किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि उद्यमशीलता और स्टा र्ट-अप

Radha Mohan Singh
21 Dec 2018

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में पारंपरिक रूप से प्रौद्योगिकी विकास और प्रसार में मुख्यय बल खाद्य और पौषणिक सुरक्षा उपलब्धी कराने के उद्देश्य से फसल, पशु और फार्म उत्पायदकता को बढ़ाने पर दिया जाता रहा है। इस प्रकार विकसित की गई प्रौद्योगिकियों ने खाद्यान्नष, बागवानी फसलों, दूध, मात्स्यिकी और अंडों के उत्पाेदन को बढ़ाने में महत्वकपूर्ण रूप से योगदान दिया है। तथापि, कृषि के बढ़ रहे वैश्वीकरण के कारण, अब अनुसंधान और विकास की प्राथमिकताओं का कृषि उत्पालदों के मूल्ये संवर्धन और कृषि वैविधीकरण को बढ़ाने की ओर पुन:अभिविन्याउस किया जाना चाहिए, और इसके द्वारा ही वास्तोविक समानता और आजीविका सुरक्षा उपलब्धा कराई जा सकेगी।

भारतीय स्टाजर्ट-अप पारिस्थितिकीय प्रणाली ने पिछले कुछ वर्षों में अभूतपूर्व विकास का प्रदर्शन किया है; और अब भारत वैश्विक रूप से स्थाएपित किए जाने वाले स्टांर्ट-अप की संख्याश के संदर्भ में सर्वोच्चत तीन देशों में से एक देश के रूप में उभरा है। तथापि, सभी देशों के स्टानर्ट-अप पारिस्थितिकी प्रणाली के सैक्टमरवार ब्रेक-अप से यह पता चलता है कि कृषि क्षेत्र की ओर विभिन्नर स्टेिकहोल्डकरों, विशेष रूप से निवेशकों, का ध्यािन कम जाता रहा है। इसके मुख्य कारण उच्चटतर जोखिम, जलवायु जोखिम, कृषि भूमि का उच्च मात्रा में विखण्डीखकरण,आंकड़ो की कमी, सप्ला ई श्रृंखला में पारदर्शिता की कमी आदि हैं। तथापि, भारतीय कृषि में एक मुख्यआ बदलाव देखा गया है जिससे पता चलता है कि किसानों की विचारधारा में अब परिवर्तन होने लगा है और ऐसा सरकार की उद्यमशीलता विकास को प्रोत्सााहित करने और स्टा र्ट-अप को सहायता प्रदान करने की नीति में परिवर्तन के कारण संभव हुआ है। केन्द्र सरकार द्वारा गैर नीतिगत उपायों जैसे कि राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर नीति 2016) और स्टाैर्ट-अप इंडिया (2016) की शुरूआत करने से संगठनों में अनुसंधान और विकास में नव प्रर्वतनों के एक कल्च र का निर्माण हुआ है जो उद्योग-शिक्षाविदों के बीच सहभागिताओं को प्रोत्साोहित करते हैं। इसके साथ-साथ, इन पहलों से प्रक्रियाएं और हैंड होल्डिंग सरल हुई हैं; निधियन की सहायता प्राप्तइ हुई हैं और प्रौद्योगिकियों को कृषि व्यहवसाय में रूपांतरित करने में बढ़ावा देने के लिए की जाने वाली पहलों को भी प्रोत्सायहित किया जा रहा है।
इसलिए, पिछले कुछ वर्षों में अनेक शिक्षित युवा, जिनके पास नए विचार हैं, काम करने का जोश है, कृषि को उसके पारंपरिक रूप से ऊपर उठाकर हाईटैक व्य वसाय मॉडलों और नई प्रकार की प्रौद्योगिकियों की शुरूआत करने की ओर आकर्षित हुए हैं। ये उद्यमी और स्टा्र्ट-अप कृषि मूल्यत श्रृंखला में लुप्तं हो चुके सम्पसर्क उपलब्धप करा सकते हैं और किसानों और ग्राहकों दोनों को उत्पा दों, प्रौद्योगिकियों और सेवाओं की त्व‍रित और दक्ष डिलीवरी कर सकते हैं। खाद्य और कृषि क्षेत्र में आईसीटी-एप्प स से फार्म ओटोमेशन, स्मा र्ट पोल्ट्री और डेयरी उद्योगों से स्माऔर्ट कृषि की ओर तथा संरक्षित कृषि से नवोन्मेरषी खाद्य प्रसंस्कतरण और पैकेजिंग की ओर प्रौद्योगिकी प्रेरित स्टारर्ट-अप उभर रहे हैं।

नई प्रौद्योगिकियों के साथ नए स्टारर्ट-अप बनाने के अलावा, यह उतना ही महत्वसपूर्ण है कि हमारे देश में बहुत बड़ी संख्या् मेंछोटे पैमाने के किसान उसी रूप में उद्यमी बन सकें जैसी कि वे खेती करते हैं। तथापि, इन किसानों के लिए यह चुनौती है और इसके लिए उन्हेंव प्रसार कार्यकर्ताओं और अन्य् संस्थािनों की सहायता की आवश्यहकता है। उन्हेंं एक बेहतर और अधिक दक्ष और लाभप्रद रास्ते् बताए जाने चाहिए जिससे कि वे अपने खेतों से अधिकतम लाभ प्राप्तभ कर सकें।

इस प्रकार, उद्यमशीलता विकास के माध्याम से कृषि में नव-प्रवर्तन लाने के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी प्रणाली का निर्माण करने के लिए प्रौद्योगिकी इनक्यूतबेशन और स्टातर्ट-अप को बढ़ावा देना ऐसे उपाय हैं जिनसे देश के किसानों के जीवन में सुधार लाया जा सकता है। भारत के माननीय प्रधान मंत्री द्वारा परिकल्पित किए गए वर्ष 2022 तक ”किसानों की आय को दोगुना करने” के लक्ष्यए को प्राप्त करने में यह एक महत्वसपूर्ण कदम होगा।

सरकार की नीतियों और प्राथमिकताओं के अनुरूप, भा.कृ.अ.प. ने विभिन्नं वर्गों के स्टेरकहोल्डपरों को शामिल करते हुए कृषि क्षेत्र में उद्यमियों और स्टाेर्ट-अप को विकसित करने के लिए संकेन्द्रित प्रयास किए हैं।

इस बात पर बल दिया गया है कि किसानों की आय को दोगुना करने के लिए कृषि से संबंधित गतिविधियां बाजार-प्रेरित वाणिज्यिक उद्यम के रूप में की जानी चाहिए। इसका अनिवार्य रूप से अर्थ यह है कि उनमें नई फसलें और किस्में उगाने की क्षमता हो, उन्न त पशुधन का प्रजनन कर सकते हों और उनके पास उत्पाऔदकता और उत्पानद विविधीकरण को बढ़ाने के लिए वैकल्पिक प्रौद्योगिकियां हों; और इसके द्वारा जोखिम कम होंगे और लाभ बढ़ेंगे।

कृषि में दक्षता विकास के लिए
बढ़ती कार्यबल आवश्याकताओं के लिए नियोजनीय कौशल प्रदान करने की सुविधाएं प्रदान करने वाली उचित पारिस्थितिकी तंत्र को बनाने की आवश्यनकता महसूस करते हुए कृषि एवं किसान कल्याचण मंत्रालय ने दिनांक 20 मार्च, 2018 को कृषि एवं संबंध क्षेत्रों में कैशल विकास को बढ़ावा देने के लिए कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के साथ एक एमएयू हस्ता क्षर किया है।
देश के कृषि विकास में ग्रामीण युवाओं के बीच उद्यमी कौशल विकसित करने के महत्वब को समझते हुए भाकृअप ने युवाओं को कृषि में आकर्षित करने एवं बनाए रखने के लिए (एआरवाईए) कार्यक्रम प्रारंभ किया है।

नई प्रौद्योगिकियों में उद्यमशीलता और स्‍टार्ट-अप

किसानों की नई प्रौद्योगिकियों तक पहुंच की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए नए उद्यमियों और स्टा र्ट-अप को विकसित करने की नई एप्रोच को पूर्व आवश्यलकता मानते हुए, भा.कृ.अ.प. ने आईपी और प्रौद्योगिकी व्या‍वसायीकरण प्रक्रिया के प्रचार में प्रबंधक की भूमिका निभाने का कार्य किया है। परिणामस्व रूप, नीति और परिचालनात्मसक दिशानिर्देश बनाए गए और भा.कृ.अ.प. के सभी संस्थाीनों में तीन स्तणरों की नियमन क्रियाविधि की स्था पना की गई।

उद्यमशीलता विकास कार्यक्रम (ईडीपी): युवा स्कॉसलरों, उद्यमियों और प्रगतिशील किसानों के बीच कृषि व्यसवसाय विकास गतिविधियों के बारे में जागरूकता उत्पोन्नन करने के लिए, भा.कृ.अ.प. संस्थाबनों ने संस्थापन/जोनल/राष्ट्री य स्तोर पर विभिन्ने कृषि व्यदवसाय संबंधी कार्यक्रमों का आयोजन किया है। वर्ष 2009-10 से 2015-16 तक भा.कृ.अ.प. के विभिन्नक संस्था्नों में ऐसे 108 कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। उत्सा-हजनक सरकारी नीतियों और एनएआईएफ के तहत की गई पहलों के कारण 2016-17 से 2018-19 में 278 उद्यमशीलता विकास कार्यक्रम आयोजित किए गए।
भाकृअप द्वारा नवीन स्टा्र्ट-अप: कृषि व्याकपार उद्यमों के विकास पर विशेष जोर देते हुए एबीआई केन्द्रोंव ने अपनी कृषि प्रसार संबंधी तकनीकी तथा बुनियादी जरूरतों के लिए पिछले तीन वर्षों (2016-17 से 2018-19) में 662 इन्यूिशे बेट/ उद्यमियों /स्टा र्ट-अप को सहायता प्रदान की है। इस अवधि के दौरान भाकृअप के एबीआई नैटवर्क ने कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में अपना व्या पार प्रारंभ करने के लिए 385 उद्यमियों /स्टामर्ट-अप को स्ना तक/प्रशिक्षित किया है।
भाकृअप द्वारा स्टावर्ट-अप में सहायता की सफलता की गाथा को ‘AgRIM’ ‘एग्री-स्टाोर्ट-अप: रिफलैक्श्न आफ आईसीएआर टैक्नोअलॉजी इन मार्किट’ नामक पुस्त’क में प्रकाशित किया है। जिन क्षेत्रों में इन स्टाीर्ट-अप को स्था पित किया गया है उनमें कृषि अभियांत्रिकी मशीन/उपकरण, जैव-नाशीजीवनाशक तथा फसल पोषण, फसल उत्पाादन तथा उत्पाभदन प्रक्रिया, मत्य्ीएआ उत्पा द तथा प्रसंस्क‍रण, खाद्य उत्पािद और प्रसंस्ककरण, बीज एवं रोपण सामग्री तथा वस्त्र् उद्योग शामिल हैं। यह पाया गया कि 2008-09 से 2013-14 के दौरान 21 स्टावर्ट-अप ने अपने व्याहपारिक कार्यकलाप प्रारंभ किए। तथापि वर्ष 2017-18 के दौरान इस रूझान में वृद्धि हुई और 84 नए स्टाहर्ट-अप बाजार में आए।

छात्रों में उद्यमशीलता के विकास हेतु
स्टूरडेंट रेडी (ग्रामीण उद्यमशीलता जागरूकता विकास योजना) यह भाकृअनुप की एक नई पहल है जो कृषि और संबंध विषयों के स्नाणतकों को अभिमुख करता है जो गहन कृषि ज्ञान चुनौती के लिए सुनिश्चित करना और रोजगार योग्यनता का भरोसा दिलाना और उद्यमी विकसित करने के लिए है। सभी कृषि विश्वगविद्यालयों में इस कार्यक्रम को डिग्री एवार्ड के लिए अनिवार्य शर्त के रूप में लागू करने का विचार संबंधित विषय और स्थाानीय मांगों की आवश्यनकताओं पर निर्भर करता है, जो अनुभवी हाथों और व्य्वहारिक प्रशिक्षण को सुनिश्चित करें।

कार्यक्रम में पांच संघटक शामिल हैं, नामत: प्रयोगात्महक सीख, ग्रामीण जागरूकता कार्य अनुभव, संयंत्र प्रशिक्षण/औद्योगिक लगाव, प्रशिक्षित हाथ/दक्षता विकास प्रशिक्षण और छात्र परियोजनाएं। ये सभी संघटक एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और परियोजना विकास तथा अमल, निणर्य करने, व्यजक्तिगत और दल समन्वथय, समस्याक समाधान के लिए ए्प्रोच करने, जिम्मे दारी, गुणवत्ताि नियंत्रण, विपणन और एक सिरे से दूसरे सिरे तक विरोधों को सुलझाने हेतु दक्षता निर्माण की अवधारणा है।

प्रयोगात्माक सीख छात्र तैयार कार्यक्रम का एक प्रमुख संघटक है जो छात्रों को अपना स्वियं का उद्यम शुरू करने हेतु प्रतिस्पार्धा, योग्यटता, क्षमता निर्माण, दक्षता, विशेषज्ञता और आत्मदनिर्भरता का विकास करने में सहायता करता है और नौकरी मांगने वाले के बदले नौकरी देने वाला बनने और सीखने के दौरान अर्जित करने की अवधारणा की ओर एक कदम है।

अब तक विभिन्ने विषयों में 441 प्रयोगात्मरक सीख इकाईयों की स्वी्कृति हो चुकी है। यह कार्यक्रम 2016-17 और 2017-18 के दौरान क्रमश: 51 और 55 कृषि विश्व -विद्यालयों में शुरू किया गया और इस कार्यक्रम से 26,000 से ज्या दा छात्रों को लाभ हुआ है। इसने कृषि छात्रों को यह मौका दिया कि वे कृषि कार्य की गतिविधियों का अनुभव लें और गंभीरता से अपने कार्य अनुभव की समीक्षा और विश्लेेषण करें। संबंधित संस्थाुनों और उद्योगों में कार्य करके व्यायवसायिकता विकास हेतु मौका प्राप्तर करने के लिए विभिन्ना संगठनों में व्य्वहारिक प्रदर्शन आत्मुनिर्भरता प्राप्त करने और नए रोजगार अवसरों को फैलाने का मौका प्रदान करता है। छात्रों को प्रतिमाह 3000/- रूपये प्रति छात्र अधिकतम छ: माह तक सहायता भी प्रदान की जाती है।

ग्रामीण जागरूकता कार्य अनुभव (आरएडब्यू-रापई) छात्रों को मुख्यदत: ग्रामीण क्षेत्र में कुल मिलाकर विकास के लिए ग्रामीण स्थितियों, किसानों द्वारा अपनाई गई प्रौद्योगिकियों की स्थिति, किसानों की समस्यारओं की प्राथमिकता और कृषि परिवारों के साथ कार्य करने का नजरिया और दक्षता विकास को समझाने में सहायता करता है।
इसके अलावा, भाकृअनुप-नार्म नियमित रूप से छात्रों, उद्यमियों और शैक्षणिक समुदाय के लिए एक दिवसीय सुग्राही बनाने के कार्यक्रमों का आयोजन करता है। अब तक इस प्रकार की 14 कार्यशालाएं आयोजित की जा चुकी हैं जहां देश भर से 15 विश्वदविद्यालयों से भी ज्याएदा को शामिल करते हुए करीब 2000 छात्रों और लगभग 500 उद्यमियों ने भाग लिया है।

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