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विज्ञान और रचनात्मकता के आपसी संबंधों को दर्शाती ‘परमाणु’ और ‘मिशन मंगल’ जैसी लोकप्रिय फिल्मों की विशेष प्रदर्शनी सहित देश-विदेश की अनेकों विज्ञान फिल्मों का आनंद ले सकते हैं- इस बार के भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव(आईआईएसएफ) में। सिनेमा के रूपहले पर्दे के माध्यम से विज्ञान की दुनिया में झांकने और अपनी स्वाभाविक उत्सुकताओं को शांत करने का अनूठा अवसर है आईआईएसएफ-2019 के दौरान 6-8 नवंबर को सत्यजित रे फिल्म एंड टेलिविजन संस्थान (एसआरएफटीआई) में आयोजित किया जा रहा भारत का अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म उत्सव (आईएसएफएफआई)।
वाकई विज्ञान और कला का अनोखा मिलन है- विज्ञान फिल्में, जो विज्ञान को हर बार एक रोचक तरीके से पेश करती हैं। हर बार की तरह इस बार भी आईआईएसएफ-2019 में भारत का अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म उत्सव एक बड़ा आकर्षण होगा जहां देश के साथ-साथ विदेशों से भी विज्ञान फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा। साथ ही, देश विदेश के फिल्म जगत की जानी-मानी हस्तियों के साथ-साथ प्रसिद्ध वैज्ञानिक भी उत्सव की शोभा बढ़ाएंगे। आर. बालकी, बुद्धदेव दासगुप्ता, कौशिक गांगुली, पार्था घोष, ब्रीगेट उटर, ली यू फू, क्रिस गोडविन, रामा मारिनोव कोहेन इनमें से कुछ प्रमुख नाम हैं।
फिल्म उत्सव में विज्ञान फिल्मकारों के प्रयासों को पहचाना जाएगा और वैज्ञानिक व नवीन विषय वस्तु विकसित करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जाएगा। यहां आप डॉक्युमेंटरी, डॉक्यु-ड्रामा, एनिमेशन और साइंस फिक्शन जैसी विज्ञान फिल्म मेकिंग की अलग-अलग विधाओं के माध्यम से विज्ञान को रोचक तरीके से समझ और जान सकेंगे। विज्ञान संचार और फिल्मों पर एक संगोष्ठी भी आयोजित की जाएगी जिसका विषय होगा पैकेजिंग साइंस फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट।
भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म उत्सव में दो कैटेगरी में फिल्में रखी गई हैं। एक में प्रतियोगी फिल्में हैं जिसमें स्वतंत्र फिल्मकार और स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थी हिस्सा ले रहे हैं। यह वर्ग केवल भारतीय फिल्मकारों के लिए है जिसके लिए ‘अनुसंधान, नवाचार एवं विज्ञान द्वारा राष्ट्र का सशक्तिकरण’ थीम है। इस वर्ग की फिल्मों के लिए प्रथम, द्वितीय, तृतीय और जूरी पुरस्कार रखा गया है। स्वतंत्र फिल्मकारों की 32 फिल्में नामित की गई हैं, वहीं स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थियों की 24 फिल्में नामित हुई हैं। जूरी में सात सदस्य हैं जिसमें प्रसिद्ध फिल्मकार अपूर्ब किशोर बिर, दूरदर्शन के पूर्व निदेशक कूल भूषण, एफटीआईआई पूणे के पूर्व निदेशक इफ्तिकार अहमद, वाइल्ड लाइफ फिल्ममेकर हिमांशु मल्होत्रा और सीएफटीआरआई मैसूर के वरिष्ठ प्रमुख वैज्ञानिक शर्मा के.वी.एस.ए.एस शामिल हैं। दूसरा वर्ग विदेशी फिल्मकारों के लिए है जो गैर प्रतियोगी है। इसके लिए थीम रखा गया है, ‘विज्ञान, तकनीक, पर्यावरण एवं स्वास्थ्य’।
तो आई-अफेक्शनेट आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ए वाक विद फ्यूचर, बैट वुमन, दी डेड डोंट टॉक, जैसी उत्सुकता जगाने वाली नामों की फिल्मों के माध्यम से विज्ञान के रहस्यों और फतांसी दोनों से रूबरू होने का सुनहरा अवसर है… विज्ञान, साहित्य, कला, और सिनेमा की धरती कोलकाता में आयोजित भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म उत्सव।
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