भूलना नहीं, आपके बच्चे के लिये टीकाकरण जरूरी है, बचाव हेतु पढ़ें ब्लॉग

20 Feb 2019

भारत सरकार ने खसरा और रूबेला (Measles & Rubella) जैसी बीमारियों को ख़त्म करने के लिए देशव्यापी अभियान शुरू किया है। जिसकी अलग अलग राज्यों में अलग-अलग तारीख निर्धारित की गई है। मध्यप्रदेश में बच्चों को खसरा-रूबेला (एमआर) बीमारी से बचाने के लिए 15 जनवरी से अभियान शुरू किया गया है। खसरा और रूबेला नामक जानलेवा बीमारी से बचाव के लिए बच्चों को एमआर का टीका लगवाना बहुत जरूरी है। इस बीमारी को साल 2020 तक देश में जड़ से खत्म करने का लक्ष्य है। इस अभियान में 9 माह से 15 साल तक के बच्चों का निजी एवं सरकारी स्कूलों में टीकाकरण नि:शुल्क किया जा रहा है। अपने बच्चे को पास के वैक्सीनेशन केंद्र पर टीकाकरण के लिए जरूर ले जायें।

टीकाकरण हेतु अभिभावकों को किया जा रहा है जागरूक

टीकाकरण से पहले जहां एक ओर इस कार्य के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा शिक्षा एवं महिला बाल विकास विभाग के समन्वय से अधिकारी, कर्मचारियों, शिक्षकों को आवश्यक जानकारी दी गई है। वहीं दूसरी ओर अभिभावकों को टीकाकरण के संबंध में जागरुक किया जा रहा है। माता पिता को बच्चों का टीकाकरण कराने के लिए प्रेरित करने के साथ ही टीकाकरण कार्ड को सुरक्षित रखने के बारे में भी बताया जा रहा है। कार्यशाला में टीकाकरण के दौरान किसी बच्चे में विपरीत लक्षण दिखने पर आवश्यक इलाज और उपलब्ध कराई जा रही किट के संदर्भ में भी जानकारी दी जा रही है।

पहले चरण में इन बीमारियों का सफलतापूर्वक किया गया इलाज

प्रदेश में वर्ष 2010 से 2017 के बीच खसरा रक्षक अभियान चलाया गया था जिसके फलस्वरूप 9 माह से 10 वर्ष की आयु के डेढ़ करोड़ बच्चों को मीजल्स का अतिरिक्त टीका सफलतापूर्वक दिया जा चुका है। इससे पहले चरण में टीकाकरण के ही माध्यम से स्माल पॉक्स (चेचक) काे वर्ष 1978, पोलियो काे वर्ष 2014 और मातृ-नवजात शिशु टिटनेस बीमारी काे वर्ष 2015 में काबू कर लिया गया है। अब खसरा-रूबेला टीकाकरण हेतु इसी तरह की प्रभावी रणनीति तैयार की गई है।

 

जानिये खसरा और रूबेला जैसी खतरनाक बीमारी के बारे में

खसरा एक जानलेवा बीमारी है और बच्चों के अपंगता और मृत्यु के बड़े कारणों में से एक है। यह बहुत संक्रामक रोग है और यह एक प्रभावित व्यक्ति द्वारा खांसने व छींकने से फैलता है। खसरा बच्चे को निमोनिया, दस्त, दिमागी संक्रमण जैसी जीवन के घातक जटिलताओं के प्रति संवेदनशील बना सकता है। खसरा के आम लक्षणों में तेज बुखार के साथ त्वचा पर चकत्ते, खांसी, बहती नाक और आंखें लाल होना है। अगर महिला को गर्भावस्था के आरंभ में रूबेला संक्रमण होता है तो सीआरएस (जन्मजात रूबेला सिंड्रोम) विकसित हो सकता है, जो भ्रूण व नवजात शिशुओं के लिए गंभीर व घातक साबित हो सकता है। प्रारंभिक गर्भावस्था के दौरान रूबेला से संक्रमित माता से जन्मे बच्चे में दीर्घकालीन जन्मजात विसंगतियों से पीड़ित होने की संभावना बढ़ जाती है। आंख, कान, दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। रूबेला संक्रमण को जर्मन मीजेल्स के नाम से भी जाना जाता है। ये बीमारी मुख्य रूप से रूबेला वायरस की वजह से ही होता है। वायरस के संपर्क में आने के 2 से 3 दिन बाद चकत्ते आते हैं और ये 3 दिन तक रह सकते हैं

मीजल्स टीके के स्थान पर मीजल्स-रूबेला (एमआर) वैक्सीन दी जायेगी

9 माह की उम्र होने पर मीजल्स टीके के स्थान पर मीजल्स-रूबेला (एमआर) वैक्सीन दी जायेगी। भविष्य में मीजल्स के स्थान पर एमआर वैक्सीन जिलों को भेजी जायेगी। इससे दो बीमारियों का बचाव होगा। अभियान के लिये संबंधित विभागों के साथ लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से जानकारी पहुंचाता रहेगा।

अभियान से संबंधित विस्तृत जानकारी के लिये यहां क्लिक करें

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