ऐसी सरकार जो रखे सबका ख्याल
नागरिकों के हितों को सर्वोपरि रखने और ‘सबका साथ, सबका विकास’ के वायदे के साथ प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में आई। सरकार ने अपने तीन साल के कार्यकाल के दौरान यह स्पष्ट कर दिया कि चाहे हमारे युवा हों या किसान, दिव्यांग नागरिक हों या उपेक्षित वर्ग, यह सरकार हमेशा उनकी दिक्कतों को दूर करने और समस्याओं का हल निकालने के लिए सक्रिय रहती है। भले ही आप अपने देश में हों या किसी विदेशी धरती पर, सरकार अपने नागरिकों की मदद और रक्षा करने के लिए सदा तत्पर है। हालात कितने भी गंभीर या कठिन क्यों न हों, सरकार अपने नागरिकों की जरूरतों के प्रति संवेदनशील है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार ने युवा शक्ति की ताकत को पूरी तरह से पहचानकर देश के विकास में उस शक्ति को सींचने का संकल्प लिया है। मौजूदा सरकार ने देश में पहली बार कौशल विकास को लेकर एक समग्र और राष्ट्रीय नीति तैयार की। अलग-अलग 20 मंत्रालयों और विभागों से निकालकर सरकार ने कौशल विकास को एक मंत्रालय के अंतर्गत लाने का काम किया। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम ने 52.8 लाख उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया। चार सालों में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत 1 करोड़ लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य है। स्टार्ट अप इंडिया के रूप में स्टार्ट अप के लिए देश में अपनी तरह की पहली नीति जारी की गई। इस नीति के जरिए लाखों युवाओं की आकांक्षाओं को नया बल मिला है। वहीं मुद्रा योजना के तहत छोटे उद्यमियों को बिना किसी गारंटी के ऋण दिए गए। मुद्रा योजना का लाभ 7.45 करोड़ से ज्यादा छोटे उद्यमियों को मिला है, जिन्हें अब तक 3.17 लाख करोड़ रुपये से अधिक के गारंटीरहित ऋण मुहैया कराये जा चुके हैं। कौशल विकास योजना के तहत देश भर में 596 जिलों में 8,479 ट्रेनिंग सेंटर खोलकर 22 लाख से अधिक युवाओं को प्रशिक्षण दिए गए हैं। अलग-अलग 375 तरह की व्यापारिक विधाओं से जुड़े इस कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम में करीब आधी हिस्सेदारी महिलाओं की रही।
देश के विकास में महिलाओं के योगदान की महत्ता को केंद्र सरकार भली-भांति समझती है, इसलिए आधी आबादी के सशक्तिकरण की दिशा में उसने ढेर सारे नए कदम उठाए हैं। उज्ज्वला योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे गुजारा करने वाली महिलाओं के बीच दो करोड़ से ज्यादा रसोई गैस के कनेक्शन बांटे जा चुके हैं। बेटियों के भविष्य और सुरक्षा को लेकर परिवार और समाज में एक सकारात्मक रुख तैयार करने के उद्देश्य से सुकन्या समृद्धि योजना शुरू की गई है। बच्चियों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए इस योजना के तहत 1 करोड़ से अधिक खातों में अब तक 11 हजार करोड़ रुपये से अधिक जमा किए जा चुके हैं। गर्भवती महिलाओं को 26 हफ्ते की छुट्टी और 6000 रुपये की मातृत्व सहायता हो या प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत 33 लाख से अधिक प्रसव पूर्व जांच, सरकार की ये तमाम पहल महिला सशक्तिरण के बड़े उदाहरण हैं।
सरकार की हमेशा कोशिश रही है कि कारोबार के क्षेत्र में महिला उद्यमी भी कहीं से पीछे न रहें। इस बढ़ावे का ही परिणाम है जो मुद्रा योजना के तहत कम ब्याज दर पर बिना जमानत के मुहैया कराए गए ऋण में से 70 फीसदी महिला उद्यमियों ने हासिल किए हैं। महिला उद्यमियों को प्रोत्साहन देने के इरादे से ही महिला ई-हाट की शुरुआत की गई है। वहीं नई रोशनी योजना के तहत 2 लाख अल्पसंख्यक महिलाओं को फायदा हुआ है। नई रोशनी के जरिए अल्पसंख्यक महिलाओं में नेतृत्व क्षमता विकसित की जा रही है ताकि उद्यमिता के क्षेत्र में वो भी कदम से कदम मिलाकर चल सकें। ये योजना ‘सबका साथ सबका विकास’ के मौजूदा सरकार के दृढ़ संकल्प को उजागर करती है।
कृषि आधारित अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले किसानों के लिए मौजूदा सरकार ने अनेक योजनाओं को शुरू किया। किसानों के कल्याण के लिए सिंचाई, बीमा और संस्थागत ऋण की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत न्यूनतम प्रीमियम पर अधिकतम बीमा राशि के भुगतान का प्रावधान किया गया है। खेती से जुड़े खतरों से किसानों को बचाने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की गई। बीमा की राशि अब 50 फीसदी की जगह 33 फीसदी फसल नुकसान की स्थिति में भी प्राप्त हो सकेगी। किसानों को बीमा के लिए बहुत थोड़ा योगदान करना होता है- खरीफ फसल के लिए मात्र 2 प्रतिशत, रबी फसल के लिए केवल डेढ़ प्रतिशत और वार्षिक व्यावसायिक फसल के लिए 5 प्रतिशत।
वहीं प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत 28.5 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के दायरे में लाया जाएगा। 2014-17 के दौरान 15.86 लाख हेक्टेयर जमीन को लघु सिंचाई की ‘Per Drop More Crop’ योजना के अंतर्गत लाया गया। गौर करने वाली बात है कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का बजट 2017-18 में 20 हजार करोड़ से बढ़कर 40 हजार करोड़ हो गया है। इसके साथ ही उत्पादकता में सुधार के लिए सॉयल हेल्थ कार्ड योजना लॉन्च की गई और किसानों को 6.5 करोड़ कार्ड वितरित किए गए। E-Nam के जरिए किसानों को देशभर की मंडियों से सीधे जोड़ा गया। सरकार के नीम कोटेड यूरिया के फैसले से पहली बार देश में किसानों को पर्याप्त मात्रा में यूरिया उपलब्ध हुई। खरीफ और रबी दोनों तरह की फसलों में न्यूनतम समर्थन मूल्यों में बढ़ोतरी की गई। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए 5 लाख एकड़ क्षेत्र कवर किया जा रहा है।
दिव्यांग समेत प्रत्येक व्यक्ति को सम्मानित जीवन जीने का हक है। मौजूदा सरकार ने दिव्यांगों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण बढ़ा कर 4% कर दिया है ताकि वे एक सम्मानित जीवन जी सकें। दिव्यांगजनों की मदद के लिए आयोजित सहायता शिविरों के माध्यम से लगभग 4,700 विकलांगों को सहायता प्रदान की गई। इसके साथ-साथ, विकलांगता अधिनियम, 2016 के अनुसार दिव्यांगों की श्रेणी 7 से बढ़ा कर 21 कर दी गई है। भाषण और भाषा विकलांगता और विशिष्ट सीखने की विकलांगता को पहली बार विकलांगता की श्रेणी में शामिल किया गया है। इस अधिनियम में एसिड हमले के पीड़ितों को भी शामिल किया गया है, ताकि उन्हें पर्याप्त मदद मिल सके।
बीमा रहित और असुरक्षित लोगों को बीमा प्रदान कर यह सुनिश्चित किया जा रहा है जीवन के मुश्किल वक्त में या किसी हादसे की स्थिति में गरीबों और कमजोरों की जिंदगी को पूरी तरह से बिखरने से बचाया जा सके। प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत सिर्फ 12 रुपये सालाना के प्रीमियम पर 2 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा दिया जाता है जबकि प्रधान मंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत 330 रुपये सालाना के प्रीमियम पर 2 लाख रुपये का जीवन बीमा दिया जाता है। मार्च, 2017 तक प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योजना के अंतर्गत 10 करोड़ और प्रधान मंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत 3 करोड़ लोगों ने बीमा कराया है।
कृषि और गैर-कृषि क्षेत्र के लाखों मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी में 42% की वृद्धि तथा बोनस प्राप्त करने की पात्रता सीमा को बढ़ा कर मजदूरों के अधिकारों की रक्षा और उनके जीवन स्तर में सुधार हेतु सरकार लगातार प्रयास कर रही है। बोनस का भुगतान (संशोधन) अधिनियम, 2015 के जरिए बोनस भुगतान के लिए वेतन की अधिकतम पात्रता सीमा को 10,000 रुपये प्रति माह से बढ़ा कर 21,000 रुपये प्रति माह किया गया है। ईपीएफ के लिए यूएएन (UAN) संख्या मिलने से श्रमिकों को काफी सुविधा हुई। ईपीएफओ ने अपने सदस्यों को अब तक करीब 8.11 करोड़ यूएएएन आवंटित किए हैं। 2015-16 के दौरान निष्क्रिय पीएफ खातों के लाभार्थियों को 5,826.8 9 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया और साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया कि यह लाभ सिर्फ वास्तविक हकदार तक ही पहुँचे।
प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2022 तक सभी के लिए आवास सुनिश्चित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए किफायती आवास की अवधारणा पर कार्य किया जा रहा है। 9 लाख और 12 लाख रुपये तक के आवास ऋण के ब्याज पर क्रमशः 4 फीसदी और 3 फीसदी की छूट दी जा रही है।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार का मानना है कि गरीब भी अच्छे स्वास्थ्य और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा के हकदार हैं। इस दिशा में मौजूदा सरकार ने कई प्रयास किए।
- मिशन इंद्रधनुष का उद्देश्य देश के प्रत्येक बच्चे को टीकाकरण के जरिए खतरनाक और जानलेवा बीमारियों से बचाना है। इस पहल के तहत 2.6 करोड़ से अधिक बच्चों को प्रतिरक्षित किया गया है। पूर्ण प्रतिरक्षण कवरेज की वार्षिक वृद्धि दर 1% से बढ़ कर 5-7% तक पहुँच गई है।
- स्टेंट की कीमतों में 85% तक कटौती से देश के हृदय रोगियों, खासकर गरीबों को राहत मिली है। गरीबों के लिए किफायती दवाइयों की उपलब्धता सुलभ कराने के उद्देश्य से 489 आवश्यक दवाईयों (एनएलईएम) की राष्ट्रीय सूची बना कर, इसकी कीमतें तय कर दी गई हैं।
वंचित वर्गों की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने के लिए एससी और एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 2015 के तहत एससी और एसटी के खिलाफ अपराधों की समय पर सुनवाई के लिए विशेष अदालतों की स्थापना की गई है। सामाजिक न्याय को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए सरकार ने सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग के राष्ट्रीय आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान कर सशक्त बनाया है।
कई दशकों से जनजातियों और वनवासियों को अपनी भूमि का मान्यता पत्र (टाइटल) नहीं मिला था। नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने अनुसूचित जनजातियों और अन्य पारंपरिक वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के तीव्र गति से कार्यान्वयन करने पर विशेष ध्यान दिया है। पिछले तीन वर्षों में 52 लाख व्यक्तिगत और सामुदायिक वन अधिकार मान्यता पत्र वितरित किए गए हैं। इस दौरान वन भूमि का क्षेत्र 32 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 55 लाख हेक्टेयर हो गया, जो कि एक उल्लेखनीय वृद्धि है।
प्राकृतिक आपदा की स्थिति में भी सरकार अपने नागरिकों के साथ मजबूती से खड़ी रही है। उदाहरण के तौर पर हाल ही में जब महाराष्ट्र में भयंकर सूखा पड़ा तो प्रभावित क्षेत्रों के लोगों तक मदद पहुंचाने के लिए सरकार ने हर संभव उपाय किए। रेल मार्ग के जरिए 150 से अधिक वैगनों में 6 करोड़ लीटर से अधिक पानी इन क्षेत्रों में पहुंचाया गया। किसी भी प्राकृतिक आपदा या खतरे से उत्पन्न आपात स्थिति में यह सुनिश्चित किया गया कि राहत कार्य में धन की कोई कमी न आए। सरकार ने राज्य आपदा निधि की राशि को 33,580.93 करोड़ रुपये (2010-11 और 2014-15 के बीच) से बढ़ा कर 61,220 करोड़ रुपये (2015-16 से 2019-20 के बीच) कर दिया है जो पहले की अपेक्षा 80% से अधिक की वृद्धि है।
इस सरकार ने न केवल देश के भीतर बल्कि दूसरे देशों की सीमाओं में भी अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए भरपूर प्रयास किए हैं। चाहे यूक्रेन में रह रहे 1,100 भारतीय हो, या लीबिया में फंसे 3,750 भारतीय या इराक में रह रहे 7,200 भारतीय; सभी की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की गई। इसी प्रकार 6,710 व्यक्तियों, जिनमें 4,478 भारतीय थे, को यमन से सुरक्षित निकाला गया और इसके अलावा 156 भारतीय दक्षिण सूडान से वापस लाए गए।
सरकार केवल सामाजिक या राष्ट्रीय मुद्दों पर ही ध्यान नहीं देती है बल्कि आम आदमी की सामान्य शिकायतें भी उसके लिए बेहद महत्वपूर्ण है। केन्द्रीय लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस), जहां नागरिक शिकायत दर्ज कर सकते हैं, की अच्छी तरह से निगरानी की जाती है और जनशिकायतों का त्वरित और शीघ्रता से निपटारा किया जाता है। सोशल मीडिया और टेक्नोलॉजी के माध्यम से जनशिकायतों का त्वरित निपटारा किए जाने पर कई मंत्रालयों को भरपूर सराहना भी मिली है।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विकास की दिशा में भारत ने एक लंबा सफर तय किया है। कभी सँपेरों के देश के रुप में जाने जाना वाला भारत अब सॉफ्टवेयर और अंतरिक्ष उपग्रहों के देश के रूप में जाना जाता है। पीएसएलवी-सी 37 और आईआरएनएसएस -1 जी की उपलब्धि से भारत ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपना दबदबा कायम किया है। पहली बार दुनिया ने भारत को एक आर्थिक ताकत के रूप में स्वीकार किया है। नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली सरकार ने बड़ी ही कुशलता से ब्रांड इंडिया को एक शक्ति के रूप में स्थापित किया है। यह एक नया भारत है जिसकी पूरी दुनिया में प्रशंसा हो रही है।