Kuno National Park

17 Sep 2022

देश में इकलौता ‘चीतों का घर’

मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क को देश की एकमात्र चीता सफारी बनने का गौरव मिला है। हमारे देश से 1952 में विलुप्त घोषित किए गए चीतों को यहां अब फिर से देखा जा सकता है। नामीबिया से लाए गए 8 अफ्रीकन चीतों का नया घर अब कूनो बन गया है।

इनके आने के बाद भारत ‘बिग कैट’ की पांच प्रजातियों बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ और चीतों के अस्तित्व वाला दुनिया का पहला देश बन गया है।

प्रकृति की गोद में बसा खूबसूरत नेशनल पार्क, कूनो

श्योपुर जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर जंगल के बीचों-बीच बसा एक खूबसूरत और शांत, कूनो नेशनल पार्क, जहां उदित होते सूरज के साथ ही पक्षियों का कलरव सुनाई देने लगता है। खुली हवा में विचरण करते मदमस्त हिरण, भालू, नीलगाय, सांभर, चौसिंगा, चीतल सहित कई खूबसूरत वन्य प्राणी और पक्षी , हमें हर पल प्रकृति की जीवंतता का अहसास कराते हैं। कूनो की ओर जाने वाले मार्ग पर प्रकृति के खूबसूरत नजारे दिखाई देते हैं।

कूनो की सुबह तो खूबसूरत है ही ढलती दोपहर के साथ ही जंगल का नजारा भी बदलने लगता है। इक्का-दुक्का नजर आते जंगली जानवरों के बीच फैला हुआ सन्नाटा कुछ अलग ही एहसास कराता है कच्चे-पक्के रास्तों के बीच में कहीं भी वन्यजीव बैठे हुए आपको देखने मिल सकते हैँ। इनमें तेंदुआ और नील गाय खास हैं। इन्हें देखने के बाद रास्ते की थकान तुरंत गायब हो जाती है और मन उत्साह से भर जाता है।

गोधूलि  बेला का नजारा भी यहां बेहद सुकून देने वाला होता है। कई प्रकार की तितलियों और रंग-बिरंगे परिंदों सहित कुछ ऐसे पौधे भी यहां मौजूद हैं, जो देखने पर तो सामान्य ही लगते हैं, लेकिन स्थानीय लोगों के लिए ये आयुर्वेदिक महत्व के हैं और अनेक रोगों की दवा बनाने के काम आते हैं।

नदी के नाम पर रखा गया नाम

कूनो नेशनल पार्क, श्योपुर जिले के विन्ध्याचल पर्वत श्रेणी के उत्तरी भाग में स्थित है। इसका क्षेत्रफल 748.76 वर्ग किलोमीटर है। पार्क का नाम चम्बल की सहायक नदी कूनो के नाम पर रखा गया है। इसे पालपुर-कूनो वन्यजीव अभयारण्य के नाम से भी जाना जाता है। नेशनल पार्क बनाए जाने से पहले कूनो एक अभयारण्य था। 1981 में इसके लिए 344.68 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र निश्चित किया गया था। बाद में इस क्षेत्र में वृद्धि की गयी। दूर तक फैले इस नेशनल पार्क में भारतीय भेड़िया, बन्दर, भारतीय तेंदुआ तथा नीलगाय चीतल सहित कई प्रजातियों के वन्यजीव पाए जाते हैं। पार्क अपनी वनस्पतियों के लिए भी मशहूर है। अब कूनो नेशनल पार्क देश की पहली चीता सफारी भी है।

भील और सहरिया जनजाति बहुल हैं आसपास के गांव

श्योपुर एक जनजाति बाहुल्य जिला है । नेशनल पार्क के आसपास के गांवों में मुख्य रूप से भील और सहरिया जनजाति का निवास है। इनका पहनावा ग्रामीण परिवेश की पुरातन छाप छोड़ता है। साधारण रहन-सहन होने के बावजूद अपनी वेश-भूषा की वजह से ये लोग विशिष्ट दिखाई देते हैं। ये जड़ी-बूटियों की पहचान में माहिर होते हैं ।

इन जनजातियों का मुख्य व्यवसाय जंगल की लकड़ी, गोंद, तेंदू पत्ता, शहद, महुआ और औषधीय जड़ी बूटियों का संग्रह और बिक्री है । उनके पारंपरिक व्यवसायों में टोकरियाँ बनाना, लोहे का सामान बनाना और पत्थर तोड़ना शामिल है। कुछ लोग खेती भी करते हैं।

कैसे पहुंचे कूनो

कूनो राष्ट्रीय उद्यान के लिए ग्वालियर, कोटा और जयपुर निकटतम हवाई अड्डे हैं। इसी तरह ग्वालियर, शिवपुरी, मुरैना, सवाई माधोपुर, कोटा, जयपुर और झांसी निकटतम रेलवे स्टेशन हैं, जो कूनो राष्ट्रीय उद्यान को रेल संपर्क प्रदान करते हैं।

कूनो नेशनल पार्क के अलग-अलग  प्रवेश द्वारों से निकटवर्ती शहरों की दूरी-

टिकटोली गेट :

शिवपुरी 73 किमी, सवाई माधोपुर 133 किमी, ग्वालियर 165 किमी, झांसी 169 किमी, कोटा 214 किमी, जयपुर 325 किमी

अहेरा गेट :  

शिवपुरी 62 किमी, सवाई माधोपुर 145 किमी, ग्वालियर 158 किमी, झांसी 169 किमी, कोटा 231 किमी, जयपुर 337 किमी

पीपल बावड़ी गेट :

शिवपुरी 73 किमी, सवाई माधोपुर 133 किमी, ग्वालियर 158 किमी, झांसी 169 किमी, जयपुर 378 किमी

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