सबका साथ सबका विकास, जन-जन को सरकार पर विश्वास
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के पहले तीन साल के कामकाज के दौरान भविष्य की सोच और दूरदर्शिता के साथ कई बड़े निर्णय लिए गए। इस दौरान जनहित की कई योजनाएं शुरू की गई। मोदी सरकार ने अपने पहले तीन साल की कार्यशैली से लोगों को बता दिया कि सूझ-बूझ और गंभीरता से योजनाओं को क्रियान्वित कर देश में व्यापक बदलाव लाया जा सकता है। सरकार ने अपनी योजनाओं के केंद्र में सवा सौ करोड़ देशवासियों को रखा है। उसकी सोच दूरदर्शी रही है जिसमें आगे की कई पीढ़ियों का ख्याल रखा गया है। गरीब और किसानों के लिए कई क्रांतिकारी योजनाओं पर अमल, कौशल विकास की योजनाओं के साथ युवाओं के लिए रोजगार बढ़ाने के कदमों पर भी जोर रहा है। डिजिटल इंडिया पर फोकस करने के साथ विकास की तमाम योजनाओं में अत्याधुनिक तकनीक के सहारे सरकार की कोशिश भारत को पूर्णत: आत्मनिर्भर बनाने की है, जो विश्वशक्ति के रूप में भारत की पहचान को स्थापित करने वाला साबित होगा और एक नए भारत का उदय होगा।
प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी अक्सर कहते हैं कि सरकार और लोगों के बीच का रिश्ता चुनाव के नतीजों के बाद खत्म नहीं हो जाता है बल्कि वास्तव में उस वक्त शुरू होता है। उनके इस कथन के मुताबिक उनकी सरकार अच्छी तरह समझती है कि सामूहिक प्रयास के बिना समग्र विकास संभव नहीं है।
2 अक्टूबर 2014 को प्रधान मंत्री ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की जो कि आज एक राष्ट्रीय आंदोलन बन चुका है। विभिन्न क्षेत्रों के व्यक्ति एकजुट होकर इस आंदोलन में शामिल हुए और यह एक सच्चा जनआंदोलन बन गया है जिसकी कामयाबी जनभागीदारी की वजह से संभव हुई है- लोगों की भागीदारी और जन शक्ति की बदौलत सरकार सही मायने में बदलाव ला सकती है, बशर्ते लोग पूरे दिल से परिवर्तन के लिए प्रयास करें।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर 1 करोड़ से ज्यादा लोगों ने अपनी एलपीजी सब्सिडी छोड़ दी – जनभागीदरी का यह एक अभूतपूर्व उदाहरण है। इसी तरह की सामूहिक भागीदारी उस वक्त भी देखी गई जब सरकार ने काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ विमुद्रीकरण करने का निर्णय लिया। पूरे देश ने भ्रष्टाचार और आतंकवाद के खिलाफ सरकार का साथ दिया। अस्थायी असुविधाओं के बावजूद लोग सरकार के इस निर्णय के समर्थन में मजबूती के साथ खड़े रहे। भ्रष्टाचार और कर चोरी के खिलाफ लड़ने के उद्देश्य से लोगों ने लेस-कैश अर्थव्यवस्था हेतु डिजिटल लेनदेन को भी अपनाया।
सरकार ने इन तीन वर्षों के दौरान विद्यार्थियों की योग्यता को बढ़ावा देने के लिए करीब सात लाख स्कूली और कॉलेज छात्रों को 1273 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान की गई। माध्यमिक शिक्षा के लिए राष्ट्रीय प्रोत्साहन योजना के तहत 9.65 लाख स्कूली छात्राओं के लिए तीन-तीन हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि मंजूर की गई। इनके अलावा डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर के जरिए एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के एक करोड़ छात्रों को प्री मैट्रिक और पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति की रकम मुहैया कराई गई। वहीं ईशान उदय योजना के तहत पूर्वोत्तर के राज्यों में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शैक्षिक सत्र 2014-15 से एक विशेष छात्रवृत्ति योजना की शुरुआत भी की जा चुकी है।
मौजूदा सरकार ने इन तीन वर्षों में 7 आईआईएम, 6 आईआईटी, एक आईआईआईटी, दो आईआईएसईआर, एक एनआईटी, एक नया केंद्रीय विश्वविद्यालय और 10 नए एम्स के निर्माण को बढ़ावा दिया। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के अलावा आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, असम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, पंजाब, तमिलनाडु और बिहार में एम्स की स्थापना को मंजूरी दी गई। इसके साथ ही मेडिकल की स्नातकोत्तर की सीटों को बढ़ाया गया। 2014-15 में जहां 25,346 पीजी सीटें थीं, वहीं 2017-18 में बढ़कर ये 36,703 हो चुकी हैं। इसी तरह 2014-15 में जहां 54,348 स्नातक सीटें थीं, वो 2017-18 में बढ़कर 65,183 हो गईं।
अनुसंधान और उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर सरकार का विशेष जोर है। IMPRINT के तहत जहां 596 करोड़ रुपये की 258 अनुसंधान प्रोजेक्ट मंजूर किए गए, वहीं पिछले तीन साल में 4.4 लाख छात्रों को शिक्षा ऋण पर 2,290 करोड़ की ब्याज सब्सिडी मुहैया कराई गई।
सरकार की हमेशा कोशिश रही है कि कारोबार के क्षेत्र में महिला उद्यमी भी कहीं से पीछे न रहें। इस बढ़ावे का ही परिणाम है जो मुद्रा योजना के तहत कम ब्याज दर पर बिना जमानत के मुहैया कराए गए ऋण में से 70 फीसदी महिला उद्यमियों ने हासिल किए हैं। महिला उद्यमियों को प्रोत्साहन देने के इरादे से ही महिला ई-हाट की शुरुआत की गई है। इससे महिलाओं द्वारा निर्मित सामग्रियों के लिए मार्केटिंग का एक ई-प्लेटफॉर्म तैयार हुआ है। इसके जरिए महिलाओं को नई तकनीक के सहारे व्यापार के तरीके सीखने का अवसर भी मुहैया हो रहा है।
वहीं नई रोशनी योजना के तहत 2 लाख अल्पसंख्यक महिलाओं को फायदा हुआ है। नई रोशनी के जरिए अल्पसंख्यक महिलाओं में नेतृत्व क्षमता विकसित की जा रही है ताकि उद्यमिता के क्षेत्र में वो भी कदम से कदम मिलाकर चल सकें। ये पहला मौका रहा जब भारतीय वायुसेना के बेड़े में पिछले साल तीन महिला फाइटर पायलट जुड़ीं। महिलाओं ने अब उन क्षेत्रों में भी दाखिल होना शुरू कर दिया है जो अब तक पुरुषों के लिए ही खास माने जाते थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह मौजूदा सरकार की कोशिशों का ही असर है कि फसलों की पैदावार में रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान है। चावल, गेहूं, मोटा अनाज हो या दलहन-तिलहन, 2016-17 के लिए सभी फसलों की रिकॉर्ड पैदावार का अनुमान जताया गया है। 271.98 मीट्रिक टन अनाज उत्पादन का अनुमान अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
इसके साथ ही उत्पादकता में सुधार के लिए सॉयल हेल्थ कार्ड योजना लॉन्च की गई और किसानों को 6.5 करोड़ कार्ड वितरित किए गए। E-Nam के जरिए किसानों को देशभर की मंडियों से सीधे जोड़ा गया। सरकार के नीम कोटेड यूरिया के फैसले से पहली बार देश में किसानों को पर्याप्त मात्रा में यूरिया उपलब्ध हुई। गन्ना किसानों के बकाए का भुगतान सुनिश्चित किया गया। इससे 32 लाख किसानों को फायदा हुआ। खरीफ और रबी दोनों ही फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों में बढ़ोतरी की गई। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए 5 लाख एकड़ क्षेत्र कवर किया जा रहा है।
सरकार ने मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए जो कदम उठाए, उससे 4.9 लाख मछुआरों को लाभ मिला। सरकार ने गांव के स्तर पर कुशल मानव संसाधन उपलब्ध कराने के मकसद से पंडित दीन दयाल उपाध्याय उन्नत कृषि शिक्षा योजना लॉन्च की। प्रौद्यौगिकी के जरिए भी किसानों की मदद की जा रही है। आज दो करोड़ दस लाख किसान स्थानीय भाषा में एसएमएस प्राप्त कर रहे हैं। पशुओं और डेयरी विकास की ओर भी सरकार ने अपना ध्यान केंद्रित किया है। किसानों के कल्याण के लिए सिंचाई, बीमा और संस्थागत ऋण की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
आजादी के बाद दशकों से करोड़ों लोगों, ज्यादातर गरीबों, के पास एक बैंक खाता तक नहीं था। अब तक के सबसे बड़े वित्तीय समावेशन कार्यक्रम जन धन योजना के तहत मार्च 2017 तक 28 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले गए हैं और इसमें 63,101 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि जमा की गई है। इसके अलावे करीब 22 करोड़ रुपे कार्ड प्रदान किए गए हैं।
बीमा रहित और असुरक्षित लोगों को बीमा प्रदान कर यह सुनिश्चित किया जा रहा है ताकि जीवन के मुश्किल वक्त में या किसी हादसे की स्थिति में गरीबों और कमजोरों की जिंदगी को पूरी तरह से बिखरने से बचाया जा सके। मार्च, 2017 तक प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योजना के अंतर्गत 10 करोड़ और प्रधान मंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत 3 करोड़ लोगों ने बीमा कराया है।
उड़ान योजना के तहत ‘उड़े देश का आम नागरिक’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए केन्द्रीय सरकार ने एक घंटा तक हवाई यात्रा का किराया 2500/- रुपये निर्धारित किया है। जिससे हवाई यात्रा देश के मध्यम वर्ग की पहुंच के करीब आ गई है तथा अमीर वर्ग के लोगों का हवाई यात्रा पर एकाधिकार लगभग समाप्त हो गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा यह घोषणा करना करना कि वह हवाई चप्पल पहने यात्री को भी हवाई यात्रा सुविधा की परिधि में लाना चाहते है। यह केन्द्र सरकार की आम आदमी के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
सबका विकास और प्रगति के वायदे के साथ नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में आई और वैश्विक स्तर पर भारत के सम्मान की पुनर्स्थापना की दिशा में प्रयास करना प्रारंभ किया। तब से प्रधान मंत्री ने भारत की विदेश नीति के पुनरोद्धार के लिए अग्रणी भूमिका निभाते हुए कई कदम उठाए और इससे अंतरर्राष्ट्रीय संबंधों में एक नई ऊर्जा देखने को मिली। तीन साल की अवधि में पड़ोसी देशों और दुनिया के साथ संबंधों में बड़ा बदलाव आया है। उम्मीद है कि भारत के दक्षिण एशिया सेटेलाइट (एसएएस) से छह पड़ोसी देशों के बीच संचार प्रणाली को प्रोत्साहन मिलेगा और आपदा संपर्क में सुधार होगा।
भारत ने जिस तरह से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपना दबदबा कायम किया है, इससे न केवल हर भारतीय गौरवान्वित महसूस कर रहा है बल्कि पूरी दुनिया विस्मित है। भारतीय अंतरिक्ष क्षमताओं व इसकी तकनीकी गुणवत्ता और अपेक्षाकृत कम लागत की पूरी दुनिया में चर्चा है। अब विकसित देशों ने भी अपने उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए भारत की तरफ रुख करना शुरू कर दिया है। फरवरी 2017 में इसरो के पीएसएलवी-सी 37 ने एक ही उड़ान में 104 उपग्रहों को सफलतापूर्वक लॉन्च कर विश्व रिकॉर्ड बनाया। इन उपग्रहों में 101 उपग्रह अमरीका, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड, इज़राइल, कजाख़स्तान और संयुक्त अरब अमीरात के थे।
आईआरएनएसएस -1 जी के सफल प्रक्षेपण के साथ भारत स्वदेशी उपग्रह नेविगेशन प्रणाली वाले विशिष्ट देशों की सूची में शामिल हो गया। भारतीय क्षेत्र और इसके आसपास के 1500 किलोमीटर की दूरी तक स्थिति की जानकारी प्रदान करने के लिए एक स्वतंत्र क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली नैविक (NavIC) तैयार की गई है।
पहली बार दुनिया ने भारत को एक आर्थिक ताकत के रूप में स्वीकार किया है। जब पूरी दुनिया आर्थिक मंदी से परेशान है, ऐसे समय में भारत सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इससे पूरी दुनिया भारत की ओर आकर्षित हुई है और भारत को वैश्विक विकास के इंजन के रूप में देखने लगी है । देश में बढ़ते निवेश ने भारत को दुनिया का सबसे आकर्षक और निवेश का पसंदीदा देश बना दिया है। मेक इन इंडिया अब विश्व स्तर का प्रशंसित ब्रांड बन गया है। यह सब अचानक नहीं हुआ है। नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली सरकार ने बड़ी ही कुशलता से ब्रांड इंडिया को एक शक्ति के रूप में स्थापित किया है।
प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी अक्सर कहते हैं कि हमें भारत को फिर से विश्वगुरु बनाना चाहिए, जैसा कि यह प्राचीन काल में था। मौजूदा सरकार द्वारा भारतीय सांस्कृतिक विरासत का पूरे उत्साह के साथ पूरी दुनिया में प्रचार व प्रसार किया जा रहा है। इसका एक श्रेष्ठ उदाहरण है कि नरेंद्र मोदी ने खुद योग को विश्व का ब्रांड बनाने की पहल की। नरेंद्र मोदी के प्रयासों के कारण ही योग को यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल किया गया और 21 जून को विश्व योग दिवस भी घोषित किया गया। पूरे विश्व के राष्ट्रों ने इसमें उत्साहपूर्वक भाग लेकर इस दिवस को यादगार बना दिया।
मोदी सरकार ने तीन वर्षों में जो हासिल किया है, वह विकास के दृष्टिकोण से संपूर्ण सोच में परिवर्तन है। सरकार ने तेल सब्सिडी को समाप्त कर, सेवा शुल्क को तर्कसंगत बनाकर, बेहतर कर संग्रह, कोयला ब्लॉकों तथा स्पेक्ट्रम की नीलामी के माध्यम से अप्रत्याशित लाभ सुनिश्चित कर सार्वजनिक कोषों में भारी बचत की है। नकद रहित समाज और डिजिटल लेनदेन के विचार की जड़ में विवेकपूर्ण आर्थिक योजना थी। सफल स्टार्ट-अप्स से भारत विश्व का विनिर्माण केंद्र बन रहा है। अधिकार, विशेषाधिकार और माई बाप की सरकार का शासन अतीत की बात है। असल में शासन के प्रतिदिन के कार्यों में असली लोकतंत्र राजनीति और शासन में आया है। लोकतंत्र, विश्वसनीय संस्थागत ढांचे, भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी प्रणालियों से भारत को निवेशकों का विश्वास जीतने में मदद मिली है। तीन वर्ष में प्रधानमंत्री मोदी ने निराशा को आशा में बदल दिया है।