विश्व में पहुंचेगा बिहार का मखाना, किसानों को सशक्त बनाने और बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर
कुल मिलाकर मखाना बोर्ड का गठन बिहार के लिए एक अहम बदलाव साबित होगा। अगर मखाना की प्रोसेसिंग एवं पैकेजिंग के क्षेत्र में बड़ी कंपनियां मिथिला आकर निवेश करें मखाना के विभिन्न उत्पादों को मार्केट से लिंक किया जाए और उसकी बेहतर ब्रांडिंग एवं मार्केटिंग हो तो बड़ी संख्या में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और मिथिला से पलायन को रोकने में मदद मिलेगी।
मखाना बिहार और खासकर मिथिला का एक महत्वपूर्ण कृषि उत्पाद है। दुनिया के कुल मखाना उत्पादन का 80 से 85 प्रतिशत मिथिला में होता है। पिछले एक दशक में बेहतर बीज और राज्य सरकार का सहयोग मिलने से मखाना की खेती में व्यापक बदलाव हुआ है। इससे मखाना की खेती का दायरा बढ़ कर 35 हजार हेक्टेयर से अधिक हो गया है।
उत्पादन भी दोगुने से अधिक बढ़कर 56 हजार टन के पार हो गया है। अब मखाना बोर्ड के गठन की घोषणा मखाना को दुनियाभर में पहुंचाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे मखाना की देश-दुनिया में बेहतर ब्रांडिंग होगी, नई तकनीक के उपयोग से उत्पादन बढ़ेगा, मखाना की खेती करने वाले किसानों का जीवन स्तर सुधरेगा और बिहार की जीडीपी में वृद्धि होगी।
मखाना बोर्ड किसानों को आधुनिक तकनीकों के प्रशिक्षण के साथ-साथ जरूरी संसाधन और वित्तीय सहायता उपलब्ध कराएगा, ताकि वे आधुनिक तरीके से मखाना की खेती करने में सक्षम हो सकें। मखाना मिथिला की सामाजिक एवं सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न हिस्सा रहा है। इसका उपयोग अब धार्मिक अनुष्ठानों और पर्व-त्योहारों तक सीमित नहीं है।
अपने औषधीय गुणों, पोषण संबंधी खूबियों और व्यावसायिक क्षमता के कारण मखाना देश से बाहर भी अपनी सशक्त पहचान बना रहा है। इसे ‘मिथिला मखाना’ नाम से जीआई टैग मिलने से मिथिला की यह पहचान और समृद्ध हुई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का शुरू से यह सपना और प्रयास रहा है कि बिहार का कोई-न-कोई व्यंजन दुनियाभर में पहुंचे।
अभी हाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा मखाना को मारीशस के राष्ट्रपति को भेंट करना इसकी बढ़ती महता को दर्शाता है। आज बिहार सरकार द्वारा शुरू की गई ‘मखाना विकास योजना’ के तहत मखाना के उच्च प्रजाति के बीज को अपनाने पर किसानों को लागत मूल्य का 75 प्रतिशत (अधिकतम 72,750 रुपये प्रति हेक्टेयर) सहायता अनुदान दिया जाता है। उच्च प्रजाति के बीजों से मखाना की उत्पादकता 16 क्विंटल से बढ़ा कर 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो गई है। ये बीज मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा और भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय पूर्णिया में तैयार किए जा रहे हैं।
बिहार सरकार किसान उत्पादक संगठनों को किसानों को प्रशिक्षण देने, बाजार संसाधनों तक उनकी पहुंच बढ़ाने और सरकारी सहायता उपलब्ध कराने के लिए भी प्रोत्साहित कर रही है। मिथिला के बहुत से मखाना उत्पादक किसानों ने प्रशिक्षण प्राप्त कर एक नई शुरुआत की है। अटल जी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में मंत्री रहते हुए नीतीश कुमार जी ने ही 2002 में राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र, दरभंगा की स्थापना करवाई थी। इस केंद्र का उद्देश्य नए बीज का अनुसंधान कर मखाना का उत्पादन बढ़ाना है।
हालांकि बाद की केंद्र सरकार द्वारा इस संस्थान का राष्ट्रीय दर्जा हटा दिया गया था, जिससे इसे फंड मिलना बंद हो गया। केंद्र की एनडीए सरकार ने इसे फिर से राष्ट्रीय दर्जा दिया है। एनडीए सरकार के समर्थन के कारण अब मखाना का कई देशों में निर्यात होने लगा है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी कहा है, ‘बिहार का मखाना अब वैश्विक ब्रांड बनने की ओर अग्रसर है।’ इससे पहले गत वर्ष अपने मिथिला दौरे के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मखाना उद्योग की संभावनाओं को करीब से जाना था।
अपने बजट भाषण में उन्होंने स्पष्ट कहा कि ‘मखाना बोर्ड’ के गठन का उद्देश्य मखाना उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन और विपणन में सुधार लाना है। अनुसंधान और विकास के माध्यम से मखाना बोर्ड उच्च उत्पादकता वाली मखाना किस्मों को विकसित करने में सहयोग करेगा, कृषि पद्धतियों में सुधार के लिए नई तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देगा, उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएगा और देश-दुनिया में ब्रांडिंग के जरिये बिक्री बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
मखाना बोर्ड वैश्विक बाजार तक मखाना की पहुंच बढ़ाने के साथ-साथ किसानों को सशक्त बनाने, रोजगार के अवसर पैदा करने, निर्यात को बढ़ावा देने के साथ बिहार की समग्र आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान देगा। मखाना बोर्ड यह सुनिश्चित करेगा कि किसानों को आवश्यक उपकरण, तकनीक और प्रशिक्षण की सुविधा मिले।
यह व्यापक दृष्टिकोण परंपरागत श्रम-गहन विधियों और अधिक कुशल आधुनिक कृषि प्रथाओं के बीच की खाई को कम करेगा, जिससे मखाना की उत्पादकता के साथ-साथ लाभप्रदता में भी वृद्धि होगी। मखाना बोर्ड बिहार में ही स्थापित होने वाले नेशनल इंस्टिट्यूट आफ फूड टेक्नोलाजी के साथ मिलकर मखाना प्रसंस्करण गतिविधियों को बढ़ावा देगा।
इस तरह मखाना बोर्ड का गठन होने से मिथिला के इस सुपरफूड की वैश्विक बाजारों में पहुंच तेजी से बढ़ेगी और किसानों एवं निर्यातकों के लिए नए अवसर पैदा होंगे। दरभंगा एयरपोर्ट और आगामी पूर्णिया एयरपोर्ट के माध्यम से मखाना को दुनियाभर में पहुंचाने में सुविधा होगी। इससे उत्तर बिहार में लाखों की संख्या में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
कुल मिलाकर मखाना बोर्ड का गठन बिहार के लिए एक अहम बदलाव साबित होगा। अगर मखाना की प्रोसेसिंग एवं पैकेजिंग के क्षेत्र में बड़ी कंपनियां मिथिला आकर निवेश करें, मखाना के विभिन्न उत्पादों को मार्केट से लिंक किया जाए और उसकी बेहतर ब्रांडिंग एवं मार्केटिंग हो, तो बड़ी संख्या में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और मिथिला से पलायन को रोकने में मदद मिलेगी। निश्चित रूप से मखाना मिथिला और बिहार की आने वाली पीढ़ियों के लिए उद्यमिता और रोजगार का एक स्थायी एवं समृद्ध साधन बनेगा।
लेखक: संजय कुमार झा (लेखक राज्यसभा सदस्य हैं)