बढ़ता असम-आसियान के लिए भारतीय एक्सप्रेसवे

Ankit Kukreja
15 Feb 2018

प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, “भारत के विकास की कहानी तब आगे बढ़ेगी जब उत्तर-पूर्वी क्षेत्र समेत पूरे देश का समस्त विकास होगा”। वर्तमान सरकार आने के बाद से ही, उत्तर-पूर्व भारत राष्ट्रीय समाचार की सुर्खियां बना रहा है। इसकी एक प्रमुख वजह है कि मौजूदा सरकार की तरफ से यहां के विभिन्न विकास क्षेत्रों के निवेश में भारी वृद्धि का होना।

इस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास की गति में तेजी लाने के लिए उत्तर पूर्व बुनियादी ढांचा विकास योजना के अंतर्गत 100% केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है।

हाल ही में  “एडवांटेज असम” – सबसे बड़ा निवेश प्रोत्साहन और सुविधा पहल (ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2018), प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के  द्वारा 3 फरवरी, 2018 को उत्तर-पूर्व-गुवाहाटी के वाणिज्यिक केंद्र में उद्घाटन किया गया । इस समिट में  ब्रिटेन, बांग्लादेश, लाओस, कंबोडिया, म्यांमार और भूटान के मंत्रियों और प्रतिनिधियों, और उद्योगपति और उद्यमियों ने भी हिस्सा लिया। शिखर सम्मेलन में  भाग लेने वाले देशों से चर्चा आर्थिक संबंधों और भावी निवेश पर हुई। साथ ही इस शिखर सम्मेलन की वजह से आने वाले दिनों में  उत्तर पूर्व क्षेत्रों को मजबूत करने के लिए एक रोड मैप देने की संभावना भी है।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने उद्घाटन भाषण में एशियाई और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों को उत्तर-पूर्व में निवेश करने की अपील की,। उन्होंने असम को भारत के ईस्ट लुक पॉलिसी का दिल बताया । एक्ट ईस्ट पॉलिसी ने लोगों से संपर्क, व्यापार संबंधों और आसियान देशों के साथ अन्य संबंधों को बढ़ाया। उन्होंने जोर देकर कहा कि उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के संतुलित और तेजी से बढ़ते विकास के जरिये भारत की विकास कहानी आगे बढ़ेगी

एक्ट ईस्ट पॉलिसी के मुख्य सिद्धांतों के आधार पर, भारत और आसियान और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ व्यापार, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए  ही ये शिखर सम्मेलन जाना जाएगा । । इसमें असम और उसके क्षेत्र के निवेशकों को भू-रणनीतिक लाभ दिए गए हैं। इस घटना ने विभिन्न क्षेत्रों में विनिर्माण कौशल और निवेश के अवसरों का  ना केवल प्रदर्शन किया बल्कि बढ़ाया भी है।

शिखर सम्मेलन ने एशियान और बिजनेस टू बिजनेस नेटवर्क (बीबीएन) देशों को द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए भारत की गहरी रुचि के संकेच को लेकर शक्तिशाली संदेश भेजा है,

दो दिवसीय ग्लोबल इन्वेस्टर्स शिखर सम्मेलन 4 फरवरी 2018 को खत्म हुआ।  200 से अधिक एमओयू पर हस्ताक्षर करने के साथ-साथ 70,000 करोड़ से अधिक निवेश के वादे  मिले हैं । सबसे बड़ा निवेश का वादा ओएनजीसी (13,000 करोड़ रुपये) और  ऑयल इंडिया लिमिटेड (₹ 10000 करोड़) से आए हैं।  जाहिर है ये आखिरकार कई  नई नौकरियां पैदा करेगा

शिखर सम्मेलन में पड़ोसी देशों के साथ स्मूथली व   परेशानी से मुक्त व्यापार के लिए नीतिगत ढांचे का ध्यान रखा गया है जो आखिरकार पड़ोसी देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को मजबूत करेगा । इससे जहां  भारत के आर्थिक विकास में फायदा होगा वहीं  देश के लिए इनका अहम  योगदान होगा।

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