पद्म पुरस्कार: न्यू इंडिया के जन नायकों को मिल रहा है सम्मान

MyGov Team
13 Mar 2018

लाल बत्ती पर रोक लगाकर वीआईपी कल्चर को खत्म करने की दिशा में पहल करने वाली मोदी सरकार की प्राथमिकता में सामान्य नागरिक सबसे ऊपर है। प्रधानमंत्री मोदी देश के विकास में हर व्यक्ति के योगदान को महत्वपूर्ण मानते हैं और इस बात पर जोर देते रहे हैं कि छोटा से छोटा प्रयास भी देश में बड़ा बदलाव ला सकता है।  न्यू इंडिया के निर्माण में देश के हर नागरिकों का योगदान सुनिश्चित करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए केंद्र सरकार ने पद्म पुरस्कार की पूरी प्रक्रिया बदल दी। अब पद्म पुरस्कार के लिए व्यक्ति की पहचान नहीं बल्कि उसके काम का महत्व बढ़ गया है। न्यू इंडिया में देश का सामान्य व्यक्ति भी अपने उत्कृष्ट कार्य के जरिए देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार- पद्म पुरस्कार पा सकता है।

पद्म पुरस्कारों की प्रक्रिया में बदलाव का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने अपने मन की बात में कहा, ” हर वर्ष पद्म-पुरस्कार देने की परम्परा रही है लेकिन पिछले तीन वर्षों में इसकी पूरी प्रक्रिया बदल गई है। अब कोई भी नागरिक किसी को भी नोमिनेट कर सकता है। ऑनलाइन हो जाने से पूरी प्रक्रिया पारदर्शी हो गई है।” भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक पद्म पुरस्कार प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर उद्घोषित  किए जाते हैं और सामान्यत: मार्च / अप्रैल माह में राष्ट्रपति भवन द्वारा आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्वारा  प्रदान किए जाते हैं।

आज देश के बहुत सामान्य लोगों को पद्म-पुरस्कार मिल रहे हैं। ऐसे लोगों को पद्म-पुरस्कार दिए गए हैं जो आमतौर पर बड़े-बड़े शहरों में, अख़बारों में, टी.वी. में, समारोह में नज़र नहीं आते हैं।  2018 के लिए 85 लोगों को पद्म पुरस्कार दिए गए हैं। सरकार ने 3 हस्तियों को पद्म विभूषण, 9 को पद्म भूषण और 73 को पद्म श्री पुरस्कार दिया गया है। इस वर्ष के लिए गरीबों की सेवा करने वाले, मुफ्त शिक्षा प्रदान करने के लिए स्कूल खोलने वालों और जनजातीय कलाओं को वैश्विक रूप से लोकप्रिय बनाने वाली शख्सियतों को ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किए जाने की  घोषणा की।

2018 के पद्म पुरस्कारों की सूची में कई नाम ऐसे हैं जिन्हें हम और आप नहीं जानते हैं। लेकिन इन्होंने नाम, प्रशंसा की परवाह किए बगैर देश में बदलाव लाने के लिए जमीनी स्तर पर निस्वार्थ भाव से बिना थके कार्य करते रहे और अपना लक्ष्य हासिल करने में सफल रहे। तो आइए जानते हैं उन गुमनाम हीरो के बारे में जिन्होंने अपने दृढ़ निश्चय से साबित कर दिया कि छोटे-छोटे प्रयासों से भी बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।

  1. लक्ष्मी कुट्टी

पद्म पुरस्कार पाने वालों में केरल की आदिवासी महिला लक्ष्मीकुट्टी भी शामिल हैं जिन्होंने स्मरण से 500 हर्बल औषधि तैयार की और खासतौर पर सर्पदंश व कीटों के डंक के मामलों में हजारों लोगों की मदद की। वह केरल फोल्कलोर एकेडमी में पढ़ाती हैं और एक जंगल में स्थित एक आदिवासी बस्ती में पत्तों से बनी छत वाली एक छोटी सी झोपड़ी में रहती हैं। समाज में इनके योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

  1. सीताव्वा जोद्दाती

कर्नाटक के सीताव्वा जोद्दाती की है। इन्हें ‘महिला-सशक्तिकरण की देवी’ ऐसे ही नहीं कहा गया है। पिछले तीन दशकों से बेलागवी में इन्होंने अनगिनत महिलाओं का जीवन बदलने में महान योगदान दिया है। इन्होंने सात वर्ष की आयु में ही स्वयं को देवदासी के रूप में समर्पित कर दिया था। लेकिन फिर देवदासियों के कल्याण के लिए ही अपना पूरा जीवन लगा दिया। इतना ही नहीं, इन्होंने दलित महिलाओं के कल्याण के लिए भी अभूतपूर्व कार्य किये हैं।

  1. अरविंद गुप्ता

IIT कानपुर के छात्र रहे अरविन्द गुप्ता ने बच्चों के लिए खिलौने बनाने में अपना सारा जीवन खपा दिया। वे चार दशकों से कचरे से खिलौने बना रहे हैं ताकि बच्चों में विज्ञान के प्रति जिज्ञासा बढ़ा सकें। उनकी कोशिश है कि बच्चे बेकार चीज़ों से वैज्ञानिक प्रयोगों की ओर प्रेरित हों, इसके लिए वे देशभर के तीन हज़ार स्कूलों में जाकर 18 भाषाओं में बनी फ़िल्में दिखाकर बच्चों को प्रेरित कर रहे हैं।

  1. भज्जू श्याम

मध्य प्रदेश के भज्जू श्याम का जन्म एक ग़रीब आदिवासी परिवार में हुआ। वे जीवन यापन के लिए सामान्य नौकरी करते थे लेकिन उनको पारम्परिक आदिवासी पेंटिग बनाने का शौक था। आज इसी शौक की वजह से इनका भारत ही नहीं, पूरे विश्व में सम्मान है। नीदरलैंड, जर्मनी, इंग्लैंड, इटली जैसे कई देशों में इनकी पेंटिंग  प्रदर्शनी लग चुकी है। उनकी ‘द लंदन जंगल बुक’ की 3000 प्रतियां बिकीं और इसका पांच विदेशी भाषाओं में प्रकाशन हुआ। विदेशों में भारत का नाम रोशन करने वाले भज्जू श्याम जी को पद्मश्री सम्मान प्रदान किया गया।

  1. सुभाषिनी मिस्त्री

पश्चिम बंगाल की 75 वर्षीय सुभाषिनी मिस्त्री एक ऐसी महिला हैं, जिन्होंने अस्पताल बनाने के लिए दूसरों के घरों में बर्तन मांजे, सब्जी बेची। जब ये 23 वर्ष की थीं तो उपचार नहीं मिलने से इनके पति की मृत्यु हो गई थी और इसी घटना ने उन्हें गरीबों के लिए अस्पताल बनाने के लिए प्रेरित किया। आज इनकी कड़ी मेहनत से बनाए गए अस्पताल में हजारों गरीबों का नि:शुल्क इलाज किया जाता है।

  1. सुधांशु विश्वास

पश्चिम बंगाल निवासी और 99 वर्षीय सुधांशु विश्वास भी पुरस्कार पाने वालों में शामिल हैं। उन्होंने गरीबों की सेवा , स्कूल और अनाथालय चलाए और गरीबों को मुफ्त शिक्षा देने के लिए स्कूल खोला। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों ने उन्हें पहले गोली मारी और उसके बाद जेल में बंद कर दिया।

  1. एमआर राजागोपाल

केरल के मेडिकल मसीहा एमआर राजागोपाल को पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। वह नवजात शिशु संबंधी विशेषज्ञ हैं।  उन्होंने कोझीकोड के इंस्टीट्यूट ऑफ पैलिएटिव मैडिसिन में भारत की सबसे पहली पैलिएटिव केयर यूनिट खोली। उन्हें सस्ती दर्द निरोधक दवाइयों के लिए भी याद किया जाता है।

  1. मुरलीकांत पेटकर

भारत के प्रथम पैरा-ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता व महाराष्ट्र के मुरलीकांत पेटकर को भी पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। 1965 के भारत-पाक युद्ध में उन्होंने अपनी बांह गंवा दी थी।

  1. राजगोपालन वासुदेवन

राजगोपालन वासुदेवन ‘प्लास्टिक रोड मेकर’ (प्लास्टिक से सड़के बनाने वाले) के रूप में देश में पहचाने जाते हैं। उन्होंने सड़क निर्माण के लिए प्लास्टिक कूड़े के पुन: उपयोग का एक नवोन्मेषी तरीका ईजाद किया और यह तकनीक भारत सरकार को निशुल्क दिया। उनके तरीके से देश के 11 राज्यों में 5000 किमी सड़क का निर्माण किया गया है।

  1. सुलगत्ती नरसम्मा

90 से 100 साल के बीच की उम्र के कृषि मजदूर सुलगत्ती नरसम्मा को जननी अम्मा के नाम से जाना जाता है। उनके बगैर किसी मेडिकल सुविधा के कर्नाटक के पिछड़े क्षेत्रों में प्रसव सहायिका के तौर पर सेवाएं दी। उन्हें तुमकुर विश्वविद्यालय ने मानद डॉक्टरेट की उपाधि भी दी। उन्होंने 15,000 से अधिक निशुल्क प्रसव कराएं हैं।

  1. विजयलक्ष्मी नवनीतकृष्णन

तमिल लोक संगीत और आदिवासी संगीत के संग्रह, दस्तावेजीकरण और संरक्षण में अपना जीवन समर्पित करने वाली विजयलक्ष्मी नवनीतकृष्णन को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने 10,000 से ज्यादा ओडियो कैसेटेस रिकॉर्ड किए हैं तथा वे लोक कला और संगीत से संबंधित 11 पुस्तकों की सह-लेखिका भी हैं। तमिल और अंडाल भाषा पर उनका कार्य भी बेहद सराहनीय है।

  1. येशी ढ़ोदेन

तिब्बती हर्बल औषधि के चिकित्सक येशी ढ़ोदेन भी यह पुरस्कार पाने वालों में शामिल हैं। वह हिमाचल प्रदेश के दूर दराज के इलाकों में सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने धर्मशाला में तिब्बती मेडिकल कॉलेज Men-Tsee-Khang की स्थापना की है। उन्होंने अपनी हर्बल दवाइयों से हजारों मरीजों का इलाज किया है।

  1. लेंटीना ए ठक्कर

नगालैंड में गांधी आश्रम में दशकों सेवाएं देने वाले गांधीवादी लेंटीना ए ठक्कर, उत्सु के नाम से जानी जाती हैं। ये पहली नगा महिला हैं जो गुवाहाटी के कस्तुरबा आश्रम से स्वयंसेवी कार्यकर्ता के रूप में प्रशिक्षण लिया।

  1. रोमुलस व्हेतकर

रोमुलस व्हेतकर को स्नेक मैन ऑफ इंडिया के नाम से जाना जाता है। अंडमान निकोबार द्वीप समूह और तमिलनाडु में वन्यजीव संरक्षक के तौर पर काम करने वाले रोमुलस व्हेतकर को भी पद्म श्री से सम्मानित किया गया।  अमेरिका में जन्मे रोमुलस ने भारत की नागरिकता ली और  मद्रास स्नेक पार्क की स्थापना की।

  1. रानी और अभय बांग

महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित गढ़ चिरौली में 30 साल से अधिक समय से स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने वाले चिकित्सक बांग दंपती को पद्म पुरस्कार दिया गया है। उनके होम-बेस्ड न्यूबॉर्न केयर मॉडल से शिशु मृत्यु दर में काफी कमी आई। भारत सरकार ने इसे आशा कार्यक्रम के तहत अपनाया जबकि WHO और यूनिसेफ ने इस मॉडल को विश्व स्तर पर अपनाया।

  1. संपत रामटेके

महाराष्ट्र के संपत रामटेके सिकल सेल रोग के खिलाफ जागरूकता अभियान हेतु जाना जाता है। उन्हें मरणोपरांत पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। अपने बेटे के इस बीमारी से ग्रस्त होने के बाद 1991 से उन्होंने  सिकल सेल रोग के खिलाफ कार्य करना शुरू किया। वे वेस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड में काम करते थे।

  1. अनवर जलालपुरी

लखनऊ के उर्दू कवि अनवर जलालपुरी को पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। उन्होंने भगवद गीता के 700 श्लोकों का उर्दू में अनुवाद किया है।  वे यूपी मदरसा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष भी थे।

  1. इब्राहिम सुतार

कर्नाटक के इब्राहिम सुतार कन्नड़ कबीर के रूप में जाने जाते हैं। वे हिंदू-मुस्लिम एकता के पैरोकार और सूफी गायक हैं। उन्होंने फोक म्यूजिक की स्थापना की।

  1. मानस बिहारी वर्मा

मानस बिहारी वर्मा को विज्ञान पुरुष के नाम से जाना जाता है। तेजस के पूर्व प्रोग्राम निदेशक मानस बिहारी वर्मा को पद्म पुरस्कार बिहार के दरभंगा, मधुबनी और सुपौल के क्षेत्र में मोबाइल लैब्स के जरिए दलित बच्चों को वैज्ञानिक शिक्षा देने के लिए दिया गया प्रदान किया गया। उनके प्रयास से स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति में बेहताशा वृद्धि हुई।

  1. वी ननम्मल

भारत के सबसे वृद्ध योग शिक्षक वी ननम्मल (98) को भी पद्म पुरस्कार दिया गया है। उनके परिवार के 36 सदस्यों समेत 600 छात्र आज विश्व के कोने-कोने में योग की शिक्षा दे रहे हैं। उन्होंने 45 वर्षों में 10 लाख छात्रों को योग सिखाया है।

  1. गंगाधर विठोबाजी

अस्मिता के आदर्श माने जाने वाले गंगाधर विठोबाजी जी अस्मितआदर्श पत्रिका के संस्थापक और दलित चिंतक व लेखक हैं। उन्होंने 16 पुस्तकों का प्रकाशन और 10 पुस्तकों का संपदान किया है।

  1. सुभादिनी देवी

सुभादिनी देवी को पारंपरिक मणिपुरी  हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्म पुरस्कार दिया गया। उन्हें 1993 में राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया है तथा संत कबीर अवॉर्ड से भी नवाजा गया है।

  1. दामोदर गणेश बापट

दामोदर गणेश बापट को कुष्ठ निवारक बापा के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने अपने कार्य और निस्वार्थ सेवा से कुष्ठ रोग के संबंध में प्रचलित कई भ्रांतियां दूर की। उन्होंने 11,000 इनडोर और 15,000 आउटडोर मरीजों का इलाज किया।

  1. भागीरथ प्रसाद त्रिपाठी

भागीरथ प्रसाद त्रिपाठी को आधुनिक भारत का पाणिनी और वागयोग का जनक माना जाता है। उन्होंने 55 किताबें, 200 से अधिक लेख और शोध पत्र लिखे। उन्होंने वागयोगा चेतना पीठम की स्थापना की।

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