हिमाचल में बागवानी होगी और समृद्ध
हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी में बागवानी क्षेत्र प्रमुख भूमिका निभाता है तथा प्रदेश के विविध मौसम तथा भौगोलिक स्थितियों के कारण यहां विभिन्न प्रकार के फलों तथा सब्जियों की खेती की जाती है। प्रदेश में 35 किस्मों के विभिन्न फलों की खेती की जाती है। मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर जी के नेतृत्व वाली हिमाचल सरकार प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर बागवानी के विकास को सुनिश्चित करने के लिए कार्य योजना तैयार करेगी। क्षेत्रों की कृषि से सम्बन्धित मौसम की स्थितियों ध्यान में रखते हुए विशेषज्ञ विभिन्न क्षेत्रों के लिए विशेष योजनाएं तैयार करेंगे, जिसके लिए वे स्वयं खेतों में जाकर निरीक्षण करेंगे। इससे बागवानी अधिकारियों की योजना के तहत क्षेत्रों में पौधों का विकास भी सुनिश्चित किया जाएगा। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बागवानी विभाग किसानों की मांगों तथा क्षेत्र के मौसम को ध्यान में रखते हुए नर्सरियां विकसित करेंगे।
प्रदेश में लागू होगी बागवानी विकास परियोजना
प्रदेश में 1134 करोड़ रुपये की विश्व बैंक पोषित हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना को लागू किया जा रहा है। परियोजना के तहत प्रदेश में सेब, नाशपाती तथा अखरोट के पौधे किसान समूहों में वितरित किए जाएंगे जबकि आम, लीची, अमरूद तथा नीम्बू प्रजाति के फलों के 14406 पौधों को 28 सब-ट्रॉपिकल समूहों को बेचा गया है। परियोजना के अन्तर्गत बागवानी क्षेत्र की जानकारी प्रदान करने के लिए 58 अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। इसके अतिरिक्त न्यूजीलैंड के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने भी 320 बागवानी अधिकारियों तथा 501 किसानों को प्रशिक्षण प्रदान किया है।
बागवानों को फसल के लाभकारी दाम प्रदान करने के लिए प्रदेश सरकार प्रतिबद्ध
हिमाचल सरकार ने प्रदेश में बागवानी के एकीकृत विकास के लिए एकीकृत बागवानी मिशन को प्रभावशाली ढंग से लागू किया है। मिशन के तहत नर्सरियों को लगाने, जल स्त्रोतों का निर्माण, बागवानी क्षेत्र में वृद्धि, ग्रीन हाउस के तहत सुरक्षित कृषि, जैविक खेती, फसल कटने के उपरांत प्रबंधन तथा खाद्य प्रसंस्करण जैसी विभिन्न गतिविधियों को प्रभावशाली ढंग से कार्यान्वित किया जा रहा है। बागवानी के विकास तथा अनुसंधान के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत विभिन्न परियोजनाओं को लागू किया जा रहा है। प्रदेश सरकार बागवानों को उनकी फसल के लाभकारी दाम प्रदान करने के लिए भी विशेष बल दे रही है। प्रदेश में बाजार मध्यस्थ्ता योजना के तहत सेब, आम तथा नीम्बू प्रजाति के फलों की खरीद की जा रही है। किसानों को लाभकारी दाम सुनिश्चित करवाने के लिए वाईन तथा सिडार जैसी फल आधारित प्रसंस्करण इकाइयां की स्थापना पर भी बल दिया जा रहा है।
स्तरोन्नत होंगे शीत भंडारण-पैकिंग हाउस
प्रदेश सरकार राज्य में फलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए पिछले कुछ वर्षों से प्रदेश में नए शीत भंडारण तथा पैकिंग हाउस स्थापित करने तथा मौजूदा शीत भंडारण तथा पैकिंग हाउस के स्तरोन्नयन के लिए कार्य कर रही है। राज्य सरकार ने प्रदेश में बाजार मध्यस्थ्ता योजना के तहत नीम्बू प्रजाति के फलों के खरीद दामों में भी वृद्धि की है। प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को भी बढ़ावा दिया जाएगा ताकि बागवानी फसलों का उपयोग सुनिश्चित किया जा सके। प्रदेश के विभिन्न स्थानों में 54 खरीद केंद्र खोले जाएंगे, जोकि 21 नवम्बर, 2019 से 15 फरवरी 2019 तक क्रियाशील रहेंगे।
हिमाचल में पुष्प उत्पादन को मिलेगा बढ़ावा
प्रदेश में पुष्प उत्पादन की संभावनाओं को देखते हुए प्रदेश सरकार पुष्प उत्पादन को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दे रही है। पुष्प उत्पादन स्वरोजगार का एक प्रभावी साधन बन सकता है, इसलिए ग्रीन हाउस निर्मित किए जा रहे हैं। प्रदेश में प्रतिकूल मौसम तथा बदलाव के कारण बागवानी फसलों को होने वाले नुकसान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, इसलिए बागवानों को परामर्श दिया जा रहा है कि वे सिंचाई के लिए पर्याप्त जल सुनिश्चित करने के उपरान्त ही नए पौधें लगाए। प्रदेश सरकार द्वारा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए है कि वे किसानों द्वारा लगाए गए पौधों के बचने की दर से सम्बन्धित रिपोर्ट जमा करें।
किसान-बागवानों के लिए सरकार ने शुरू की हैं कल्याणकारी योजनाएं
हिमाचल सरकार ने बागवानी क्षेत्र को बढ़ावा देने तथा किसान समुदाय की सुविधा के लिए पुष्प क्रान्ति योजना, मुख्यमंत्री मधु विकास योजना, मुख्यमंत्री ग्रीन हाउस जीर्णोद्धार योजना आरंभ की है। इसके अतिरिक्त किसानों को एंटी हेलनेट की सुविधा भी दी जा रही है। प्रदेश में एशियन विकास बैंक द्वारा सब-ट्रॉपिकल फलों के विकास के लिए 1688 करोड़ रुपये की योजना तथा मशरूम के विकास के लिए 423 करोड़ रुपये की योजना को स्वीकृति दी गई है। प्रदेश सरकार ने किसान समुदाय की सुविधा के लिए एम-किसान कार्यक्रम भी आरंभ किया है जिसके तहत पंजीकृत किसानों की कृषि सम्बन्धी रोजमर्रा की समस्याओं का समाधान किया जाएगा।