अमृत काल में ऊंची उड़ान भरता भारत

Team MyGov
February 25, 2023

18 फरवरी 1911 को, एक 23 वर्षीय फ्रांसीसी हेनरी पेक्वेट ने यमुना नदी के ऊपर पहली आधिकारिक हवाई डाक उड़ान भरी। प्रयागराज (तब इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था) और नैनी के बीच यह 10 किलोमीटर की उड़ान वहां आयोजित होने वाली औद्योगिक एवं कृषि प्रदर्शनी का एक हिस्सा थी। तब वाणिज्यिक विमानन के साथ भारत की अनूठी कोशिश शुरू हुई थी। आज, भारत चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक उड्डयन देश है। उड़ान को अब बड़े सुख  के रूप में नहीं बल्कि एक आवश्यक सेवा के रूप में देखा जाता है। भारत के नागरिक उड्डयन क्षेत्र ने पहली बार उड़ान भरने वाले करोड़ों लोगों को जोड़कर न केवल हवाई यात्रा का लोकतंत्रीकरण किया है, बल्कि इंजीनियरों, प्रशिक्षित तकनीशियनों और एयरलाइन सेवा कर्मचारियों के लिए रोजगार के नए अवसर भी बढ़ाए हैं। इसके अलावा, नागरिक उड्डयन क्षेत्र में शुरू किए गए नवाचार ने इसे ‘संपूर्ण सरकार’ दृष्टिकोण के लिए एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया है।

हवाई यात्रा का लोकतंत्रीकरण-

भारत में कई निजी एयरलाइनों ने गेर-जरूरी सुविधाओं को हटा कर और कम खर्च में व्यापक स्तर पर मध्यम वर्ग को हवाई यात्री बनने के लिए आकर्षित किया है। इस रणनीति का उद्देश्य टियर-2 और टियर-3 शहरों में व्यावसायिक रूप से बड़े स्तर पर उड़ान संचालन करना था। इसे गति देने के लिए, 2017 में, भारत सरकार ने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (आरसीएस) के माध्यम से मौजूदा अनुपयोगी और कम सेवा वाले हवाई अड्डों तथा हवाई पट्टियों के पुनरुद्धार के लिए 4,500 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी। तब से, ‘उड़ान – उड़े देश का आम नागरिक’  ने हमारे छोटे शहरों के लिए कनेक्टिविटी में तेजी लाई है। माननीय प्रधान मंत्री का सपना था कि हवाई चप्पल पहनने वाला भी हवाई यात्रा करे, उड़ान योजना ने उस संकल्प की भी पूर्ति की है।  और माल सेवाओं के लिए वाणिज्यिक आपूर्ति श्रृंखला में टियर-2 शहरों के एकीकरण में लाभ मिल है। यदि इसे अकेले निजी उद्यमों के लिए छोड़ दिया जाए, तो भारत में टियर-2 और टियर-3 शहरों से कनेक्टिविटी में बहुत लंबा समय लगता था।

देश भर में 9 हेलीपोर्ट और 2 वाटर एयरोड्रोम सहित 73 हवाईअड्डों को शामिल करते हुए 467 उड़ान मार्गों का संचालन किया गया है। इसकी स्थापना के बाद से 1.14 करोड़ से अधिक यात्रियों ने 2.16 लाख से अधिक ‘उड़ान’ योजना की उड़ानों में यात्रा की है और सरकार द्वारा वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) में चयनित एयरलाइनों को 2,300 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। परिणामस्वरूप, पिछले 8 वर्षों में भारत में परिचालन हवाई अड्डों की संख्या 74 से लगभग दोगुनी होकर 147 हो गई है।

रोजगार उत्पन्न करने में नागरिक उड्डयन की भूमिका-

भारतीय उड़ान संचालकों के पास लगभग 750 विमानों का समूह है। जैसे-जैसे भारत में उड़ानों की संख्या बढ़ रही है, वैसे-वैसे इसका आकार भी तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। विमानों के सुचारू उड़ान के लिए नियमित रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) की जरूरत होती है। उद्योग के अनुमानों के अनुसार, भारत में एमआरओ क्षेत्र का बाजार लगभग 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो हमारे घरेलू एमआरओ के 15% काम को पूरा करता है और एमआरओ का 85% काम विदेशों में किया जाता है।

देश में अंग्रेजी बोलने वालों का एक बड़ा पूल और किफायती इंजीनियरों की उपलब्धता भारत को एमआरओ से संबंधित कार्यों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिलती है। इसका लाभ उठाने के लिए भारत सरकार ने एमआरओ संगठनों और मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) को भारत में कार्यशालाएं स्थापित करने और प्रोत्साहित करने के लिए नए एमआरओ दिशा-निर्देश जारी किए हैं। भारत को एमआरओ का वैश्विक केंद्र बनाने के लिए स्वचालित मार्ग के माध्यम से एमआरओ के क्षेत्र में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दी गई है। इसके अलावा एमआरओ पर जीएसटी के पूर्ण इनपुट टैक्स क्रेडिट को 18% से घटाकर 5% कर दिया गया है।

जैसे-जैसे भारतीय विमान समूह का आकार बढ़ता है, वाणिज्यिक पायलटों, परिवहन पायलटों और अन्य पायलट लाइसेंसों सहित फ्लाइंग स्टाफ की आवश्यकता और बढ़ेगी। वर्ष 2022 में पिछले दशक में जारी किए गए वाणिज्यिक पायलट लाइसेंसों की अधिकतम संख्या देखी गई और टाइप रेटिंग सहित जारी किए गए कुल लाइसेंस 10,000 के करीब आए। पायलटों की आवश्यकता के कारण उड़ान प्रशिक्षण संगठनों (एफटीओ) में भी वृद्धि हुई है। वर्तमान में भारत में 52 स्थानों के साथ 35 स्वीकृत एफटीओ हैं और 11 इसके अतिरिक्त भी हैं। इसी तरह, हवाई यातायात नियंत्रकों की संख्या 2012 से 2022 में दोगुनी हो गई है।

संपूर्ण सरकार दृष्टिकोण और विमानन-

पिछले वर्ष सरकार ने 3 साल की अवधि में 120 करोड़ रुपये की लागत के साथ ड्रोन के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई योजना) के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे। इसके साथ ही ड्रोन नीति का बड़े पैमाने पर उदारीकरण किया गया, जिसके अंतर्गत ड्रोन के संचालन हेतु किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है। ड्रोन नीति ने राहत और बचाव कार्यों तथा आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति के परिवहन सहित विभिन्न गतिविधियों के लिए ड्रोन का उपयोग करने और भूमि पार्सल की मैपिंग की अनुमति दी है। ड्रोन तकनीक ने भारत सरकार की स्वामित्व योजना में योगदान दिया है। अब तक 2.20 लाख से अधिक गांवों में ड्रोन सर्वे पूरा हो चुका है।

एक अन्य क्षेत्र जहां नागरिक उड्डयन नीति ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है, वह कृषि क्षेत्र है। कृषि उड़ान योजना पहाड़ी क्षेत्रों, उत्तर-पूर्वी राज्यों और आदिवासी क्षेत्रों के किसानों के खाद्य उत्पादों के परिवहन पर केंद्रित है। इस योजना के तहत कुल 58 हवाईअड्डों पर लैंडिंग, पार्किंग, टर्मिनल और रूट नेविगेशन शुल्क में भारी छूट दी गई।

भारत का नागरिक उड्डयन मंत्रालय, भारतीयों और विदेशी नागरिकों को आपत्ति के समय बचाने में सहायक रहा है। वंदे भारत मिशन के तहत भारत ने विभिन्न कोविड-19 महामारी के दौरान 1.83 करोड़ यात्रियों की यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए हवाई जहाजों का संचालन किया। इसके अलावा, ‘ऑपरेशन गंगा’ द्वारा रूस-यूक्रेन युद्ध के चरम पर यूक्रेन में फंसे 22,500 भारतीय छात्रों को वापस लाया गया।

भारत की संस्कृति के प्रचार-प्रसार में पर्यटन और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के बीच अच्छा तालमेल बना है। अक्टूबर 2021 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुशीनगर हवाई अड्डे का उद्घाटन किया, तो उन्होंने कहा कि यह हवाई अड्डा दुनिया भर के बौद्ध समाज की भक्ति के लिए एक भावपूर्ण सम्मान है। उन्होंने आगे कहा कि पर्यटन अपने सभी रूपों में, चाहे तीर्थ के लिए हो या अवकाश के लिए, दोनों में आधुनिक बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है और हवाईमार्ग सबसे महत्वपूर्ण घटकों में से एक है। इसे ध्यान में रखते हुए पर्यटन मंत्रालय आरसीएस-उड़ान योजना के तहत 50 मार्गों के लिए फंड भी दिया है तथा 10 नए मार्गों की सूची भी तैयार की है। अतः भारत ने अगले 25 वर्षों में विकसित राष्ट्र बनने का संकल्प लिया है। अब जैसे हम अमृत काल में प्रवेश कर रहे हैं, वैसे भारतीय उड्डयन ऊंची उड़ान भर रहा है।

लेखक- श्री जी. किशन रेड्डी केंद्रीय पर्यटन, संस्कृति एवं पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास (डोनर) मंत्री है