जिला खनिज फाउंडेशन स्थानीय समुदायों को समर्पित
भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 25 अगस्त 2014 को अपने एक निर्णय में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा किए गए कोयला ब्लॉकों के आवंटन को मनमाना और अवैध करार दिया। यह मामला अगस्त 2012 में, संसद में पेश की गई सीएजी (कैग) की अंतिम रिपोर्ट में कोयला ब्लॉकों के आवंटन में 1.86 लाख करोड़ रुपये के नुकसान के बाद सामने आया।
वर्ष 2015 में, नरेंद्र मोदी सरकार ने खान और खनिज (विकास और विनियमन) में संशोधन करके नीलामी को अनिवार्य बना दिया और बिल के एक हिस्से के रूप में, सरकार ने जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) के नाम से एक नई संस्था बनाई। जहाँ लाइसेंसधारी और पट्टाधारक जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) को रॉयल्टी की एक निश्चित राशि का भुगतान करते हैं। जिला खनिज फाउंडेशन के पीछे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच यह थी कि स्थानीय समुदाय देश के प्राकृतिक संसाधन आधारित विकास में प्रमुख हितधारक हैं, इसलिए प्राकृतिक संसाधनों से मिलने वाले लाभ से स्थानीय समुदाय का विकास होना चाहिए और इनपर इनका पहला अधिकार है। उनका ये विचार उनकी गरीब कल्याण की सोच और भ्रष्टाचार से लड़ाई के उनके दृढ़ विश्वास को दर्शाता है।
आज, 10 वर्ष बाद, जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) को लगभग 1 लाख करोड़ का कोष प्राप्त हुआ है, जिसके माध्यम से खनन प्रभावित जिलों में विकेंद्रीकृत विकास कार्य हुआ है। राष्ट्रीय खजाने को 1.86 लाख करोड़ रुपये के नुकसान से लेकर डीएमएफ द्वारा स्थानीय समुदाय विकास कार्य में खर्च करने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के कोष तक की यात्रा आज (16 सितंबर) जिला खनिज फाउंडेशन दिवस पर बताने लायक परिवर्तन है। एक कल्याणकारी विचार के रूप में शुरू हुआ डीएमएफ प्रधानमंत्री खनिज कल्याण योजना के तहत 3 लाख से अधिक परियोजनाओं के साथ अब 23 राज्यों के 645 जिलों में पहुँच गया है।
डीएमएफ राज्य सरकार को सक्रिय भागीदार बनाकर इस रणनीति को संस्थागत रूप देते हैं और सबका साथ-सबका विकास की मूल भावना को चरितार्थ करते हैं। जिला कलेक्टर के नेतृत्व में, खनन प्रभावित जिलों के उत्थान के लिए ज़्यादा ज़रूरत वाले स्थानों पर धन का आवंटन होता है। हाल ही में लॉन्च किया गया ‘राष्ट्रीय डीएमएफ पोर्टल’ पूरे भारत में डीएमएफ के प्रशासन और निगरानी को डिजिटल बना रहा है, जिससे इसके संचालन में अधिक पारदर्शिता और दक्षता आएगी। डीएमएफ न केवल राष्ट्रीय प्राथमिकताओं का नेतृत्व कर रहा है, बल्कि क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक और मानव विकास सूचक को बेहतर बनाने में जिला प्रशासन के प्रयासों को भी पूरक बना रहा है।
हाल ही में नई दिल्ली में डीएमएफ गैलरी के शुभारंभ के अवसर पर, मुझे ओडिशा में जिला खनिज फाउंडेशन द्वारा स्थापित स्वयं सहायता समूहों की कई प्रतिभाशाली महिलाओं से मिलने का सौभाग्य मिला। ये महिलाएँ केवल कारीगर नहीं थीं बल्कि उद्यमी बनने की राह पर थीं। अपने शिल्प को प्रदर्शित करने और पहचान हासिल करने की महत्वाकांक्षा से प्रेरित होकर, वे अपने परिवारों के लिए वित्तीय स्तंभ बनने पर भी समान रूप से केंद्रित थीं।
मध्य प्रदेश के कटनी में, प्रधानमंत्री खनिज कल्याण योजना के माध्यम से डीएमएफ हमारे ‘यंग माइंड्स’ को ड्रोन तकनीक में महारत हासिल करने, वायु-गति-विज्ञान और उड़ान संचालन की बारीकियों को सीखाने में मदद कर रहे हैं। कई लोगों को नौकरी मिल गई है और अनेक लोग नए अवसरों के लिए तैयार हो रहे हैं। यह देखना प्रेरणादायक है कि इस पहल ने कैसे एक लहर जैसा प्रभाव डाला, खनन प्रभावित क्षेत्रों में हजारों परिवारों को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया, स्थानीय समुदायों को उन तरीकों से सशक्त बनाया, जिनकी हम कभी कल्पना भी नहीं कर सकते थे।
आज, भारत का खनन परिदृश्य तेजी से विकसित हो रहा है, हमने रणनीतिक और महत्वपूर्ण खनिजों में अपनी स्थिति सुरक्षित करने के लिए अभी-अभी एक राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन शुरू किया है। यह भारत के खनिज संसाधनों को सुरक्षित करने, सतत विकास और कुशल खनन प्रथाओं के माध्यम से आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की एक रणनीतिक पहल है। नई नीलामी व्यवस्था अब खनन में पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित कर रही है, निजी क्षेत्र को अब विकास में भागीदार माना जा रहा है, हम अपने अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक उपक्रम- (केएबीआईएल-काबिल) के माध्यम से अपनी वैश्विक उपस्थिति का विस्तार कर रहे हैं, अत्याधुनिक तकनीक, एआई और डिजिटलीकरण का उपयोग धीरे-धीरे खनन उद्योग के लिए एक आदर्श बन रहा है। इसके अलावा ऐसे कई अन्य उपाय खनन क्षेत्र में एक जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर रहे हैं, जिससे भारत खनन क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर’ बन रहा है। हालाँकि, डीएमएफ यह सुनिश्चित करते हैं कि यह लक्ष्य रणनीतिक रूप से खनन प्रभावित क्षेत्रों के स्थानीय समुदायों के कल्याण से जुड़ा हो।
उदाहरण के लिए, ओडिशा के क्योंझर में धरणी धर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, लगभग 480 करोड़ रुपये की डीएमएफ-वित्तपोषित सुविधा से बना, जो अपने 25 लाख निवासियों के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करता है। पोषण पुनर्वास केंद्र बच्चों में कुपोषण से लड़ रहे हैं और जिले में बचपन में बौनेपन और कम वजन की दरों को सफलतापूर्वक कम कर चुके हैं। झारखंड के रामगढ़ जिले में एक विशेष नवजात शिशु देखभाल यूनिट है, जो महत्वपूर्ण नवजात देखभाल प्रदान करती है और शिशु मृत्यु दर को कम कर रही है।
मध्य प्रदेश के सिंगरौली में, “ब्रेकिंग बैरियर्स” परियोजना दिव्यांग व्यक्तियों के लिए सुलभता बढ़ा रही है। तेलंगाना के मंचेरियल में जिला विज्ञान केंद्र के साथ एक शैक्षिक क्रांति देखी जा रही है, जो दूरदराज के क्षेत्रों में छात्रों के लिए विज्ञान क्षेत्र को आकर्षक बना रहा है और युवा प्रतिभाओं को राष्ट्रीय पहचान दिलाने में योगदान दे रहा है।
इसी तरह, झारखंड के रामगढ़ डीएमएफ और ओडिशा के क्योंझर, वेबसाइट पर प्रतिबंधों, शासी निकाय, वार्षिक और लेखा परीक्षा रिपोर्ट का विवरण प्रदान करते हैं। छत्तीसगढ़ में गैर-निर्वाचित ग्राम सभा सदस्य हैं जो शासी निकाय का हिस्सा हैं। इन विभिन्न मॉडलों का अध्ययन करने के बाद, अब हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि स्थानीय संदर्भ और जिले में मौजूद व्यवस्था को हटाए बिना ऐसी प्रशासनिक सर्वोत्तम प्रथाओं को सभी डीएमएफ में मानकीकृत किया जाए। इससे डीएमएफ की भूमिका और अधिक प्रभावशाली बनेगी।
हम जिला प्रशासनों को आकांक्षी जिलों में चल रही केंद्रीय और राज्य योजनाओं के साथ डीएमएफ की गतिविधियों को जोड़ने और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने की दिशा में प्रयासों को पूरक बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। इसके अलावा, हम औषधीय जड़ी-बूटियों के रोपण, संग्रह और प्रोसेसिंग में परियोजनाओं को शुरू करके जन-जातियों की आजीविका को बेहतर बनाने के लिए डीएमएफ का उपयोग करने का भी लक्ष्य बना रहे हैं। हम खनन प्रभावित क्षेत्रों में ग्रामीण खिलाड़ियों की पहचान करके उन्हें आधुनिक सुविधाएं प्रदान करने के लिए भी योजना बना रहे हैं। जबकि इन क्षेत्रों में खेल के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं का विकास पहले से हो रहा है। सरकार अपने ‘संपूर्ण सरकार दृष्टिकोण नीति’ के एक हिस्से के रूप में डीएमएफ का उपयोग प्रभावित समुदायों तक पहुंचने के लिए करती रहेगी।
डीएमएफ सहकारी संघवाद का एक आदर्श उदाहरण है और इसमें केंद्र और राज्य की योजनाओं को आपस में जोड़ने का अनूठा लाभ है। शासन के तीन स्तरों पर लक्ष्यों और संसाधनों को संरेखित करना यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रीय प्राथमिकताएँ स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा करें, सकारात्मक प्रभाव डालें और पहुँच को सुगम बनाएं। समग्र-सरकारी दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ते हुए, डीएमएफ वास्तव में समावेशी विकास के लिए शक्तिशाली उपकरण बन रहे हैं, जो देश के हर कोने तक पहुँच रहे हैं। भारत की खनिज संपदा का दोहन करके, ये पहल ऐतिहासिक रूप से वंचित क्षेत्रों और प्राकृतिक संसाधनों को स्थानीय विकास में बदल रही हैं। हाशिए पर खड़े समुदायों को सशक्त बनाने से भी आगे यदि देखेंगे तो ये पहल, भारत संसाधन प्रबंधन के बारे में दुनिया की सोच को नया रूप दे रही है, यह एक उदाहरण पेश कर रही है कि कैसे देशों को आर्थिक विकास को सामाजिक कल्याण और अधिकारों के साथ संतुलित करना चाहिए।
(लेखक- जी. किशन रेड्डी – भारत सरकार में केन्द्रीय कोयला एवं खनन मंत्री हैं)