विकसित और संस्कारित भारत के स्वप्न को साकार करेगा परीक्षा कानून- 2024

Team MyGov
July 9, 2024

भारत युवाओं का देश है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार देश में  15 से 29 वर्ष के लोगों की जनसंख्या 27 करोड़ है. भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में युवाओं की बहुत बड़ी भूमिका होगी. युवाओं के दो सबसे बड़े मुद्दे होते हैं- अच्छी शिक्षा एवं रोजगार. और, दोनों ही के लिए आवश्यक है एक पारदर्शी, निष्पक्ष और विश्वसनीय परीक्षा प्रणाली ताकि मेधावी विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश और सुयोग्य परीक्षार्थियों को विभिन्न रोजगार सुनिश्चित हो सके. यह विदित है कि केंद्र सरकार के विभिन्न रोजगार के लिए संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी), कर्मचारी चयन आयोग, रेलवे भर्ती बोर्ड,  बैंकिंग भर्ती परीक्षाएँ आयोजित होती हैं तो केन्द्रीय उच्च शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी द्वारा आयोजित नीट (NEET), जेईई (JEE) और सीयूईटी (CUET) जैसी प्रवेश परीक्षाओं में छात्रों को बैठना पड़ता है. राज्य सरकारों में रोजगार या प्रवेश आदि के लिए उनकी अपनी-अपनी परीक्षाएं होती हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो युवाओं की समस्याओं और देश के प्रति उनके योगदान को भली भांति समझते हैं, ने इस मुद्दे की गंभीरता को समझा. पिछले नवंबर में ही कोटा में बोलते हुए नरेंद्र मोदी ने गारंटी दी थी कि पेपर लीक आदि समस्या का निदान कर दिया जाएगा। पीएम मोदी की गारंटी को पूरा करते हुए संसद में छह फरवरी को सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक पारित कर दिया गया और अब इसे अधिसूचित भी कर दिया गया है. इस अधिनियम का उद्देश्य प्रमुख केन्द्रीय परीक्षाओं में धोखाधड़ी और अनियमितताओं पर अंकुश लगाना है. इसके लिए परीक्षा की शुचिता को नष्ट करने में संलिप्त अपराधियों के लिए कड़ी सजा एवं जुर्माने का प्रावधान है। उल्लेखनीय है कि भारतीय संसद के इतिहास में अपनी तरह का यह पहला कानून है. इस रूप में युवाओं के लिए मोदी सरकार का एक सकारात्मक ठोस कदम है.
अधिनियम में किसी भी अनुचित लिप्तता या मिलीभगत या साजिश में शामिल लोगों को तीन से पांच साल तक की कैद और 10 लाख रुपये तक के जुर्माना का प्रविधान है. सेवा प्रदाता द्वारा किए गए अपराध पर एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना और उन्हें चार साल तक लोक परीक्षा आयोजित करने से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा. लोक परीक्षाओं में संगठित अपराध करने वालों के लिए पांच साल से 10 साल तक की सजा और कम से कम एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। यदि किसी संस्था को संगठित अपराध करने का दोषी ठहराया जाता है, तो उसकी संपत्ति कुर्क और जब्त कर ली जाएगी और परीक्षा की लागत भी उससे वसूल की जाएगी। एक महत्त्वपूर्ण बिंदु इस कानून में यह है कि इस अपराध को संज्ञेय, नॉन-बेलेबल और नॉन कंपाउंडेबल अपराध की संज्ञा दी गई है जो संभावित अपराधियों के लिए भय का कार्य करेगी.

निःसन्देह, इस सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम के माध्यम से लोक परीक्षा प्रणालियों में अधिक पारदर्शिता, निष्पक्षता एवं विश्वसनीयता आएगी, जो युवाओं के हित एवं भविष्य के सरोकारों की रक्षा करते हुए सभी वर्ग के उम्मीदवारों को एक समान अवसर प्रदान करेगा।

यहाँ बताना जरुरी है कि प्रस्तुत कानून केंद्र सरकार की प्रवेश या भर्ती परीक्षाओं के संदर्भ में है. राज्यों के शिक्षण संस्थानों में प्रवेश और सरकारी रोजगार के लिए परीक्षा के संदर्भ में अलग से कानून लाने की आवश्यकता है. पिछले पाँच वर्षों के आंकड़ों के अनुसार भर्ती परीक्षाओं में लीक के 41 मामले विभिन्न राज्यों की परीक्षाओं में दर्ज किए गए. यह कानून राज्यों के लिए एक मॉडल ड्राफ्ट साबित हो सकता है जिससे नौकरी और प्रवेश हेतु प्रतियोगिता परीक्षाओं में पारदर्शिता लाने,  निष्पक्ष परीक्षा कराने और परीक्षा में विश्वसनीयता को बढ़ाने में मदद मिलेगी। यह हमारे युवाओं के शिक्षा संस्थानों में प्रवेश या उनकी रोजी-रोटी का सवाल ही नहीं, जिस विकसित और संस्कारित भारत बनाने का हमने संकल्प लिया है उसके लिए भी जरूरी है.

प्रो॰ निरंजन कुमार; दिल्ली विश्वविद्यालय में ‘वैल्यू एडीशन कोर्सेस’ कमिटी के अध्यक्ष और डीन प्लानिंग हैं.

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