परीक्षा पर चर्चा: प्रधानमंत्री मोदी ने छात्रों को दिए तनाव दूर करने के मंत्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की दिशा में कई प्रयास किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई मौकों पर शिक्षा को सरकार की प्राथमिकता में बताया है और हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि बिना कुशल मानव संसाधन के किसी भी देश में स्थाई विकास संभव नहीं है। गुणवत्तापूर्ण और विश्वस्तरीय शिक्षा व्यवस्था के लिए सरकार ने पिछले साढ़े तीन वर्षों में कई सुधार किए हैं और आने वाले समय में देश को सर्व शिक्षा अभियान का नया रूप देखने को मिलेगा। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री समय-समय पर देश के छात्रों को शिक्षा और परीक्षा से संबंधित सलाह और अपना अनुभव भी साझा करते रहे हैं। अपने मन की बात कार्यक्रम में भी कई बार उन्होंने छात्रों का मार्गदर्शन भी किया है।
16 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश भर के बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं से “परीक्षा पर चर्चा” की। इस दौरान उन्होंने छात्रों को परीक्षा से जुड़ी तैयारियों और परीक्षा से जुड़े तनाव से निपटने का मंत्र दिया। लगभग दो घंटे चले इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने परीक्षा के तनाव, माता-पिता की उम्मीदों, एकाग्रता और प्रतिस्पर्द्धा से सबंधित छात्रों के सवालों के जवाब दिए। छात्रों ने पीएम से माई गव , नरेंद्र मोदी ऐप और न्यूज चैनल के माध्यम से भी सवाल पूछे
छात्रों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कभी भी अपने अंदर के विद्यार्थी को कभी खत्म नहीं होने दें। पीएम मोदी ने कहा कि मैं शिक्षकों की बदौलत आज भी विद्यार्थी हूँ। साथ ही उन्होंने कहा कि आप मुझे सिर्फ प्रधानमंत्री नहीं बल्कि अपना दोस्त समझें और आज आपकी नहीं, मेरी परीक्षा है।
परीक्षा से डर तथा परीक्षा में आत्मविश्वास से संबंधित सावाल पूछे जाने पर उन्होंने आत्मविश्वास के महत्व को रेखांकित करने तथा परीक्षा के दबाव और चिंता के मद्देनजर स्वामी विवेकानंद का उदाहरण दिया। प्रधानमंत्री ने कहा हमें अपने आप को हमेशा कसौटी पर कसने का काम करने चाहिए। आत्मविश्वास हर कदम पर कोशिश करते रहने से आता है। हमें हमेशा कुछ नया और पहले से ज्यादा हासिल करने की कोशिश करती रहनी चाहिए।
एकाग्रता बनाए रखने से संबंधित सवाल पूछे जाने पर पीएम मोदी ने बताया कि एकाग्रता सीखी नहीं जाती। किसी न किसी काम पर दिन भर में हम एक बार जरूर अपना पूरा ध्यान देते हैं, भले ही वह गीत-संगीत और दोस्तों से बातचीत ही क्यों न हो । शरीर, मन, आत्मा को समन्वय कर एकाग्रता हासिल की जा सकती है। वर्तमान में जीने की आदत ही एकाग्रता को बढ़ाती है।
साथियों के साथ प्रतिस्पर्द्धा के कारण होने वाले तनाव से संबंधित सवाल पर पीएम ने छात्रों को सलाह दी कि दूसरों के साथ प्रतिस्पर्द्धा के बजाय खुद के साथ प्रतिस्पर्द्धा करें। उन्होंने कहा, आपके दोस्त कितने घंटे पढ़ाई करते हैं इस पर ध्यान न दें। बल्कि इस पर ध्यान दें कि आज आपने कल की अपेक्षा कितना घंटा ज्यादा पढ़ा है।
माता-पिता के बच्चों के प्रति बढ़ते उम्मीदों के बारे में पूछे जाने पर प्रधानमंत्री ने माता-पिता से आग्रह किया कि वे अपने उम्मीदों और अपने अधूरे सपनों का बोझ अपने बच्चों के कंधे पर न डालें। माता-पिता बच्चों की उपलब्धियों को सोशल स्टेटस का सवाल न बनाएं और साथ ही इस बात पर जोर दिया कि हर बच्चे में कुछ न कुछ खास होता है और उस पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। परिवार में एक खुला वातावरण होना जरूरी है। बेटा-बेटी जब 18 साल के हो जाएं तो उन्हें मित्र मानना चाहिए। उन्होंने बच्चों को भी सलाह दी कि वे कभी भी माता-पिता के इरादों और निष्ठा पर शक न करें।
माई गव के जरिए ध्यान भटकने की समस्या से जुड़े अभिनव के सवाल का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर आप किसी चीज पर फोकस करना चाहते हैं तो पहले डीफोकस होना सीखिए। इसके लिए बचपन की आदतों से जुड़ जाइए। जो आपको अच्छा लगता है करिए, खुद को उन चीजों से अलग मत करिए। इससे काफी मदद मिलेगी।
परीक्षा के दौरान योग से किस तरह मदद मिलेगी और कुछ खास आसनों के बारे में पूछे जाने पर पीएम ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि जो भी आसन आसान लगे, जिससे आपको फायदा हो वही आसन करना चाहिए। साथ ही ये ध्यान रखें कि शरीर के लिए अच्छी नींद बेहद आवश्यक है। योग निंद्रा के जरिए शरीर को बहुत फायदा होता है।
शिक्षकों की भूमिका पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे समाज में शिक्षकों को पहले परिवार के सदस्यों की तरह माना जाता था। आज हमें इस भावना को फिर से जगाने की आवश्यकता है। शिक्षकों को भी छात्रों के पूरे इकोसिस्टम से जुड़ने की आवश्यकता है।
लोकसभा चुनाव अगले वर्ष होगा, ऐसे में उनकी क्या तैयारी है या क्या वे नर्वस हैं ? प्रधानमंत्री ने इस सवाल पर कहा उन्होंने कहा, ‘‘मैं हमेशा यह मानता हूं कि आप पढ़ते रहें, सीखने की कोशिश करें, सीखने पर ध्यान दें और भीतर के विद्यार्थी को जीवित रखें। परीक्षा, परिणाम और अंक तो इसके ‘‘बाई प्रोडक्ट’’ हैं । आपने काम किया है, जो परिणाम आयेगा, वह आयेगा। ’’
गौरतलब है कि छात्र-छात्राओं का हौसला बढ़ाने के लिए कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री की ‘एग्जाम वॉरियर’ नामक किताब रिलीज हुई, जिसमे उन्होंने परीक्षा के लिए 25 मंत्र बताए गए हैं। इस किताब में पीएम मोदी ने यह संदेश दिया है कि परीक्षा से डरने की कोई जरूरत नहीं होती है। पुस्तक में परीक्षार्थियों के लिए योगासन भी बताए गए हैं।