भारतमाला: कनेक्ट होगा भारत, जो पहले कभी नहीं हुआ
24 अक्टूबर, 2017 को सरकार ने देश में बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने पर केंद्रित कई परियोजनाओं को मंजूरी दी। परियोजना की कुल लागत लगभग 7 लाख करोड़ रुपये की है और इन्हीं परियोजनाओं में एक दूरदृष्टि से परिपूर्ण भारतमाला परियोजना भी शामिल है। भरतमाला परियोजना के अंतर्गत 5.38 लाख करोड़ रुपये की लागत से 34,800 किलोमीटर का राजमार्ग का निर्माण होना है।
राजमार्ग परियोजनाओं का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में 80,000 किलोमीटर तक के राजमार्गों के विकास का लक्ष्य है। महत्वाकांक्षी परियोजना में माल ढुलाई के समय को काफी कम करेगी, नौकरी के अवसर पैदा करेगी और सड़क कनेक्टिविटी में काफी सुधार करेगी।
नरेंद्र मोदी सरकार लगातार नए बुनियादी ढांचों से जुड़े कार्यक्रमों की शुरूआत और मौजूदा परियोजनाओं के तेजी से कार्यान्वयन के साथ कनेक्टिविटी की पहुंच बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दे रही है। पिछली परियोजनाओं में खराब सड़क की स्थिति, पहुंच की कमी और राजमार्गों में अधिक घाटे के मुद्दों को सफलतापूर्वक हल किया है।
नए राजमार्ग कार्यक्रम के तहत, प्रमुख आर्थिक गलियारों पर ध्यान दिया जाएगा, जिसके लिए सरकार ने महत्वपूर्ण शहरों के बीच नए मार्गों की पहचान की है जो कि दूरी के मामले में तो 20% अधिक होगा लेकिन अपेक्षाकृत यात्रा में कम समय लगेगा । वर्तमान में मुंबई और कोचीन के बीच सबसे कम सड़क मार्ग की दूरी 1,346 किलोमीटर है, जिसमें फिलवक्त 29 घंटे का वक्त लगता हैं। हालांकि, सरकार ने इस क्षेत्र में एक 1,537 किलोमीटर मार्ग की पहचान की है| इस मार्ग के जरिए यात्रा में पांच घंटे तक का वक्त कम कर देगा
दक्षता और उत्तरदायित्व के लिए परियोजना को चरण के अनुसार लागू किया जाएगा। पहले चरण में, पूर्वी और पश्चिमी सीमा के साथ प्रस्तावित अनुमानित 3,300 किलोमीटर में से 1000 किमी का विस्तार किया जाएगा। इस परियोजना में तटीय सड़कों का विकास भी शामिल है जो पोर्ट की कनेक्टिविटी में सुधार करेगा और बंदरगाह के विकास और तटीय पर्यटन को बेहतर बनाएगा।
NHAI (एनएचएआई) राष्ट्रीय राजमार्ग और औद्योगिक विकास निगम (एनएचआईडीसीएल) और राज्य के पीडबल्यूडी विभागों को अभी तक सबसे बड़ी राजमार्ग परियोजना के सफल निष्पादन की जिम्मेदारी दी गई है.. प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़कों का विकास सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने भी कदम उठाए हैं.. ग्रामीण और सड़कों के निर्माण के लिए अगले तीन वर्षों में केंद्रीय और राज्य सरकारों को 88,185 करोड़ रुपये खर्च करने की उम्मीद है। सरकार ने लेफ्ट विंग व उग्रवाद प्रभावित राज्यों में सड़कों के निर्माण और विकास के लिए लगभग 11,000 करोड़ रुपये को मंजूरी दे दी है।
अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप भारत के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने व सरकार के प्रयासों से नई नौकरी का मौका मिलने सेन्यू इंडिया को स्थापित करने के लिए ठोस आधार मिलेगा।
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