिया गया था।
आपको मैं बता दूं कि सरकार 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के द्दष्टिकोण को साकार करने के लिए प्रति वचनबद्ध है, जिसके लिए यह एक सघन नीति पर काम कर रही है। इसका जोर उत्पादकता में वृद्धि करने, खेती की लागत को कम करने एवं बाजार ढांचा सहित पोस्ट-हार्वेस्ट प्रबंधन को सुद्दढ़ करने पर है। अनेक बाजार सुधारों की पहल की गई है। इसमें मॉडलकृषि उत्पाद एवं पशुधन विपणन अधिनियम, 2017 और मॉडल संविदा खेती एवं सेवा अधिनियम, 2018 शामिल हैं। बहुत से राज्य नियम के माध्यम से इन्हें अपनाने के संबंध में उपाय किये है। सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए एक नये बाजार ढा़चे पर काम कर रही है कि किसानो को उनके उत्पादों के लिए लाभकारी मूल्य प्राप्त हो सके। इसमें ग्रामीण कृषि बाजार (जीआरएएम) की स्थापना करना शामिल है ताकि फार्म गेट; ई-एनएएमके माध्यम से एपीएमसी पर प्रतिस्पर्धात्मक एवं पारदर्शी थोक बिक्री व्यापार तथा एक मजबूत और प्रो-कृषक निर्यात नीति के सानिध्य में 22,000 खुदरा बाजारों को बढ़ावा दिया जा सके।
यहां यह उल्लेख करना ठीक रहेगा कि एक नई एमएसपी नीति जिसके तहत किसानों के लिए न्यूनतम 50 प्रतिशत लाभ मार्जिन सुनिश्चित किया जा सके, सुधारों की श्रृंखला में एक दूसरा प्रगतीशील उपाय है जिसके लिए सरकार विगत चार सालों से कार्यरत है। सरकार 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने एवं तत्पश्चात उसके कल्याण में सुधार लाने के लिए वचनबद्ध है।
यहां यह बता देना ठीक रहेगा कि 2018-19 के लिए बजट में यह दर्शाया गया था कि किसानों की उच्चतर आय को सृजित करने पर विशेष जोर के माध्यम से 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने संबंधी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए कृषि नितियों में प्रतिमान विस्थापन अपेक्षित है। रामतिल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में 1827 रू./क्विंटल, मूंग के न्यूनतम समर्थन मूल्यों में 1400 रू./क्विंटल, सुजरमुखी बीज में 1288 रू./क्विंटल तथा कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 1130 रू./क्विंटल की वृद्धि अभूतपूर्व है।
आपको मैं जानकारी दे दूं कि अनाजों एवं पोषक अनाजों में से, पूर्ण वृद्धि के मद में, धान (सामान्य) के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 200 रू. प्रति क्विंटल, ज्वार (हाईब्रिड) में 730 रू. प्रति क्विंटल एवं रागी के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 997 रू. प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है। विगत वर्ष की तुलना में रागी (52.47%) के साथ-साथ ज्वार हाईब्रिड (42.94%) के न्यूनतम समर्थन मूल्य में सबसे अधिक प्रतिशत वृद्धि हुई है। दलहनों के लिए,मूंग के अलावा,अरहर (तूर) के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 225 रू. प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है जिससे लागत के ऊपर 65.36 प्रतिशत का लाभ हुआ है एवं उड़द के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 200 रू. प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई जिससे लागत के ऊपर 62.89 प्रतिशत का लाभ हुआ है ताकि अंत: फसल मूल्य समानता को बरकार रखा जा सके। इसी प्रकार, बाजरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 525 रू./क्विंटल की वृद्धि हुई है जिससे लागत के ऊपर 96.97 प्रतिशत का लाभ हुआ है।
दलहनों की खेती को बढ़ावा देने से पोषाहार असुरक्षा पर विजय पाने, नाइट्रोजन निर्धारण के जरिए भू उर्वरता में सुधार लाने एवं किसानों को आय सहायता प्रदान करने में भारत को सहायता मिल सकती है। अत:, दलहनों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्यों में वृद्धि से किसानों को उनके दलहन क्षेत्रफल में वृद्धि करने हेतु मूल्य संकेत मिलता है। इसके अलावा, भारत के आयात बिल को कम करने के लिए, तिलहनों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि से इसके उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा एवं इसकी उत्पादकता में पूंजी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा। पोषक अनाजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि से पोषाहार सुरक्षा में सुधार होगा एवं किसान बेहतर मूल्य प्राप्त कर सकेंगे।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) एवं अन्य नामित राज्य एजेंसियां पोषक अनाजों सहित अनाजों के मामले में किसानों को मूल्य समर्थन देना जारी रखेगी। भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नैफेड), एफसीआई, छोटे कृषक कृषि व्यवसाय संकाय (एसएफएसी) एवं अन्य नामित केंद्रीय एजेंसिया दलहनों एवं तिलहनों की खरीद करने का काम जारी रखेगी। भारतीय कपास निगम (सीसीआई) कपास के लिए मूल्य समर्थन संचालन करने हेतु केंद्रीय नोडल एजेंसी होगा।
राधा मोहन सिंह
कृषि और किसान कल्याण मंत्री
भारत सरकार