कोरोना संक्रमण की चुन्नौती स्वीकार करता शिक्षा जगत

Team MyGov
June 10, 2024

COVID-19 के रूप में जाना जाने वाले कोरोनावायरस रोग के संक्रमण से  चीन, फ्रांस, अमेरिका, स्पेन,  इटली, समेत  पूरा विश्व स्वास्थ्य आपातकाल के साथ आर्थिक और सामाजिक संकट से जूझ रहा हैl  इस कठिन घड़ीमें शिक्षा जगत भी  एक बड़ी चुन्नौती का सामना कर रहा है। विश्व  की आबादी का एक तिहाई से अधिक लोग  किसी न किसी प्रतिबंध के तहत है अपने घरों में हैं ।

महामारी की विकरालता को देखते हुए  11 मार्च, 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने COVID-19 के प्रकोप को महामारी घोषित किया। इसका मतलब यह है कि पूरा विश्व इस प्रकोप यानी  कोरोना संक्रमण की महामारी   से ग्रस्त है । अपने आह्वान में  विश्व स्वास्थ्य संगठन  ने  सभी प्रभावित देशों से उन सभी बचाव प्रयासों को जारी रखने की अपील की है  जो मामलों की संख्या को सीमित करने और वायरस के प्रसार को धीमा करने में प्रभावी रहे हैं। भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री  के आह्वान पर पूरा देश संक्रमण रोकने हेतु लॉकडाउन  का पालन कर रहा है।  आज देश की 130  करोड़  की आबादी अपने जीवन की सुरक्षा के दृष्टिगत अपने अपने घरों पर रहने के लिए मजबूर हैं।   जाहिर है,  आपदा की इस घड़ी ने सबको झकझोर  कर रख दिया है। देश भर में लोगों के दैनिक जीवन ठहर सा गया मालूम होता  है। हवाई, रेलमार्ग और सड़क मार्गो पर आवाजाही बंद है.  अंतरतराष्ट्रीय स्तर पर COVID-19 के मामलों की रिपोर्टिंग करने वाले देशों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है I  वृद्ध लोगों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली या अंतर्निहित चिकित्सा स्थिति वाले लोग गंभीर बीमारी के विकास के एक उच्च जोखिम में हैं।

संकट के इन पलों में उम्मीद की किरण  के रूप  हमारे विश्वविद्यालय, शैक्षिक एवं शोध संस्थान उभर कर आ रहे है जो विपत्ति की इस घड़ी में धैर्यपूर्वक समाधान ढूंढ़ने के लिए संकल्पित हैं ।  भारत समेत  दुनिया भर के देशो  के शीर्ष विश्वविद्यालय , शोध संस्थान – कोरोनवायरस या COVID-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में एक सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। अनुसंधान निष्कर्षों, सामान्य जानकारी और संसाधन केंद्रों के साथ  बेहतर समन्वय स्थापित करते हमारे संस्थानसार्वजनिक भलाई में योगदान दे रहे हैं। कठिनता के इस दौर  भारत  के  शीर्ष    शिक्षण संस्थाएं अपने सामर्थ्य अनुसार आगे आकर  पूरी तन्मयता से इस चुन्नौती से मुकाबला करने में जुटे हैं ।

जैसे  कि सर्वविदित  है  हमें इस बात का ध्यान रहना चाहिए कि हम एक असाधारण और अभूतपूर्व सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट से जूझ  रहे हैं। एक ऐसा संकट जिसने लगभग दुनिया  के   7 लाख लोगों को चपेट में लिया है हज़ारों   लोगों की इस महामारी के कारण मृत्यु हो चुकी है । करीब 200 देश इस महामारी से प्रभावित हुए  है ।इस रोग का मुक़ाबला करने के लिए जागरूकता एवं “सोशलडिस्टैन्सिंग” अत्यंत आवश्यक है ।   इसके दृष्टिगत विश्व के बृहदत्तम शिक्षा तंत्रों में से एक होने के कारण इस बड़े संकट से उबरने के लिए भारत  के  1000 विश्वविद्यालयों और 45000 से  अधिक   महाविद्यालयों, 16 लाख  से  अधिक  स्कूलों    1 करोड़ से अधिक अध्यापकों तथा  34 करोड़  विद्यार्थियों   के नेटवर्क का   बेहतर उपयोग करने का प्रयास कर रहे हैं ।

सरकार, समाज और व्यापार के साथ हम सार्थक  भागीदारी और सहयोग सुनिश्चित कर  अग्रणी कार्य  कर सकते  हैं । हमारे 34 करोड़ विद्यार्थी जहाँ लोगो की जागरूकता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है  । वहीँ  हमारे वैज्ञानिक, शोधार्थी,  इंजीनियर, प्रौद्योगिकीविद, प्रोफेसर   अपनी प्रतिभा और क्षमताओं के अनुसार COVID-19 महामारी से उत्पन्न तत्काल सार्वजनिक स्वास्थ्य चुन्नोतियों के    समाधान  हेतु प्रयासरत हैं Iइस कठिन समय में यह  संतोष जनक है की देश के शैक्षिक  संस्थानों  में   इस चुनौती से निपटने के लिए एक सकारात्मक माहौल बना हुआ है ।   इसका कारण  यह है कि देश के शैक्षिक जगत में रणनीतिक परिवर्तन / सुधार  गतिमान है जो भारत को बुनियादी एवं विशेष क्षेत्रो में अनुसंधान को बढ़ावा देने में सकारात्मक भूमिका निभा रहे हैं ।   जहाँ हम स्टार एवं स्ट्राइड के माध्यम से समाजोपयोगी एवं अन्तर विषयी शोध को बढ़ावा दे रहे हैं वहीँस्ट्राइड के माध्यम से विश्व के शीर्ष 128 विश्वविद्यालयों से  सहयोगात्मक शोध परियोजनाओं पर कार्य कर रहे हैं  ।  इन सबसे नयी  शोध संस्कृति बनाने के प्रयासों को बल मिला हैं  । प्रत्यक्ष धन और संसाधनों के प्रवाह को आसान बनाने के लिए उद्योग और नवाचार को अनुसंधान गतिविधियों के साथ जुड़े रहने के विशेष प्रयास किये गए हैं I विभिन्न स्टार्टअप,  इनक्यूबेटरकेन्द्रो के माध्यम से एवं शोध अनुसन्धान को बढ़ावा देने वाली नीतियों के साथ-हम अपनी समस्यायों का समाधान ढूँढ़ने में जुटे हैं।

मुझे आपसे यह साझा करते हुए हर्ष है कि देश में 20 से अधिक शोध संस्थान उच्च संक्रामक कोरोनवायरस के उपचार के लिए टीके विकसित करने के लिए कार्य कर रहे हैं। इसमें हमारे श्रेष्ठ शैक्षणिक और शोध संस्थाओं के अतिरिक्त नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी), पुणे और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकलरिसर्च (ICMR) भी एक हैं l कोविद -19 से लड़ने के लिए सरकारी संस्थानों एवं कई निजी कंपनियों  हज़ारों  तकनीक-आधारित प्रस्ताव मिले हैं। हमारे  आईआईटी-इनक्यूबेटरों को पोर्टेबलवेंटिलेटर के अनुसंधान और विकास पर कार्य कर रहे हैं l  हमारे संस्थानों में जीनोम अनुक्रमण पर और रक्त के नमूनों से  कोरोनोवायरस के स्ट्रेन के पृथकीकरण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है l  भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली के शोधकर्ताओं COVID-19 का पता लगाने के लिए एक विधि विकसित करने में जुटे है जो  परीक्षण लागत को काफी कम करेगी l

हमारे  देश के  विश्वविद्यालय  डीम्ड विश्वविद्यालय अपनी प्रयोगशालाओं में   चिकित्सा  उपकरण  बनाने हेतु आपस में सहयोग कर रहे हैं l   हमारे विश्वविद्यालय, इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकलकॉलेजों, अन्य  संस्थानों ने  अपने आस पास के क्षेत्रो में जहा विशेष जागरूकता अभियान चलाया है I हमारे कई संस्थान टेस्टिंगकिट विकसित करने के साथ  ऐसी इलाज़ पद्धतियों  पर कार्य कर रहे हैं   इस महामारी के  प्रति प्रभावी हो सकते हैं विषम  भौगोलिक  परिस्थितयों वाले हमारे  उत्तरपूर्व एवं अन्य हिमालयी राज्यों में  सरकार को संभावित कोरोनावायरस मरीज़ों के लिए आइसोलेशन केंद्र स्थापित करने हेतु हमारे कई शैक्षणिक संस्थान आगे आये हैं। यह प्रसन्नता का विषय है की देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के मेडिकलकॉलेजों ने जिनमे कई निजी विश्वविद्यालय शामिल है द्वारा अपने यहाँ पर कोरोना जांच हेतु विशेष  केंद्र स्थापित किये  है और वे दिन रात जरूरतमंदो के सेवा के लिए तत्पर हैं । देश में सैनिटाइटर कमी के बीच, हमारे संस्थान न केवल स्वयं के सैनिटाइटर बना रहे हैं बल्कि सरकारी कर्मचारियों व्  पुलिस  को भी सैनिटाइटर मुफ्त दे रहे है  । भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बनारस, कानपुर, खड़गपुर, रुड़की, रोपड़, मद्रास, एनआईटीजालंधर, सूरतकल इंडियन एसोसिएशन ऑफ द कल्टिवेशन ऑफ साइंस, जादवपुर विश्वविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय और दिल्ली फार्मास्युटिकलसाइंसेज एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी  इसमें शामिल हैं ।

भारत के कई शोध संस्थानों के साथ निजी क्षेत्र की   प्रौद्योगिकी कंपनियो के अनुसंधान और नवाचारप्रभाग नैदानिक परीक्षणों के लिए COVID रोगी संख्याओं को ट्रैक करने के लिए प्लेटफ़ॉर्म विकसित कर रहे है   एवं  दवा की खोज पर भी महत्वपूर्ण कार्य कर रहे  है। केरल के कोरोनासेफ नेटवर्क  में हमारे शैक्षणिक संस्थान  महत्वपूर्ण  भूमिका निभा रहे हैं।  इसके अंतर्गत  केंद्र और राज्य सरकारें, विद्यार्थी , अध्यापक, प्रशासनिक अधिकारी, रक्षा कर्मी, अस्पताल प्रशासक, चिकित्सक, सॉफ्टवेयरप्रोग्रामर, शैक्षिक संस्थान प्रशासक, खुले नवाचार के तहत  कोरोना साक्षरता मिशन और कोरोनाकेयरकेन्द्रो तक मरीजों को पहुंचाने में सरकार  की मदद कर  रहे  है I

आज आवश्यकता है हम सब अनुशासन में रहकर सोशलडिस्टैन्सिंग के महत्व को समझे ।आज पूरा देश एक जुट होकर इस महामारी से लड़ने के लिए संकल्पबद्ध है । मुझे पूर्ण  विश्वास  है कि  प्रधान मंत्री जी के नेतृत्व में  संपूर्ण विश्व में कोहराम मचाने वाले इस वायरससंक्रमण की चुन्नौती पर भारत अवश्य विजय कर करेगा ।

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