सुशासन की दिशा में सफलता की इबारत – लोक सेवा गारंटी

15 Sep 2017

नागरिकों को निर्बाध सेवा का मिलना, न केवल उनकी अपेक्षा है, बल्कि उनका अधिकार है।

शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश

इसी भावना एवं लक्ष्य को केंद्र में रखता है – मध्य प्रदेश लोक सेवा गारंटी अधिनियम, जो सुशासन के लिए प्रदेश का गौरव भी बन गया है और पहचान भी। इस अधिनियम ने जनता के अधिकार को प्राथमिकता तो दी ही, सरकारी स्तर पर होने वाले अनावश्यक विलंब एवं उससे उपजने वाली स्थितियों में आवश्यक सुधार करने की पहल भी की। सुधार के इस क्रांतिकारी कदम के बाद मध्य प्रदेश सुशासन की दिशा में अग्रणी राज्य के रूप में उभरकर सामने आया है।

इस समय भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। लोकतंत्र को मज़बूत करने के लिए भारत में ज़मीनी स्तर पर कई तरह के अहम कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है। इसी प्रगति की अहम कड़ी है, मध्य प्रदेश शासन का लोक सेवा प्रदाय गारंटी अधिनियम। मध्य प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के शब्दों में – “यह अधिनियम नागरिकों को अधिकार संपन्न बनाने का नया आयाम है, यह क़ानून नागरिकों के अधिकारों को मज़बूत करने के साथ ही लोक सेवकों को अधिक संवेदनशील एवं जवाबदेह बनाता है।“

2010 में भारत का पहला राज्य बना मध्य प्रदेश, जिसने लोक सेवा गारंटी कानून लागू किया। इस अधिनियम के बाद आम जनता याचना की मुद्रा में नहीं है, बल्कि अधिकार को अधिकार के रूप में प्राप्त करने की मुद्रा में है।

कानून की प्रमुख विशेषताएं

  • हर सेवा प्रदान करने के लिए एक समय सीमा तय की गयी है जिसके भीतर ज़िम्मेदार अधिकारी को सेवा प्रदान करनी होगी।
  • समय सीमा में कार्य न करने या अनावश्यक विलंब करने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों को अर्थ दंड का प्रावधान है।
  • प्रावधान के अनुसार दोषी अधिकारियों/कर्मचारियों से दंडस्वरूप मिलने वाली राशि पीड़ित व्यक्ति को क्षतिपूर्ति के रूप में प्रदान की जा सकती है।
  • प्रदेश में अब तक इस अधिनियम के अंतर्गत 44 विभागों की 372 सेवाओं को अधिसूचित किया जा चुका है।

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सुशासन के 3 प्रमुख पहलू होते हैं और इन तीनों ही पहलुओं पर यह क़ानून अपनी सार्थकता सिद्ध करते हुए खरा उतरता है –

  1. जवाबदेही : यह क़ानून लोगों को अधिसूचित सेवाएं प्रदान करने के लिए विभाग स्तर पर अधिकारियों की जवाबदेही तय करता है।
  2. पारदर्शिता : इस क़ानून के लागू होने के बाद व्यवस्था और नागरिकों के बीच कार्यवाहियों को लेकर पारदर्शिता बढ़ी है।
  3. समयबद्ध कार्यवाही : इस क़ानून के प्रावधान के अंतर्गत हर सेवा के प्रदाय के लिए एक समय सीमा तय की गयी है जिसमें आवेदन का निराकरण किया जाना है।

मध्य प्रदेश सरकार इस कानून को और अधिक प्रबल करने की दिशा में लगातार गतिशील है। वास्तव में, शक्ति एवं लाभ के केंद्र में आम आदमी को लाने की दृष्टि रखने वाली इस क्रांतिकारी पहल को शुरुआत से ही बेहतर प्रतिसाद प्राप्त हुआ। 2010 में इस कानून के लागू होन के एक साल में ही 70 लाख और 2014 तक 2.75 करोड़ लोग लाभान्वित हो चुके हैं और लगातार हो रहे हैं। प्रदेश सरकार सतत दृष्टि रख रही है कि इस दिशा में सुधार की और चुनौतियां क्या हैं और सटीक समाधान क्या हो सकता है।

 

हर बढ़ते चरण में, और सेवाओं को इस कानून के दायरे में लाना, गांव.गांव तक सेवा को सुलभ कराना, प्रक्रिया को और सरल बनाना, तकनीक की मदद से क्रियान्वयन करना आदि विषयों को लेकर मध्य प्रदेश सजग रहा है। हर संभव प्रयास के लिए कृत संकल्पित प्रदेश सरकार लोक सेवा प्रदाय गारंटी देते हुए अंतिम व्यक्ति तक अपनी पहुंच बनाने का मिशन और विज़न रखती है। लोक सेवा प्रदाय गारंटी अधिनियम “सबका साथ, सबका विकास” सूत्रवाक्य की परिकल्पना को चरितार्थ भी कर रहा है। अतिशयोक्ति नहीं है कि सुशासन एवं लोकतांत्रिक मूल्यों के मामले में मध्य प्रदेश, देश में लगातार मिसाल बन रहा है।

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