पेंशन क्षेत्र में बड़ा सुधार

Team MyGov
September 10, 2024

पीएस पूर्वानुमानित पेंशन प्रदान करके उन सरकारी कर्मचारियों को लाभ पहुंचाएगी जिन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्रसेवा के लिए समर्पित कर दिया है। यह सरकार के लिए भी लाभकारी है। यूपीएस में सरकार और कर्मचारी अपने वेतन का एक निश्चित प्रतिशत योगदान देंगे। यह पेंशन फंड सरकार के वित्तपोषण के ढांचे को बनाए रखने में मदद करेगा। नए रोजगार के अवसर पैदा करने के बारे में गंभीरता से सोचा जाना चाहिए।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गत 24 अगस्त को एकीकृत पेंशन योजना यानी यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) को मंजूरी प्रदान कर दी। यह योजना सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद सुरक्षित और सुनिश्चित पेंशन प्रदान करने की दिशा में एक बड़ी पहल है।

एक अप्रैल 2025 से प्रभावी होने वाली यह योजना न केवल सरकारी कर्मचारियों को भविष्य की चिंताओं से मुक्त करती है, बल्कि सेवानिवृत्ति के बाद उनकी वित्तीय सुरक्षा भी सुनिश्चित करती है।

पिछले कुछ वर्षों में विपक्षी दलों ने राष्ट्रीय पेंशन योजना यानी एनपीएस को एक राजनीतिक मुद्दे के रूप में भुनाने का प्रयास किया। इसे आम तौर पर नई पेंशन योजना के रूप में भी जाना जाता है।

एनपीएस की आलोचना मुख्य रूप से इस कारण होती थी कि बाजार में उतार-चढ़ाव के चलते पेंशन में अनिश्चितता बनी रहती है और एक निश्चित पेंशन के अभाव में सरकारी कर्मचारी अपने भविष्य के प्रति आश्वस्त नहीं रह पाता। इसी आधार पर पुरानी पेंशन योजना की मांग होती थी।

यूपीएस ने पेंशन संबंधी सभी प्रश्नों को संबोधित किया है। यूपीएस सुनिश्चित करती है कि सेवानिवृत्त लोगों को एक स्थिर और निश्चित पेंशन मिले, जो एनपीएस से उतना संभव नहीं हो पा रहा था, क्योंकि यह बाजार से जुड़ी योजना है, जिसमें सरकारी कर्मचारियों का योगदान तय होता है, लेकिन रिटर्न बाजार पर निर्भर करता है।

चूंकि एनपीएस में पैसा बाजार में लगाया जाता है, इसलिए पेंशन की राशि निश्चित नहीं होती और बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर रहती है। यह एनपीएस की आलोचना का एक उल्लेखनीय बिंदु था।

यूपीएस की तीन प्रमुख विशेषताएं हैं। एक है सुनिश्चित पेंशन। यह पेंशन 25 वर्षों की न्यूनतम सेवा के बाद सेवानिवृत्ति से पहले के अंतिम 12 महीनों में कर्मचारी के औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत होगी। यूपीएस के तहत अगर कोई कर्मचारी 10 वर्षों की सेवा के बाद रिटायर होता है, तो उसे न्यूनतम 10,000 रुपये प्रति माह पेंशन मिलेगी।

एनपीएस के तहत कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 प्रतिशत योगदान देता है, जबकि सरकार 14 प्रतिशत का योगदान देती है। यूपीएस में सरकारी योगदान बढ़कर 18.5 प्रतिशत हो गया है, जबकि कर्मचारी अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 10 प्रतिशत योगदान ही देंगे।

यूपीएस की दूसरी विशेषता है मुद्रास्फीति सूचकांक। सभी प्रकार की पेंशन पर महंगाई राहत उपलब्ध होगी। इसकी तीसरी विशेषता है सेवानिवृत्ति पर एकमुश्त भुगतान। यह ग्रेच्युटी के अतिरिक्त होगा और इसकी गणना सेवानिवृत्ति की तिथि पर प्रत्येक छह माह की सेवा के लिए मासिक पारिश्रमिक (वेतन तथा महंगाई भत्ता) के 1/10वें भाग के रूप में की जाएगी।

राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल जैसे राज्य 2003 से पहले की पुरानी पेंशन योजना यानी ओपीएस पर लौटने की घोषणा कर चुके हैं। यह निर्णय इन राज्यों की गैर-भाजपा सरकारों ने लिया था। ओपीएस गैर-अंशदायी और वित्तपोषित है। इसमें राज्य सरकार को तत्काल पेंशन फंड में अपने हिस्से का पैसा नहीं देना पड़ता। इससे पैसे की बचत होती है।

हालांकि आने वाली सरकारों को बड़ी मात्रा में पैसा देना होगा। इससे इन राज्यों पर बहुत ज्यादा वित्तीय बोझ बढ़ जाएगा। भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार 2023-24 में पेंशन के लिए विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का कुल बजट अनुमान 5.22 लाख करोड़ रुपये है, जो वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 3.69 लाख करोड़ रुपये था। स्पष्ट है कि केवल तीन वर्षों में 41 प्रतिशत की उछाल आई।

अमेरिका में सेवानिवृत्ति आयु 67 वर्ष है। यहां कुल कार्यबल में सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों का प्रतिशत 13.4 है और जीवन प्रत्याशा 79.46 वर्ष है। जर्मनी में सेवानिवृत्ति आयु 67 वर्ष, सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों का प्रतिशत 12.9 और जीवन प्रत्याशा 81.54 वर्ष है। जापान में सेवानिवृत्ति आयु 64 वर्ष, सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों का प्रतिशत 7.7 और जीवन प्रत्याशा 84.85 वर्ष है।

ब्रिटेन में सेवानिवृत्ति आयु 66 वर्ष, सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों का प्रतिशत 22.5 और जीवन प्रत्याशा 81.45 वर्ष है। भारत में सेवानिवृत्ति आयु 60, सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों का प्रतिशत 3.8 और जीवन प्रत्याशा 72.24 वर्ष है। स्पष्ट है कि पांच उन्नत देशों के मुकाबले अपने देश में सरकारी कर्मियों की सेवानिवृत्ति की आयु सबसे कम है।

दुनिया भर में बेहतर चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता और नागरिकों के बीच स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के बारे में अधिक से अधिक जागरूकता के कारण जीवन प्रत्याशा धीरे-धीरे बढ़ रही है। 1998 में सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष की गई थी। हालांकि तब भारतीय नागरिकों की जीवन प्रत्याशा केवल 61.4 वर्ष थी। 2024 तक जीवन प्रत्याशा तेजी से बढ़कर 72.24 वर्ष हो गई।

पिछले 26 वर्षों में जीवन प्रत्याशा में 11 वर्षों की वृद्धि यह संकेत करती है कि इस वृद्धि को सेवानिवृत्ति आयु में वृद्धि द्वारा समायोजित किया जाए। इस विचार के खिलाफ एक तर्क यह है कि इससे बेरोजगारी बढ़ेगी, खासकर सरकारी नौकरियों के लिए नई भर्ती संख्या में कमी आएगी, लेकिन यह ध्यान रहे कि हमारे देश में कुल कार्यबल के मुकाबले सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों की संख्या दुनिया की छह बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम है।

यह मात्र 3.8 प्रतिशत है। चीन में यह 7.89 प्रतिशत है। अन्य विकसित और उभरती अर्थव्यवस्थाओं में यह 7 से 15 प्रतिशत के बीच है। हमें सरकारी क्षेत्र में नई नौकरियों की संख्या बढ़ानी चाहिए। इससे समग्र शासन और सार्वजनिक सेवाओं की दक्षता में सुधार होगा और सेवानिवृत्ति की आयु में वृद्धि के कारण नई नौकरियों पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को भी कम किया जा सकेगा।

यूपीएस पूर्वानुमानित पेंशन प्रदान करके उन सरकारी कर्मचारियों को लाभ पहुंचाएगी, जिन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्रसेवा के लिए समर्पित कर दिया है। यह सरकार के लिए भी लाभकारी है। यूपीएस में सरकार और कर्मचारी अपने वेतन का एक निश्चित प्रतिशत योगदान देंगे।

यह पेंशन फंड सरकार के वित्तपोषण के ढांचे को बनाए रखने में मदद करेगा। सरकारी खजाने पर यूपीएस के प्रभाव को कम करने के लिए सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने और सरकारी क्षेत्र में अधिक नए रोजगार के अवसर पैदा करने के बारे में गंभीरता से सोचा जाना चाहिए।

लेखक, गौरव वल्लभ, वित्त  प्रोफेसर है।