किसानों का संबल और सम्‍मान : पीएम किसान सम्‍मान निधि

Team MyGov
February 25, 2023

कृषिर्धन्या कृषिर्मेध्या जन्तूनां जीवनं कृषि:।

भारत में लगभग 68 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है और उनकी आजीविका या तो पूर्णरूपेण कृषि पर निर्भर है अथवा कृषि से जुड़े अन्‍य क्षेत्रों से संबद्ध है। इस तरह देखा जाए तो कृषि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की रीढ़ है और देश का लगभग 44 फीसदी श्रमबल खेती और इससे जुड़े व्‍यवसायों से रोजगार प्राप्‍त करता है। उपरोक्‍त उल्‍लेखित कृषि पाराशर ग्रंथ के श्‍लोक का भी यही अर्थ है कि ‘कृषि सम्पत्ति और मेधा प्रदान करती है और कृषि ही मानव जीवन का आधार है’।

स्‍वतंत्रता उपरांत हमारा पहला ध्‍येय कृषि क्षेत्र में सुधार के साथ किसानों को सशक्‍त करना होना चाहिए था, किंतु दुर्भाग्‍यवश यह नहीं हो पाया। 2014 में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्‍व में इसी दिशा में गंभीरता के साथ कार्य प्रारंभ किए गए। किसानों का सशक्तिकरण और उनकी आय में वृद्धि करना हमारी हमारी पहली प्राथमिकता रही है। विगत पौने 9 वर्षों में ऐतिहासिक सुधारों की एक ऐसी नींव रखी गई है जिस पर अमृतकाल में नए भारत की इमारत खड़ी होना प्रारंभ हो गई है, इन्‍हीं सुधारों में कृषि एक महत्‍वपूर्ण क्षेत्र रहा है।

24 फरवरी 2019 को नरेंद्र मोदी जी ने प्रधानमंत्री किसान सम्‍मान निधि योजना का शुभारंभ किया था। विगत तीन वर्षों में इस योजना ने सतत रूप से किसानों को आर्थिक सशक्तिकरण का एक ऐसा मजबूत आधार स्‍तंभ प्रदान किया है, जिससे न केवल उनके परिवारों में समृद्धि आना प्रारंभ हुई है अपितु कृषि क्षेत्र में भी सकारात्‍मक बदलाव दृष्टिगोचर हुए हैं। यहां यह बताना भी उल्‍लेखनीय है कि पीएम किसान योजना दुनिया की सबसे बड़ी प्रत्‍यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) योजनाओं में से एक है। पीएम किसान योजना के तहत डीबीटी के माध्यम से देशभर के किसान परिवारों के बैंक खातों में हर चार महीने में तीन समान किस्तों में 6000 रुपये प्रति वर्ष का वित्तीय लाभ हस्तांतरित किया जाता है। यह योजना शुरू में ऐसे छोटे और मझौले किसानों के लिए थी, जिनके पास 2 हेक्टेयर तक की भूमि थी, लेकिन 1 जून 2019 से योजना का दायरा सभी भूमिधारक किसानों को शामिल करने के लिए बढ़ा दिया गया था। पीएम किसान योजना के माध्‍यम से अब तक देश के लगभग 11 करोड़ किसानों को 2.24 लाख करोड़ रुपए से अधिक प्रदान किए गए हैं। इस धनराशि में से लगभग 1.29 लाख करोड़ रुपए कोविड-19 की महामारी अवधि के दौरान किसानों को जारी किए गए जिससे एक विषम घड़ी में किसानों को महती आर्थिक सहायता प्राप्‍त हुई।

किसानों को पीएम किसान योजना का लाभ आसानी से मिल सके इसलिए इसमें स्‍व-पंजीकरण की व्‍यवस्‍था को लागू किया गया है। इसके साथ ही मोबाइल एप, पीएम किसान पोर्टल और सामान्‍य सेवा केंद्रों में वॉक-इन के माध्‍यम से इस योजना का सरलीकरण किया गया है। एकीकृत हेल्‍प डेस्‍क के माध्‍यम से जहां किसानों की, इस योजना से जुड़ी शिकायतों का त्‍वरित निराकरण हो रहा है, वही प्रत्‍येक वर्ष योजना से जुड़े 5 प्रतिशत किसानों के वास्‍तविक सत्‍यापन के प्रावधान ने योजना की प्रामाणिकता को बल प्रदान किया है।

वर्ष 2019 में जब पीएम किसान योजना प्रारंभ हुई थी, तब उसके लाभार्थियों की संख्‍या 3.16 करोड़ थी, जिसमें अब तक लगभग तीन गुना से ज्‍यादा की वृद्धि इस योजना की सफलता एवं व्‍यापकता की एक बानगी है। पीएम किसान सम्‍मान निधि योजना एक तरह से छोटे किसानों के लिए बड़ा संबल साबित हुई है। बुवाई से लेकर फसल बेचने तक किसानों के सामने कई आर्थिक चुनौतियां रहती हैं। यह अनुभव रहा है कि अपनी आर्थिक जरूरतें पूरी करने के लिए किसान कर्ज के जाल में फंसता चला जाता है, ऐसे में पीएम किसान के माध्‍यम से साल में तीन बार मिलने वाली आर्थिक मदद ने किसानों को बहुत बड़ा सहारा प्रदान किया है।

किसानों के प्रति हमारी सरकार की प्रतिबद्धता अमृतकाल के पहले बजट में परिपूर्ण रूप से परिलक्षित होती है। इस वर्ष के बजट में कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान सहित कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का कुल बजट लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपये का है। कृषि क्षेत्र में विगत 8 वर्षों में बजट में लगातार वृद्धि हुई है।  वर्ष 2013-14 में कृषि एवं किसान कल्‍याण विभाग का बजट आवंटन 21933 करोड़ रुपए था। इस तरह से कृषि बजट में लगभग पांच गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। पर्याप्‍त धनराशि कृषि क्षेत्र में वे संसाधन लेकर आ रही है, जिसके बल पर आज किसान अपनी मेहनत से फसलों की रिकार्ड पैदावार कर रहे हैं। सरकार की किसान हितैषी नीतिओं और बजट में किए गए प्रावधानों का ही परिणाम है कि देश का खाद्यान्‍न उत्‍पादन जहां 2013-14 में 265.05 मिलियन टन था और 2021-22 में बढ़कर रिकार्ड 315.72 मिलियन टन हो गया है। यह हमारे देश का अब तक का सर्वाधिक खाद्यान्‍न उत्‍पादन है। तीसरे अग्रिम अनुमानों के अनुसार, 2021-22 के दौरान देश का बागवानी उत्पादन 342.33 मिलियन मीट्रिक टन है, जो भारतीय बागवानी में अब तक का सबसे अधिक है।

किसानों को उनकी उपज में लगने वाली उत्‍पादन लागत से डेढ़ गुना दाम एमएसपी के माध्‍यम से प्रदान करना स्‍वामीनाथन आयोग की एक अहम सिफारिश थी। प्रधानमंत्री मोदीजी के नेतृत्‍व में सरकार ने 2018-19 फसलों की औसत लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत रिटर्न के साथ एमएसपी को बढ़ाया है। धान के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 2013-14 में जहां 1310 रुपये प्रति क्विंटल था, वह अब बढ़कर 2022-23 में 2040 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। वहीं गेहूं का एमएसपी 2013-14 में 1400 रुपये प्रति क्विंटल था जो बढ़ाकर 2022-23 में 2125 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना भी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में किसानों के लिए एक सुरक्षा कवच के रूप में साबित हुई है। किसानों द्वारा प्रीमियम के अपने हिस्‍से के रूप में लगभग 25 हजार करोड़ रुपए का भुगतान किया गया, जिसके बदले उन्‍हें 1.30 लाख करोड़ रूपए से अधिक के क्‍लेम का भुगतान किया गया। इस प्रकार किसानों द्वारा भुगतान औसत प्रति सौ रूपए प्रीमियम के बदले उन्‍हें दावों के रूप में लगभग 517 रूपए प्राप्‍त हुए हैं।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के प्रयासों से संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ ने वर्तमान वर्ष को अंतरराष्‍ट्रीय मिलेट (श्री अन्‍न) वर्ष के रूप में घोषित किया है। मोटे अनाज को श्रीअन्‍न के रूप में विभूषित किया गया है। श्रीअन्‍न भविष्‍य का वह संतुलित और पौष्टिक खाद्यान्‍न है, जो सेहत के साथ ही भारत के छोटे किसानों के लिए समृद्धि की राह भी खोलेगा। इस दिशा में हमारे प्रयास पूरी दुनिया के लिए नए पदचाप छोड़ेंगे।

आदरणीय सरदार पटेल जी का कहना था, ‘इस धरती पर अगर किसी को सीना तानकर चलने का हक है तो वह धन-धान्य पैदा करने वाले किसान को है।’ मुझे गर्व है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के प्रभावी मार्गदर्शन में विगत पौने 9 वर्षों में किसानों को वह सम्‍मान प्राप्‍त हुआ है, जो उन्‍हें सीना तानकर चलने का हक प्रदान करे। इस दिशा में प्रधानमंत्री किसान सम्‍मान निधि की भी अपनी महत्‍वपूर्ण भूमिका है, जिसकी तेरहवीं किश्‍त माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा 27 फरवरी 2023 को देश के करोड़ो किसानों को प्रदान की जा रही है।

लेखक-  श्री नरेंद्र सिंह तोमर , केंद्रीय मंत्री कृषि एवं किसान कल्‍याण, भारत सरकार